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एमपी की 3 लाख से ज्यादा महिलाओं को गंभीर रोग, जांच में सामने आई सच्चाई

Anemia- 35 लाख से ज्यादा बच्चे पीड़ित, 9 लाख महिलाओं की जांच में एक तिहाई एनीमिक मिलीं

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एमपी के बच्चों और महिलाओं को गंभीर रोग

एमपी के लाखों बच्चे और महिलाएं एनीमिया से पीड़ित

Anemia- मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर अरबों रुपए फूंके जा रहे हैं लेकिन आम लोगों को इसका ज्यादा लाभ नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि प्रदेश की लाखों महिलाएं और बच्चे बीमार हैं। वे एनीमिया यानि खून की कमी से ग्रस्त हैं। यह हाल तब हैं कि जबकि प्रदेश में भी एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम चलाया जा रहा है। बच्चों और महिलाओं के बेहतर शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम में शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य बनाने की कोशिश की जा रही है। जांच में सामने आया ​कि प्रदेश की 3 लाख से ज्यादा गर्भवती म​हिलाएं एनीमिक हैं। बच्चों के हाल तो बेहद खराब हैं। अभियान में 35 लाख से ज्यादा बच्चे एनीमिक पाए गए। इधर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि प्रदेश में एनीमिया मुक्ति के लिए जोरदार कोशिश की जा रही है। यही कारण है कि अभियान में लगातार 2 तिमाही से मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर रहा है।

प्रदेश में दस्तक अभियान के प्रथम चरण में 22 जुलाई से 16 सितम्बर 2025 तक की अवधि में कुल 70.62 लाख बच्चों की जांच की गई थी। 6 माह से 59 माह तक के इन बच्चों की डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से हीमोग्लोबिन की जांच की गई।

सभी पीड़ित बच्चों का समुचित इलाज किया

जांच में 35.21 लाख बच्चे अल्प एवं मध्यम श्रेणी के एनीमिक पाए गए। इस दौरान 3575 गंभीर एनीमिया से ग्रस्त मिले। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार सभी पीड़ित बच्चों का समुचित इलाज किया गया। गंभीर एनीमिक बच्चों के लिए जिलास्तर पर रक्ताधान व अन्य उपचार सुनिश्चित किया।

अभियान के अंतर्गत प्रदेश की 9.42 लाख गर्भवती महिलाओं की एनीमिया जांच भी की गई। इसमें 3.02 लाख गर्भवतियों को मध्यम से गंभीर श्रेणी का एनीमिक पाया गया। 10660 गर्भवती महिलाएं अति गंभीर श्रेणी की एनीमिक मिलीं। आयरन एवं फोलिक एसिड (आईएफए), आयरन सुक्रोश, एफसीएम देकर इनका इलाज किया गया। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार और सुरक्षित मातृत्व के लिए आवश्यकता अनुसार रक्ताधान से इलाज किया गया।

बता दें कि एनीमिया (Anemia) में खून में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) या हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) की कमी हो जाती है। शरीर के ऊतकों और अंगों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए यह ज़रूरी होता है। एनीमिया से थकान, कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत होती है।त्वचा पीली पड़ जाती है। आयरन, विटामिन बी-12 या फोलेट की कमी, खून की कमी या शरीर द्वारा लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने आदि कारणों से एनीमिया हो सकता है।

एचएमआईएस रैंकिंग में लगातार पिछली दो तिमाही में देश में प्रथम स्थान

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि प्रदेश में एनीमिया मुक्ति के लिए लगातार और प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। इसी का सकारात्मक परिणाम यह रहा कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार की एचएमआईएस रैंकिंग में मध्यप्रदेश ने लगातार पिछली दो तिमाही में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।