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रहस्य से भरा है भारत का चौसठ योगिनी मंदिर, जानें इससे जुड़े रोचक रहस्य

रहस्य से भरा एक मंदिर

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भोपाल

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Nisha Rani

Feb 19, 2024

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भारत मंदिरों का देश भी है। यहां पर कई प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर हैं। जिनमें मध्य प्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर भी उनमें से एक है। वैसे भारत में चार चौसठ योगिनी मंदिर है। ओडिशा में दो मंदिर हैं और मध्य प्रदेश में दो हैं। लेकिन, मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्राचीन और रहस्यमयी है। भारत के सभी चौसठ योगिनी मंदिरों में यह इकलौता मंदिर है जो अभी तक सही सलामत है। मुरैना में स्थित यह मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए दुनियाभर में जाना जाता था। इस रहस्यमयी मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी भी कहते थे। यहां पर दुनियाभर से लाखों तांत्रिक तंत्र-मंत्र सीखने के लिए आते थे।

patrika.com पर प्रस्तुत है मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर का दिलचस्प इतिहास...।

मंदिर की मुख्य बातें


मुरैना के चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 9वीं और 12वीं शताब्दी के बीच कलचुरी, चंदेल और प्रतिहार राजवंशों के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर एक पहाड़ी पर 100 फीट ऊंचाई पर बनाया गया है। ये अपने गोलाकार आकार और खुली हवा वाले डिजाइन की विशेषता के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही इसमें 64 कमरे हैं, जिन 64 कमरों में शिवलिंग की स्थापना की गई है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के बीच में एक खुले मंडप का निर्माण किया गया है, जिसमें एक विशाल शिवलिंग स्थापित है। बताया जाता है कि यह मंदिर 700 साल पुराना है।

इस मंदिर के बारे में इतिहासकार बताते हैं कि चारों मंदिरों में से यह सबसे पुराना है। इसे लोग एकत्तार्सो महादेव मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यहां पहले 64 मूर्तियां हुआ करती थीं, जिनका दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। ऐसा कहा जाता है योगिनियों बेहद शक्तिशाली होती है। उनकी पूजा से तंत्र-मंत्र मे सिद्धि प्राप्त होती हैं।

मां काली का अवतार


स्थानीय लोगों का मानना है कि आज भी यह मंदिर भगवान शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका है। इस मंदिर में किसी को भी रात में रुकने की अनुमित नहीं है और इस मंदिर को माता काली का अवतार भी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी काली ने घोर नाम के राक्षस का अंत करने के लिए इस शक्तिशाली रूप को धारण किया था। यह रहस्यमयी मंदिर इकंतेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी मशहूर है।

संसद भवन और चौसठ योगिनी मदिर में समानता


चौसठ योगिनी मंदिर 101 खंभों पर और संसद भवन 144 मजबूत स्तंभ पर टिका है। दोनों ही गोलाकार संरचना के हैं। चौसठ योगिनी मंदिर में 64 कक्ष हैं, संसद भवन में 340 कक्ष। जिस तरह चौसठ योगिनी मंदिर के बीच में एक विशाल कक्ष है, जिसमें बड़ा शिव मंदिर है उसी तरह संसद भवन के बीच में विशाल हॉल है। संसद भवन निर्माण ब्रिटेन के ही वास्तुविद सर हर्बर्ट बेकर की निगरानी में 1921 से 1927 के बीच हुआ था।