
भोपाल। ब्लड कैंसर और डाउन सिंड्रोम से पीडि़त पांच वर्षीय वंश का एक-एक दिन मदद के इंतजार में गुजर रहा है। पिता देवेन्द्र की पीड़ा सुनकर सीएम खुद इस बच्चे के इलाज का वादा कर चुके हैं, लेकिन सीएम की कोशिशें भी बेढंगे सिस्टम के आगे फेल हो रही हैं।
दो बार की राशि खत्म होने के बाद वंश का इलाज अटका तो सीएम सहायता से 25 हजार की तात्कालिक मदद जारी हुई, लेकिन यह राशि मरीज तक पहुंचने के बजाए वंश के पिता के पैतृक जिले बालाघाट कलेक्ट्रेट पहुंच गई। अब कैंसर पीडि़त बच्चे को अस्पताल में छोड़कर इस राशि के लिए भटकने को मजबूर हो रहा है।
एक गलती से 400 किमी दूर पहुंच गए रुपए
देवेन्द्र का कहना है कि वह दो दशक से भोपाल में बसे हैं यहीं का राशन एवं आधार कार्ड हैं, लेकिन कैंसर अस्पताल के इलाज की एक फाइल में पैतृक जिले बालाघाट लिखा था इस लिए रुपए 400 किमी दूर पहुंच गए। अब प्रक्रिया में करीब हजार दो हजार खर्च हो जाएंगे।
सीधे मिली पहले की सहायता :
नवम्बर 2016 में सीएम सहायता से दो लाख की राशि स्वीकृत हुई सीधे कैंसर अस्पताल के खाते में पहुंची
जून 2017 में सीएमएचओ सहायता की एक लाख की राशि भी सीधे पहुंची कैंसर अस्पताल
जल्दी-जल्दी खत्म हो जाती है सहायता राशि, रुपए खत्म होते ही हाथ खड़े कर देता है प्रबंधन
आम लोगों की सहातया से चल रहा है वंश का इलाज।
कब तक देंगे इलाज, कोई गारंटी नहीं
सरकार एक ओर बीमारी के अनुसार पैकेज में राशि जारी करती है, लेकिन कैंसर अस्पताल में इलाज पूरा नहीं बल्कि रुपयों के अनुसार होता है। सरकारी रुपए तेजी से खर्च होते हैं और राशि खत्म होते ही इलाज की गाड़ी झटके से रुक जाती है, इसके बाद परिजन परेशान होते रहते हैं। इसकी पुष्टि देवेन्द्र के केस से होती है जहां सरकारी सहायता के तीन लाख और समाजसेवियों के एक लाख रुपए से अधिक खर्च हो जाने पर भी इलाज चालू रहने की कोई गारंटी नहीं मिल पा रही है।
Published on:
30 Oct 2017 11:04 am
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