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16 श्रृंगार कर मंदिर पहुंची महिलाएं, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता

hariyali teej 2018: 16 श्रृंगार कर, हाथों में मेहंदी लगा माता गौरी की पूजा करने मंदिर पहुंची महिलाएं, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता

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16 श्रृगांर कर मंदिर पहुंची महिलाएं, जानिए क्या है पौराणिक मान्यता

भोपाल। खूबसूरत और खुशनुमा मौसम में हाथों में मेहंदी लगा, 16 श्रृगांर कर, पूजा की थाली लिए, नंगे पैर, सभी महिलाएं मंदिर की तरफ जा रही थी। मौका था हरियाली तीज का। भोपाल स्थित बिरला मंदिर में सुबह से तीज के चलते मेले जैसा दृश्य देख्रने मिला। सभी महिलाएं साज श्रृंगार कर माता गौरी और भगवान शिव का पूजन कर रही थी। किसी ने अपनी पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को रखा था तो किसी ने अच्छा वर पाने की उम्मीद में हरियाली तीज का व्रत रखा था।

भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह त्योहार महिलाएं बड़े ही धूमधाम से मनाती है। इस दिन हरे रंग का खास महत्व होता हैै। इसलिए महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करती है, हरी चूड़ियां और हाथों में हरी मेहंदी लगा इस त्योहार को मनाती है।

वृक्षों की पूजा का खास महत्व
सावन मास का पहला त्योहार, चारो तरफ हरियाली, बारिश के वजह से प्रकृति की खिली हुई रंगत के कारण वातावरण और मोहक हो जाता है। क्योंकि चारो तरफ हरियाली की चादर बिछी होती है। जिसे देखकर मन खुश हो जाता है। इसलिए इस हरियाली तीज पर प्रकृति की पूजा का भी खास महत्व है। तीज पर पीपल, आंवला, तुलसी जैसे पौधों की पूजा की जाती है। इन सभी पौधों का अपना अलग महत्व है।

मायके में होती है पहली तीज
कहा जाता है कि इस दिन अगर किसी महिला की शादी के बाद पहली हरियाली तीज होती है। तो उसे मायके में ही मनाना चाहिए। ताकि वह नई नवेली दुल्हन अपने परिवार और दोस्तों के साथ तीज का त्योहार मना सके और अपनी सखी सहेलियों के साथ सावन के झूलों का आनंद ले सके। अपने अनुभवों को अपनी सखियों से साझा कर सके।

इस दिन नवविवाहित पुत्री के ससुराल से सुहाग का सामान भी आता है। जिसे सिंगारा कहा जाता है। यह सिंगारा न सिर्फ नवविवाहिता के लिए, बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए होता है। जिसमें उसके साथ साथ उसके परिवार वालों के लिए कपड़े व मिष्ठान होते हैं। इस सिंगारा का उदेश्य सिर्फ इतना है कि दोनों परिवारों के संबंध मधुर और गहरे हो सके।

पौराणिक मान्यता के अनुसार
इस दिन सुहागनें 16 श्रृंगार कर, हाथों में मेहंदी लगा माता गौरी की पूजा करती है। क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार माता गौरी ने 108 सालों तक शिव को पति स्वरूप प्राप्त करने के लिए पूजन किया था और तीज पर ही उन्हें भगवान शिव, पति रूप में प्राप्त हुए थे। इसलिए सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए इस खास व्रत को करती हैं।

तीन तरह का श्रृंगार होता है खास
हरियाली तीज पर तीन तरह का श्रुगांर बेहद खास होता है। जिसे हर महिला को करना होता है। जिसमें हरी चूडियां, हरी लहरिया साड़ी, व मेहंदी खास होती है।