
Chitragupta Puja 2022: दीपावली यानि 5 दिवसीय त्यौहार के आखिरी दिन यानि यम द्वितीया को भाईदूज के साथ ही इस दिन कायस्थ समाज द्वारा भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक इसे कार्तिक माह में शुक्लपक्ष के दूसरे दिन मनाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मृत्यु के देवता भगवान यम के सहयोगी चित्रगुप्त ही सभी मनुष्यों के कर्मों का रिकॉर्ड रखते हैं। और उसी के मुताबिक व्यक्ति को मृत्यु के पश्चात गति प्राप्त होती है। माना जाता है कि इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से कारोबार में तरक्की होने के साथ ही धन की भी वृद्धि होती है।
चित्रगुप्त जी की पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष के दूसरे दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। ऐसे में इस बार चित्रगुप्त पूजा 26 अक्टूबर मनाई जाएगी। द्वितीया तिथि बुधवार, 26 अक्टूबर के दिन दोपहर 02:42 से शुरु होगी और इसका समापन गुरुवार, 27 अक्टूबर दोपहर 12:45 बजे होगा।
इस दौरान जानकारों के अनुसार चित्रगुप्त जी की पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त बुधवार, 26 अक्टूबर को दोपहर 1:18 बजे से 3:33 बजे तक का है।
ध्यान रहें चित्रगुप्त पूजन में शुभ मुहूर्त में नए बहीखातों की पूजा करें। साथ ही चित्रगुप्त कथा का पाठ करने के बाद आरती करें।
चित्रगुप्त जी की पूजा की विधि
चित्रगुप्त जी की पूजा के तहत इस दिन एक चौकी पर चित्रगुप्त महाराज की तस्वीर स्थापित करें। और पूजा से पहले चित्रगुप्त जी की मूर्ति की सफाई करने के पश्चात उसे गुलाब जल से स्नान कराएं।
: फिर उनके सामने घी का दीया जलाएं और दही, दूध, शहद, चीनी और घी को मिलाकर पंचामृत तैयार करें। इसके बाद रोली, अक्षत्, फूल आदि उन्हें अर्पित करें। चित्रगुप्त जी को प्रसाद के रूप में मिठाई और फल का भोग लगाएं।
: अब सिंदूर, अबीर, हल्दी और चंदन के पेस्ट के मिश्रण से जमीन पर स्वास्तिक चिन्ह बनां। स्वास्तिक पर चावल रखकर उसके ऊपर आधा पानी भरा कलश रखें।
: फिर अपने पुराने सभी काम का ब्योरा चित्रगुप्त जी के सामने रखें ।
: एक सफेद कागज पर श्री गणेशाय नम: और 11 बार ऊं चित्रगुप्ताय नमः लिखें। चित्रगुप्त जी से अब विद्या, बुद्धि और जीवन में तरक्की की प्रार्थना करें।
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
चित्रगुप्त जी लेखा-जोखा रखने का कार्य करते हैं। इसलिए इनका मुख्य कार्य लेखनी से जोड़कर देखा जाता है, यही कारण है कि चित्रगुप्त जी के प्रतिरूप के तौर पर कलम या लेखनी का पूजन भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चित्रगुप्त जी का पूजन करने से बुद्धि, वाणी और लेखनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए यह दिन विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन नए बहीखातों पर 'श्री' लिखकर कार्य आरंभ किया जाता है। इसके अतिरिक्त सभी आय-व्यय का ब्योरा चित्रगुप्त जी के सामने रखा जाता है। कायस्थ समाज में चित्रगुप्त को आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है। इस दिन को लोग चित्रगुप्त जयंती के रूप में मनाते हैं व लेखनी-दवात का पूजन करते हैं। यही वजह है कि इसे दवात पूजन के नाम से भी जाना जाता है।
Published on:
25 Oct 2022 05:05 pm
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