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भोपाल. प्रदेश की स्कूली शिक्षा को अगले वित्तीय सत्र के लिए केंद्र से तगड़ा झटका लगना तय है। केंद्र ने निर्माण बजट में 50 फीसदी की कटौती करने का निर्णय किया है। इसकी वजह निर्माण योजनाओं का सही प्रेजेंटेशन नहीं देना और उपयोगिता प्रमाण-पत्र न भेजना है। इसका सीधा असर शाला निर्माण कार्यों पर पड़ेगा।प्रदेश में सर्व शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा मिशन को एक किया जा रहा है।
इसके तहत करीब एक हजार करोड़ रुपए तक का बजट कम किया जाएगा। इसके अलावा निर्माण बजट में प्रदेश की लापरवाही के कारण करीब 450 करोड़ रुपए की कटौती के हालात बन गए हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों ने जून के पहले सप्ताह में दिल्ली में बजट पर प्रेजेंटेशन दिया था, लेकिन अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की स्कूल शिक्षा व साक्षरता की विशेष सचिव रीना राय ने बजट में कटौती के लिए कह दिया है। वहीं जानकारों का कहन हैं कि निर्माण बजट में 50 फीसदी की कटौती करने से कई काम रूक जाएंगे। साथ ही एक लंबे समय तक काम रुकने से सरकार को ही घाटा होगा। ऐसे में सरकार को बिना किसा लाभ के निर्माण कार्य करवाना चाहिए।
इन पर होगा ज्यादा असर
निर्माण कार्यों के लिए औसत 850 करोड़ रुपए सालाना मिलते हैं, लेकिन अभी तक इस साल 500 करोड़ ही आ पाए हैं। बजट कटौती का सबसे ज्यादा असर बालक-बालिकाओं के लिए बनने वाले शौचालयों पर होगा। इस दायरे में 2500 से ज्यादा आएंगे। इसके अलावा 13000 से ज्यादा स्कूलों के निर्माण और अतिरिक्त निर्माण में भी दिक्कत आएगी। बजट की कमी के कारण निर्माण कार्य पहले से प्रभावित है।
अलग दिया प्लान मिली फटकार
स्कूल शिक्षा विभाग ने दो हफ्ते पहले सर्वशिक्षा और माध्यमिक शिक्षा का अलग-अलग बजट प्लान दे दिया था। इस पर दिल्ली में फटकार भी पड़ी थी। फिर वहीं दोनों बजट मर्ज किए गए थे। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह का कहना है कि अगले वित्तीय सत्र का बजट प्रस्ताव जा चुका है। अभी इसमें कटौती नहीं हुई है। अभी इस प्रस्ताव पर काफी काम होना है।
Published on:
20 Jun 2018 11:36 am
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