जानकारी के अनुसार ये सब बातें तब शुरू हुई जब बाबूलाल गौर से मिलने पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया पहुंचे।
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यहां उन्होंने लोकसभा चुनाव में फिर ताल ठोकते हुए कहा कि जहां से सम्मानजनक स्थिति होगी वहां से चुनाव लडूंगा। हम तो योद्धा हैं, बाजू हाथ फड़कते हैं। अभी हमने हथियार नहीं डाले हैं।
वहीं गौर ने कहा कि सर्वे में नाम होने के बाद भी कुसमरिया जैसे नेताओं को टिकट नहीं दिया गया।
इधर, सरताज सिंह के इस बयान से बवाल….
वहीं तीन चुनाव में हार के लिए पूर्व मंत्री सरताज सिंह ने पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा है कि मप्र, छतीसगढ़ और राजस्थान का चुनाव मुख्यमंत्रियों के कारण नहीं मोदीजी के कारण हारे हैं।
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नोटबंदी और जीएसटी को हार का बड़ा कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि मोदीजी से जो अपेक्षा थी उसे वो 15-20 प्रतिशत ही पूरी कर पाए।
उन्होंने ये भी कहा कि ये बात में लोगों के फीडबैक के आधार पर यह कह रहा हूं। जब मोदीजी का नाम नहीं था तब मैं मोदीजी का समर्थक था। उन्होंने कहा कि लोकसभा में मप्र में बीजेपी 12-13 सीट पर सिमट जाएगी, बदलाव तो आएगा।
उन्होंने कहा कि बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस गौर साहब को प्रत्याशी बना सकती है। और यदि गौर साहब कांग्रेस से लड़े तो भोपाल सीट कांग्रेस की हो जाएगी।
वहीं सूत्रों का कहना है कि लगातार बगावती तेवर दिखाने वाले पूर्व सीएम गौर और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया के मुलाकात की खबर कहीं न कहीं भाजपा के लिए परेशानी का विषय बनी गई है। जबकि सरताज सिंह का बयान भी भाजपा के लिए गौर के विषय में सोचने को मजबूर कर सकता है।
राजनीति के जानकार डीके शर्मा का इस संबंध में कहना है कि भाजपा के बागी यदि एक हो जाते हैं, तो ये अपने कद के अनुसार ही भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
शर्मा के अनुसार वैसे तो गौर भाजपा छोड़ेंगे इस पर संदेह है, लेकिन यदि वे कांग्रेस के पाले की ओर झूकते हैं और भोपाल से कांग्रेस प्रत्याशी बनते हैं तो ये भाजपा के किले भोपाल की नींव तक हिलाने वाला साबित हो सकता है।
शर्मा के अनुसार कांग्रेस वैसे ही अपनी नई रणनीति के तहत भाजपा को ही भाजपा से लड़वाती दिख रही है। ऐसे में यदि कांग्रेस सीधे तौर पर गौर को भोपाल का लोकसभा टिकट दे दे तो कोई बड़े आश्चर्य की बात नहीं होगी।
वहीं पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया का दमोह और पथरिया सीट पर अच्छा होल्ड है, उन्होंने इसे विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान करके भी दिखाया है। ऐसे में गौर जैसे मजबूत व वरिष्ठ नेता को साथ उनकी मुलाकात कई मायनों में दिलचस्प व संदेहास्पद दिखाई देती है।
दरअसल विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़े भाजपा के बागी डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने दमोह और पथरिया सीट पर समीकरण बिगाड़ दिए थे।
यहां कुसमरिया ने जमानत जब्त होने के बावजूद जयंत मलैया (दमोह से भाजपा प्रत्याशी) और लखन पटेल (पथरिया में भाजपा प्रत्याशी और मौजूदा विधायक) के वोट काट दिए।
यही नहीं, इन दोनों सीटों पर मामूली अंतर की हार ने भाजपा का पूर्ण बहुमत के आंकड़े से फासला दो सीट और बढ़ा दिया। वहीं, इस बागी नेता ने कांग्रेस और बसपा को फायदा पहुंचा दिया। जिसके चलते यहां दमोह में कांग्रेस और पथरिया में बसपा जीतने में कामयाब रही थी।