
भोपाल। प्रदेश में छह महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने संगठनात्मक चुनावी सर्जरी शुरू की है। इसमें टिकट के हिसाब से अब पूरे पद तय किए जाएंगे। जिन्हें चुनाव लड़ाया जाना है, उनकी संगठनात्मक जिम्मेदारियों कम की जाएंगी, ताकि चुनावी मैदान में ज्यादा ध्यान दे सकें। इसके अलावा टिकट फार्मूला तय करने पर भी मशक्कत शुरू हो गई है, ताकि धीरे-धीरे एक बेस-लिस्ट तैयार हो जाए।
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ललिता और लोकेंद्र का बदलाव-
चुनावी मैदान में इस बार पूर्व मंत्री ललिता यादव और मीडिया प्रभारी रहे लोकेंद्र पाराशर दोनों किस्मत आजमाना चाहते हैं। ललिता पिछली बार चुनाव हार गई थी। अब उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया है। यह ललिता को साधने के प्रयास की तरह है। दूसरी ओर लोकेंद्र पाराशर की जिम्मेदारी में सात साल बाद बदलाव किया है। लोकेंद्र चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। जिम्मेदारी हल्की होने से उनके चुनावी मैदान में उतरने की संभावना बढ़ जाती है। इसी तरह पूर्व में संगठन महामंत्री भगवानदास सबनानी के संभागीय प्रभार में कमी की गई थी। इसके पीछे भी उनके पास अत्यधिक काम होना था। सबनानी भी भोपाल से चुनावी मैदान में उतरने की मंशा रखते हैं। इनके अलावा भी तीन दर्जन से ज्यादा संगठन पदाधिकारी चुनाव के लिए दावेदारी कर रहे हैं। इसिलए अभी और बदलाव होना है, क्योंकि ऐसे कई पदाधिकारी हैं जिन्हें अभी चुनावी कामों की जिम्मेदारी दे रखी है। डेढ़ से दो महीने में यह काम पूरे हो सकते हैं, जिसके बाद उन्हें काम बदला जाएगा या चुनाव के लिए फ्री किया जा सकता है।
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18 जिलाध्यक्ष बदले, अभी और बदलेंगे-
भाजपा ने चुनावी जमावट के लिए बीते छह महीने में पार्टी के 18 जिलाध्यक्षों को बदला है। इसमें धार, बालाघाट, जबलपुर, रायसेन, अनूपपुर, राजगढ़, ग्वालियर, कटनी, भिंड, गुना, अशोकनगर, झाबुआ, अलीराजपुर, सिंगरौली, शाजापुर, सीधी, डिंडौरी व आगर के जिलाध्यक्ष बदले जा चुके हैं। वहीं भोपाल, जबलपुर, शहडोल, उज्जैन व चंबल संभाग के संभागीय प्रभारी भी बदले थे। इसके अलावा अभी और आधा दर्जन जिलाध्यक्ष परफार्मेंस चेकिंग पर हैं। बीते दिनों प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव इसे लेकर गाइडलाइन दे चुके हैं।
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3 स्तर पर काम-
भाजपा संगठन ने अब चुनावी तैयारी के तहत संगठनात्मक तौर पर तीन स्तर पर एक साथ काम शुरू किया है। इसमें पहला काम मैदान में असंतुष्टों को समझाईश और समन्वय का है। इसके लिए 14 नेता जुटे हैं। दूसरा काम संगठनात्मक जिम्मेदारियों में बदलाव है। ताकि चुनाव वाले चेहरे तय हो सके। तीसरा, मैदानी फीडबैक के आधार पर प्रारंभिक चेहरों का निर्धारण करना। ताकि, चुनाव के लिए टिकट के समय एक प्रारंभिक रिपोर्ट पहले से मौजूद रहे।
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Published on:
30 Apr 2023 10:39 pm
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