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ये कैसा बल्क कनेक्शन? लाखों रुपए खर्च करने पर भी एक घर को महज 50 लीटर पानी

- शहरवासियों को नल कनेक्शन की निगम की नीति पर सवाल, महज दो इंची कनेक्शन ही दे रहे हैं

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बीस फीसदी से अधिक हैण्डपंपों के हलक सूखे, जहां आ रहा पानी वहां सुबह होते ही लग जाती है बर्तनों की लाइन

बीस फीसदी से अधिक हैण्डपंपों के हलक सूखे, जहां आ रहा पानी वहां सुबह होते ही लग जाती है बर्तनों की लाइन

देवेंद्र शर्मा,भोपाल. शहरवासियों को बल्क कनेक्शन के नाम पर मूर्ख बनाया जा रहा है। लाखों रुपए खर्च करने के बाद निगम से बल्क कनेक्शन लेकर कॉलोनीवासी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। स्थिति ये हैं कि इस कनेक्शन से पानी लेकर घर तक पहुंचने वाला नल 50 लीटर उलीचने के बाद ही बंद हो जाता है।

इसकी जमीनी हकीकत देखना है तो होशंगाबाद रोड स्थित श्रीराम कॉलोनी में जाकर देख सकते हैं। 278 घरों की कॉलोनी में निगम ने महज दो इंच का कनेक्शन दिया है। यहां के अध्यक्ष सुनील उपाध्याय का कहना है कि इसमें बमुश्किल 12 हजार से 15 हजार लीटर पानी आ पाता है। अभी तीन माह पहले ही कनेक्शन मिला है, लेकिन एक घर को 40 से 50 लीटर पानी ही मिल पाता है। अब ये झगड़े की जड़ बनता जा रहा है।

दरअसल निगम दो इंची कनेक्शन के लिए 1. 32 लाख रुपए का चार्ज कर रहा है। मीटर चार्ज अलग है। बल्क कनेक्शन के फार्म में दो इंच से लेकर आठ इंच तक के कनेक्शन बता रखे हैं, लेकिन दो इंच का कनेक्शन ही दिया जा रहा है। जोन 13 के जलकार्य सब इंजीनियर चंदन सेन का कहना है कि मैने तो चार इंच का कनेक्शन दिया ही नहीं है। यदि कॉलोनी 100 घरों की भी है तो वहां चार इंची कनेक्शन कम से कम जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा। इसका नुकसान रहवासियों को बेहद कम पानी के तौर पर हो रहा है।

और यहां दिया 44.47 लाख रुपए का बिल

अयोध्या बायपास स्थित एक प्रायवेट कॉलोनी को हाल में जोन 16 के जलकार्य इंजीनियर ने 4 इंच कनेक्शन देने का 44.47 लाख रुपए का डिमांड नोट थमा दिया। कॉलोनीवासी हैरान परेशान है। संबंधित बिल्डर के माध्यम से निगम को पत्र लिखा है कि नर्मदा शुल्क के तौर पर 49.64 लाख रुपए जमा किए जा चुके हैं।

नर्मदा लाइन से 203 किलोलीटर पानी देने का वादा किया था। बावजूद इसके 44.47 लाख रुपए का डिमांड नोट जारी कर दिया। इसमें ये भी बताया कि चार इंची कनेक्शन का शुल्क 2.50 लाख रुपए है, लेकिन हमसे 44.47 लाख रुपए मांगे जा रहे। अब तक मामला कागजों में ही है, लोगों को कनेक्शन नहीं मिला है।

शहर की 900 कॉलोनियों में निजी कनेक्शन बंद, बल्क में भी पानी नहीं

शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में बनी 894 कॉलोनियों को अब तक नल कनेक्शन नहीं मिले हैं। निगम ने इन कॉलोनियों में व्यक्तिगत कनेक्शन के बजाए बल्क नल कनेक्शन देने की जिद पकड़ रखी है। यहां की करीब सात से आठ लाख की आबादी को गर्मी में परेशान हो रही है। दरअसल नर्मदा प्रोजेक्ट की शर्तों और खर्च को आधार बताकर निगम ने इन कॉलोनियों को बाहर कर दिया है। घर- घर कनेक्शन सिर्फ उन्हीं कॉलोनियों को दिया जा रहा है, जो कॉलोनियां निगम को हैंडओवर हो चुकी हैं।

नल कनेक्शन एक नजर

- एक से डेढ़ इंच व्यास के लिए 10 हजार प्रतिमाह चार्ज लगता है।

- दो इंच व्यास पाइप लाइन पर 20 हजार प्रतिमाह चार्ज तय है।
- जेएनएनआरयूएम के तहत बिछाई गई नई पाइप लाइन में कनेक्शन के लिए सामग्री और मीटर के लिए 2500 रुपए अनिवार्य होगा। इसके अलावा भवन और प्लाट साइज के हिसाब से रेट तय हैं

- आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ईडब्ल्यूएस पर 600 वर्गफ ीट भूखंड तक 3000 रुपए
- निम्न आय वर्ग 601 से 1000 वर्गफ ीट भूखंड तक 5000 रुपए

- मध्यम आय वर्ग 1001 से 1800 वर्गफ ीट भूखंड होने पर 7000 रुपए
- उच्च आय वर्ग में 1801 से अधिक भूखंड होने पर 10 हजार रुपए

अधिकतम 90 हजार रुपए में मिलना चाहिए बल्क कनेक्शन

एमआईसी सदस्य कृष्णमोहन सोनी का कहना है कि प्रायवेट कॉलोनियों में बल्क कनेक्शन अनिवार्य किया गया है। मौजूदा परिसर ने अपने पहले ही साल में इसपर प्रस्ताव शासन को भेजा जिसमें 50 हजार रुपए का फेसिलिटी डिपॉजिट करने पर कनेक्शन दिया जाता है। अधिकतम खर्च 90 हजार रुपए से अधिक लाख रुपए तक बनता है। लाइन कॉलोनी के संपटैंक में दी जाती है।

इसलिए निगम अपने हाथ में लेने से डर रहा

मॉनीटरिंग- निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि 900 कॉलोनियों में व्यक्तिगत कनेक्शन देने पर मॉनीटरिंग नहीं हो पाएगी, अमला और संसाधन नहीं है।

रेवेन्यू- कॉलोनियों में व्यक्तिगत कनेक्शन देने पर रेवेन्यू की वसूली निगम के लिए मुश्किल होगी। हर घर से राशि एकत्रित करने के लिए फिर संसाधन बढ़ाने होंगे।

सिस्टम विकसित- नई कॉलोनियों तक लाइन बिछाने निगम को तगड़ा खर्च करना पड़ेगा। बल्क में निगम की लाइन से कॉलोनी के अंदर तक लाइन का खर्च कॉलोनीवासियों पर डाला जाता है।

जो नियम बने हैं कि उनके अनुसार बल्क कनेक्शन दे रहे हैं। लोगों की दिक्कतें सामने आती है तो उसे भी हल करते हैं। कोशिश है कि पूरा पानी मिले।
- एआर पंवार, प्रभारी चीफ इंजीनियर जलकार्य