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गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने तय किए चुनाव के लिए मुद्दे

जन संगठनों और समूहों ने बैठक कर रोड मैप तैयार किया...

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Jan Agenda

ChangeMaker: गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने तय किए मुद्दे

पत्रिका समूह के जन एजेंडा 2018-23 के तहत गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र के लोगों, जन संगठनों और समूहों ने बैठक कर रोड मैप तैयार किया। क्षेत्र के विकास के मुद्दे तय किए।

स्वास्थ्य: क्षेत्र में इलाज के लिए आस-पास कोई डिस्पेंसरी या बड़ा सरकारी अस्पताल नहीं है, जबकि लोग इन मूलभूत जरूरतों को लेकर सीएम से लेकर अन्य जिम्मेदारों के यहां फरियाद कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। जन एजेंडे में लोगों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से रखा है।

पेयजल: नर्मदा पाइप लाइन को पुरानी पाइप से जोड़ दिया गया है। इससे नर्मदा के पानी में गंदगी मिलकर लोगों के घरों तक पहुंच रही है। लोगों को पीने के लिए पानी खरीदना पड़ रहा है।

सीवेज: इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। सीवेज सड़कों पर बहता है, लोगों का कहना है कि प्रत्याशी वोट मांगने आएंगे तो उन्हें इन समस्याओं से रूबरू कराएंगे।

शिक्षा- छात्राओं के लिए कोई बड़ा कॉलेज इस क्षेत्र में नहीं है। छात्राओं को दूर के कॉलेजों में जाना पड़ता है। क्षेत्र में एक कॉलेज छात्राओं के लिए खुल जाए तो राहत मिले।

स्ट्रीट लाइट : मुख्य सड़कों को छोड़कर अंदर की कॉलोनियों में पर्याप्त लाइट की व्यवस्था नहीं है। रात में लोगों को बाहर जाने में कई बार सोचना पड़ता है। सड़कों पर खम्बे लगे हैं, लेकिन लाइट नहीं है।

ट्रांसपोर्ट : चंद बसों को छोड़कर क्षेत्र में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के कोई इंतजाम नहीं हैं। इनके भी फेरे कम हैं। बागमुगालिया क्षेत्र की कई कॉलोनियों के लोगों को परेशानी हो रही है।

औद्योगिक क्षेत्र: गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र उपेक्षा का शिकार है। यहां न तो सड़कें बची हैं और न पानी की व्यवस्था है। अतिक्रमण इस कदर है कि जगह-जगह झुग्गियां दिखाई देती हैं।

बेरोजगारी : बेरोजगारी बड़ी समस्या है, गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में अन्य शहरों से बड़ी संख्या में श्रमिक वर्ग आकर बसा है। बंद होते उद्योगों के कारण बेरोजगारी बड़ी समस्या बन गई है।

व्यापारी बोले... जो हमें बुनियादी सुविधाएं देगा, सदन तक ले जाएगा मुद्दे, उसे चुनेंगे
कुछ ने कहा... मुफ्त में न बांटा जाए टैक्स का पैसा, विकास के काम पर हो फोकस

हमारी परेशानी भी सुनें जनप्रतिनधि
आज समस्याएं हर जगह हैं। भले ही इनमें से सभी का निराकरण संभव नही है, फिर भी जिस जनप्रतिनिधि को हम चुनकर भेजते हैं, उसे हमारी बात सुनना चाहिए। आज व्यापार में कई तरह की परेशानियां हैं। शहर में लोहा मंडी, ट्रांसपोर्ट नगर का अभाव है। इससे सभी परेशान हैं।
- नवजोत सिंह बग्गा, ट्रांसपोर्टर

बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाएं
हम ईमानदारी से टैक्स चुकाते हैं। सरकार को भी चाहिए कि जो टैक्स हम चुका रहे हैं, उसका सही उपयोग हो। व्यापारी वर्ग ही सबसे ज्यादा टैक्स अदा करता है, लेकिन हमें ही मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। बाजारों में पीने के पानी की समस्या प्रमुख है।
- दीपक कुमार सोनी,सराफा कारोबारी

प्राथमिकता से की जाएं समस्या हल
चुनाव के जरिये हम अच्छे नेता का चयन कर सकते हैं। चुने गए जनप्रतिनिधियों पर जनता की जवाबदारी होती है। जीतने के बाद लोगों की समस्याओं का निराकरण करना ही अच्छे जनप्रतिनिधियों की पहचान है। जनप्रतिनिधि टैक्स अदा करने वालों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से करें।
- हरिनारायण गोयल, अध्यक्ष, इन्कम टैक्स पैयर्स एसोसिएशन

पुरानी बसें बंद कर चलाएं छोटे वाहन
शहर की कई कॉलोनियां ऐसी हैं, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट की पहुंच नहीं है। लोगों को पैदल चलकर मुख्य मार्गों पर आना पड़ता है। मौजूदा सिस्टम की पुरानी बसों को बंद करके उनकी जगह छोटे साइज की बसों को चलाना चाहिए। इस पर ध्यान देने से प्रदूषण भी घटेगा।
- श्याम बाबू अग्रवाल, अध्यक्ष, राजधानी वस्त्र व्यवसायी संघ

टैक्स नियमों को किया जाए सरल
व्यापारियों की अपेक्षा होती है कि सरकार नियमों का सरलीकरण करें। जीएसटी आने के बाद भी करों का सरलीकरण नहीं हो पाया। रिटर्न फाइल समय पर नहीं हो पाता है, पैनाल्टी लगती है। इस बार ऐसे लोगों को चुनकर आना चाहिए जो व्यापार की समझ रखते हों।
- आकाश अग्रवाल,कारोबारी

ग्रामीण क्षेत्रों को बनाना होगा स्मार्ट
सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। देखने में आ रहा है कि जहां शहर विकसित है, वहां स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है। स्मार्ट सिटी की जरूरत तो ग्रामीण क्षेत्रों में है। सस्ती जमीनें भी ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। इससे वहां रोजगार भी बढ़ेंगे। समग्र विकास होगा।
- आदित्य अग्रवाल,कारोबारी

मुफ्त स्कीमों में जा रहा टैक्स का पैसा
जिस हिसाब से टैक्स का बोझ व्यापारियों पर है, उस लिहाज से विकास की गति धीमी है। सरकार की मुफ्त बांटने की स्कीमों में ही टैक्स का पैसा चला जाता है। होना यह चाहिए कि जिस क्षेत्र से पैसा आए, उसे उसी मद और उसी क्षेत्र में खर्च किया जाए।
- राजेश वर्मा,सराफा कारोबारी

जीएसटी के बाद भी दोहरा कर
जीएसटी लागू करते समय वन टैक्स की बात कही थी, लेकिन आज भी कई वस्तुओं पर दोहरे कर की मार है। ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद भी समय से रिटर्न नहीं होने पर पैनाल्टी देना पड़ रही है। हम ऐसे व्यक्ति को चुनाव में वोट देंगे जो हमारी समस्याओं को सदन में उठाएगा।
- यश अग्रवाल,कारोबारी