वहीं आखिरी यानि पांचवें दिन यानि भाईदूज के दिन ही चित्रगुप्तजी की पूजा Bhaidooj and chitragupta puja 2019 भी की जाती है। इस बार भाईदूज व चित्रगुप्त पूजा आज यानि 29 अक्टूबर को है।
इस दिन मनाए जाते हैं ये त्योहार...
दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितिया यानी भाई दूज आता है और इसी दिन चित्रगुप्त महाराज की पूजा भी की जाती है। भाईदूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को संजोता यह त्योहर पूरे उमंग और उत्साह से मनाया जाता है।
दिवाली के बाद कार्तिक शुक्ल द्वितिया यानी भाई दूज आता है और इसी दिन चित्रगुप्त महाराज की पूजा भी की जाती है। भाईदूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को संजोता यह त्योहर पूरे उमंग और उत्साह से मनाया जाता है।

चित्रगुप्तजी की पूजा...
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा के अंश से हुआ है। वह यमराज के सहयोगी Bhaidooj and chitragupta puja हैं और कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त ही जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान और जीवों के सभी कर्मों को अपनी पुस्तक में लिखते रहते हैं।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा के अंश से हुआ है। वह यमराज के सहयोगी Bhaidooj and chitragupta puja हैं और कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं। चित्रगुप्त ही जन्म से लेकर मृत्यु तक इंसान और जीवों के सभी कर्मों को अपनी पुस्तक में लिखते रहते हैं।
जब जीवात्मा मृत्यु हो जाती है तो वह यह लेखा-जोखा यमराज तक पहुंचाते हैं और फिर कर्मों के आधार पर दंड दिया जाता है। चित्रगुप्त महाराज Bhaidooj and chitragupta puja 2019 significance behind की पूजा विशेषकर कायस्थ वर्ग में मुख्य रूप से प्रचलित है। वह उनके ईष्ट देव हैं। समझा जाता है कि इनकी पूजा करने से लेखन, वाणी और विद्या का वरदान मिलता है।

- अवधि :2 घंटे 13 मिनट
चित्रगुप्त पूजा 2019 तिथि ( Chitragupta Puja 2019 Tithi )
: 29 अक्टूबर 2019 : चित्रगुप्त पूजा 2019 शुभ मुहूर्त (Chitragupta Puja 2019 Subh Muhurat) : चित्रगुप्त पूजा अपराह्न मुहूर्त - दोपहर 1 बजकर 11 मिनट से 3 बजकर 25 मिनट तक (29 अक्टूबर 2019 )
: द्वितीया तिथि प्रारम्भ- सुबह 6 बजकर 13 मिनट से (29 अक्टूबर 2019) : द्वितीया तिथि समाप्त - सुबह 3 बजकर 48 मिनट तक (30 अक्टूबर 2019) Bhai Dooj 2019: पवित्र प्रेम का प्रतीक...
रक्षाबंधन की ही तरह यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। धार्मिक आस्था है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण Bhaidooj and chitragupta puja 2019 significance behind करते हैं…
रक्षाबंधन की ही तरह यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। धार्मिक आस्था है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस दिन यमराज बहनों द्वारा मांगी गई मनोकामनाएं पूर्ण Bhaidooj and chitragupta puja 2019 significance behind करते हैं…
भाई दूज मनाने की तिथि और नियम
भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है। 1. शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है। अगर दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भी भाई दूज अगले दिन मनाई जानी चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।
भाई दूज (यम द्वितीया) कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाई जाती है। इसकी गणना निम्न प्रकार से की जा सकती है। 1. शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि जब अपराह्न (दिन का चौथा भाग) के समय आये तो उस दिन भाई दूज मनाई जाती है। अगर दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि लग जाती है तो भाई दूज अगले दिन मनाने का विधान है। इसके अलावा यदि दोनों दिन अपराह्न के समय द्वितीया तिथि नहीं आती है तो भी भाई दूज अगले दिन मनाई जानी चाहिए। ये तीनों मत अधिक प्रचलित और मान्य है।
2. एक अन्य मत के अनुसार अगर कार्तिक शुक्ल पक्ष में जब मध्याह्न (दिन का तीसरा भाग) के समय प्रतिपदा तिथि शुरू हो तो भाई दूज मनाना चाहिए। हालांकि यह मत तर्क संगत नहीं बताया जाता है।
3. भाई दूज के दिन दोपहर के बाद ही भाई को तिलक व भोजन कराना चाहिए। इसके अलावा यम पूजन भी दोपहर के बाद किया जाना चाहिए। चित्रगुप्त महाराज: ये है मान्यता...
मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त महाराज के दर्शन और पूजा से मनुष्यों को पापों से मुक्ति मिलती है। भाई दूज के दिन बहने तिलक लगाकार भाई की अकाल मृत्यु सेे बचाव की ही कामना करती हैं। ऐसे में यह भी सीधे तौर पर भगवान चित्रगुप्त से जुड़ा हुआ है।
मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त महाराज के दर्शन और पूजा से मनुष्यों को पापों से मुक्ति मिलती है। भाई दूज के दिन बहने तिलक लगाकार भाई की अकाल मृत्यु सेे बचाव की ही कामना करती हैं। ऐसे में यह भी सीधे तौर पर भगवान चित्रगुप्त से जुड़ा हुआ है।
इस संबंध में विशाल श्रीवास्तव व दीपक सक्सैना ने बताया कि हमारे देश में करोड़ों देवी-देवताओं के करोड़ों मंदिर हैं। लेकिन यमराज के सहयोगी चित्रगुप्त महाराज के मंदिर कभी-कभार ही देखने को मिलते हैं। हालांकि, देश में भगवान चित्रगुप्त के 3 प्रमुख मंदिर हैं। इसमें सबसे प्राचीन 200 साल पुराना मंदिर हैदराबाद है।
चित्रगुप्त पूजा विधि (Chitragupta Puja Vidhi) 1. चित्रगुप्त पूजा के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठें इसके बाद नहाकर साफ वस्त्र धारण करें। साफ वस्त्र धारण करने के बाद एक चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करने के बाद उस पर साफ कपड़ा बिछाएं।
2. साफ कपड़ा बिछाने के बाद चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके बाद भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करें। गणेश जी का पूजन करने के बाद चित्रगुप्त जी को पंचामृत से स्नान कराएं।
3. स्नान कराने के बाद उन्हें हल्दी, चन्दन ,,रोली अक्षत ,पुष्प, फल, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके बाद उनके सामने कलम, दवात, बहीखातें, किताब आदि रखें। 4. इसके बाद घर की महिला एक सफेद कागज पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और उसके नीचे श्री गणेश जी सहाय नमः ,श्री चित्रगुप्त जी सहाय नमः ,श्री सर्वदेवता सहाय नमः लिखें।
5. इसके बादमसीभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम् ! महीतले |लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते ||चित्रगुप्त ! मस्तुभ्यं लेखकाक्षरदायकं |कायस्थजातिमासाद्य चित्रगुप्त ! नामोअस्तुते ||ते || मंत्र का जाप करके विधिवत पूजा करें। 6. इसके बाद चित्रगुप्त जी की आरती उतारें और अपने बहिखातों की भी आरती उतारें और उस पर श्रीं लिखें।
7. अंत मे चित्रगुप्त जी को प्रसाद का भोग लगाएं और गणेश जी और चित्रगुप्त से आर्शीवाद लें। चित्रगुप्त जी के मंत्र ( Chitragupta Ji ke Mantra ) 1. ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः
2. मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्। लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।। 3. ॐ भूर्भुवः स्वः तत्पुरुषाय विेदमहे , चित्रगुप्ताय: कीमहि तन्नो चित्रगुप्त : प्रचोदयात् स्वः ।। 4. ॐ नमो विचित्राय धर्मलेखाकाय यमवाहिकादिकारणी मृत्यु- जन्म सयुत्प्रलयम कथय कथय स्वाहा।।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि पर देवी यमुना के भाई यमराज अपनी बहन से मिलने उनके घर आए थे। यमुना ने अपने भाई का सत्कार कर उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया।
प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन से वर मांगने के लिए कहा। तब देवी यमुना ने कहा कि भाई आप यमलोक के राजा है। वहां व्यक्ति को अपने कर्मों के आधार पर दंड भुगतना होता है।
आप वरदान दें कि जो व्यक्ति मेरे जल में स्नान करके आज के दिन अपनी बहन के घर भोजन करे, उसे मृत्यु के बाद यमलोक न जाना पड़े। यमराज ने अपनी बहन की बात मानी और अपनी बहन को वचन दिया। तभी से इस तिथि को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
भीष्म पितामह ने भी मुक्ति के लिए की थी चित्रगुप्त पूजा...
भगवान चित्रगुप्त की पूजा बल, बुद्धि, साहस और शौर्य के लिए की जाती है। 9 इसे दवात पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान चित्रगुप्त की पूजा बल, बुद्धि, साहस और शौर्य के लिए की जाती है। 9 इसे दवात पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त परम पिता परमेश्वर ब्रम्हा जी के काया से उत्पन्न हुए हैं, जिसके कारण ये कायस्थ कहलाए और इनका नाम चित्रगुप्त कहलाया। इनके हाथों में कर्म की किताब, कलम और दवात है। इनकी लेखनी से ही जीवों को उनके कर्म के अनुसार न्याय मिलता है।
इसलिए पड़ा इस पर्व का नाम भाईदूज: आम बोलचाल की भाषा में हिंदी कैलेंडर की द्वितीया तिथि को दूज कहते हैं। क्योंकि यह त्योहार भाई द्वारा बहन के घर आने की मान्यता से जुड़ा है, इसलिए बदलते समय के साथ इस त्योहार का नाम भाई-दूज पड़ गया। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ज्यादातर लोग भाईदूज के नाम से जानते हैं।
ये हैं चित्रगुप्त महाराज के प्रमुख मंदिर...
स्वामी चित्रगुप्त मंदिर- हैदराबाद,श्री धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर- फैजाबाद उत्तर प्रदेश,चित्रगुप्त मंदिर- कांचीपुरम विधि : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यम और यमुना सूर्यदेव की संतान हैं। यमुना समस्त कष्टों का निवारण करनेवाली देवी स्वरूपा हैं। उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बहुत महत्व है।
स्वामी चित्रगुप्त मंदिर- हैदराबाद,श्री धर्महरि चित्रगुप्त मंदिर- फैजाबाद उत्तर प्रदेश,चित्रगुप्त मंदिर- कांचीपुरम विधि : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यम और यमुना सूर्यदेव की संतान हैं। यमुना समस्त कष्टों का निवारण करनेवाली देवी स्वरूपा हैं। उनके भाई मृत्यु के देवता यमराज हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना और यमराज की पूजा करने का बहुत महत्व है।
इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र के लिए हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज पूजन करनेवालों को मनोवांछित फल मिलता है। धन-धान्य, यश एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है।