शरद जोशी जी यूं ही नहीं कह गए हैं...हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे। भ्रष्टाचार तो अजर-अमर है। नोटबंदी भी क्या खाक उसे खत्म कर पाएगी। कटनी की जनता टाइम खोटी कर रही है, जो एसपी गौरव तिवारी के तबादले के विरोध में सड़क पर प्रदर्शन करने उतर आई। इतिहास गवाह है गौरव तिवारी जैसे दबंग अफसरों की नियति तबादले और प्रताडऩा रही है। न खाऊंगा, न खाने दूंगा से लेकर जीरो टॉलरेंस भ्रष्टाचार की बातें चुनावी नारों और दावों में ही अच्छी लगती हैं। 500 करोड़ रुपए के हवाला कांड में संजय पाठक खुद को नर्मदा की तरह पवित्र बता रहे हैं। यह बात अलग है कि वे देश के पांचवें सबसे अमीर मंत्री हैं। उनके पास 141 करोड़ रुपए की सम्पत्ति बताई जाती है। अब ऐसे योग्य कारोबारी का साथ शिवराज सरकार कैसे छोड़ सकती है। हम पाठक के और पाठक हमारे की तर्ज पर ऐसे तमाम संजय पाठक हमारे राजनीतिक दलों की अनिवार्यता बन चुके हैं। इनके आड़े आने वाले गौरव तिवारियों का हश्र यही होता रहा है। कल्पना कीजिए कि गौरव तिवारी को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस तरह हटाया होता तो भाजपा किस तरह छाती-माथा कूटती। इस तरह का रुदन दिल्ली के अलावा उप्र और बिहार में भी देखने को मिलता।