कोर्ट ने कहा कि आरोपी हर शनिवार और रविवार यानी सप्ताह में दो दिन 4 -4 घंटे भोपाल के अस्पताल में सामुदायिक सेवा करेगा। उसे ऑपरेशन थिएटर और प्राइवेट वार्ड में जाने की इजाजत नहीं होगी। वह डॉक्टरों और क्पाउंडरों की मदद करेगा।
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पुलिस ने आरोपी को 4 अप्रैल को आइपीसी की धारा 354 (डी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 11-12 के तहत गिरफ्तार किया था। आरोपी के वकील ने कोर्ट से कहा कि वह भविष्य में ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होकर बेहतर नागरिक बनने के लिए अपने तौर-तरीके सुधारेगा।
बेटे की हरकतों से माता-पिता शर्मिंदा
आरोपी के माता-पिता ने कोर्ट में कहा कि वे बेटे की हरकतों पर शर्मिंदा हैं। उन्होंने वादा किया कि वह भविष्य में ऐसी कोई हरकत नहीं करेगा, जिससे उन्हें नीचा देखना पड़े। अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि उसने नाबालिग पीडि़ता को लगातार परेशान किया। यह भी पढ़ें- डॉ. आंबेडकर नर्सिंग कॉलेज पर गर्माया विवाद, अनियमितताएं मिलने पर CBI ने अयोग्य घोषित किया फिर भी चल रहा पढ़ने वाले से नहीं कर सकते ऐसी उम्मीद…
आरोपी की याचिका में कहा गया कि लंबे समय तक जेल में रखने का असर उसकी शिक्षा पर पड़ेगा। कोर्ट ने कहा, केस डायरी पढऩे के बाद स्पष्ट हुआ कि आरोप बेहद गंभीर हैं। ऐसी उम्मीद बीबीए के छात्र से नहीं की जा सकती, जो मैनेजेरियल कैडर में भविष्य बनाना चाहता है।