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सूख गए सड़क पर लगे सैकड़ों पौधे

locationभोपालPublished: Mar 07, 2019 09:59:42 am

सीपीए और नगर निगम के दावे खोखले, चौराहों पर बने वर्टिकल गार्डन भी हैं बदहाल, नहीं दिया जा रहा ध्यान…

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सूख गए सड़क पर लगे सैकड़ों पौधे

भोपाल. राजधानी में हरियाली और फुलवारी डवलप और मेंटेन करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से नगर निगम की उद्यान शाखा, स्मार्ट सिटी और राजधानी परियोजना प्रशासन (सीपीए) की है। तीनों विभाग इस पर करोड़ों रुपए फूंक रहे हैं, लेकिन जहां जवाबदेही की बात आती है तो जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते हैं। इसका परिणाम यह है कि हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी परिणाम निराशाजनक हैं। पेड़-पौधों को लगाने और रखरखाव के दावे तो संबंधित विभाग करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बहुत दूर है। दावों के अनुसार न तो पेड़-पौधे दिखाई दे रहे हैं और न ही देखरेख और सिंचाई की जा रही है। परिणाम यह कि नए शहर की सड़कों के सेंटर वर्ज उजाड़ और धूल के अंबार नजर आ रहे हैं।
नगर निगम की उद्यान शाखा के उपायुक्त बीडी भूमरकर ने बताया कि ननि उद्यान शाखा शहर में कुछ नए पार्क शामिल करने के बाद 116 पार्कों के सिवा वीआईपी रोड, लिंक रोड-1 व 2, होशंगाबाद रोड, प्रभात पेट्रोल पम्प से भोपाल रेलवे स्टेशन जाने वाली 80 फुट रोड के दोनों तरफ व सेंटर वर्ज पर हरियाली/फुलवारी लगाने का काम करती है। पार्कों व सड़क किनारे और सेंटर वर्ज को डवलपमेंट/मेंटिनेंस पर खर्च करने के लिए उद्यान शाखा का सालाना बजट पांच करोड़ रुपए का बताया गया। नगर निगम के नए बोड्र्स के साथ नीचे ही सीपीए के छोटे बोर्ड लगे दिखाई दिए, जिनमें वर्ष 2017-18 के दौरान रोपित पौधों की संख्या भी दर्शायी गई है। हालांकि सीपीए के बोर्ड पर अंकित रोपित पौधे मौके पर नजर नहीं आ रहे। इनमें अधिकांश पौधे गायब हैं।
नहीं ट्रांसफर हुई कोई रोड
पिछले वर्ष स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने यह बताया था कि लिंक रोड नम्बर तीन, राजीव गांधी चौराहा, अरेरा पेट्रोल पम्प से मनीषा मार्केट, शाहपुरा ए-बी सेक्टर, त्रिलंगा होते हुए औरा माल तक सड़क के सेंट्रर वर्ज नगर निगम को ट्रांसफर हो चुके हैं, वहीं नगर निगम अधिकारियों ने कहा था कि ये सेंट्रर वर्ज सीपीए के ही पास हैं। असलियत भी यही बताई जा रही है कि ये सीपीए के पास हैं। इस तरह का कोई दायित्व ट्रांसफर किया जाता है तो बाकायदा लिखा-पढ़ी की जाती है, जो स्मार्ट सिटी के अधिकारी दिखा नहीं सके। मामले को छिपाने के लिए तरह-तरह की बातें बनाकर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। इस मामले की गंभीरता से जांच हो तो लाखों रुपए के घोटाले खुल सकते हैं।
किसी विभाग ने नहीं किया काम
शहर की जिन विवादित सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर नगर निगम और सीपीए ने अपने-अपने बोर्ड लगाए हैं, उनमें सौंदर्यीकरण कहीं नहीं दिखाई दे रहा। ज्यादातर स्थान पर घास और फुलवारी तो छोडि़ए, पेड़-पौधे भी नहीं हैं। धूल, मिट्टी और काली राख से सेंट्रल वर्ज अटे पड़े हैं। बड़े-बड़े ढेरों से धूल-मिट्टी उड़कर शहर की छवि को खराब कर रही है। सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर चालीस लाख रुपए के डपलवमेंट व मेंटेनेंस के बोर्ड लगाने वाली नगर निगम ने विवादित सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर सिर्फ बोर्ड ही लगाए, काम जरा सा भी नहीं किया।
हरियाली पर इतना किया खर्च
सीपीए अधिकारियों के अनुसार एक पौधे पर एक वर्ष में निराई, गुड़ाई, खाद, पानी सबका खर्च 605 रुपए आता है। वर्ष 2017-18 में सीपीए ने 6220 पौधे सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर रोपित किए। एक पौधे पर 605 रुपए खर्च के हिसाब से इस मद में सीपीए ने 37.63 लाख रुपए खर्च किए। सीपीए फॉरेस्ट विंग का सालाना बजट नौ करोड़ रुपए का है, जिसमें ढाई लाख पौधे और 240 स्थाई कर्मचारियों का खर्च शामिल है।
वहीं, नगर निगम की उद्यान शाखा से बताया गया कि वर्ष 2017-18 में पौधरोपण व मेंटेनेंस के लिए पांच करोड़ रुपए का बजट है, जिनमें पौधेरोपण पर 10-12 लाख ही खर्च किए गए हैं।
वर्ष 2017-18 में सड़कों के सेंट्रल वर्ज पर सीपीए का पौधरोपण
– बाबा नगर से दानिश कुंज – गैप प्लांटेशन- 350 पौधे
– दुर्गा नगर मंदिर से बरखेड़ा – गैप प्लांटेशन- 350 पौधे
– बजरंग मार्केट से एमजीएम स्कूल – गैप प्लांटेशन- 400 पौधे
– बाग मुगलिया से नई बस्ती – न्यू प्लांटेशन- 480 पौधे
– बाग मुगलिया से जाटखेड़ी – गैप प्लांटेशन- 600 पौधे
– राजीव गांधी चौराहा से औरा मॉल – गैप प्लांटेशन- 600 पौधे
– श्वेता कॉम्पलेक्स से दानापानी व आकृति सेंटर – गैप प्लांटेशन- 800 पौधे
– भोज विवि गेट से कजलीखेड़ा – गैप प्लांटेशन- 1600 पौधे
– हबीबगंज नाका से साकेत नगर – गैप प्लांटेशन- 1040 पौधे
बोर्ड की फिक्र, हरियाली की नहीं
स्मार्ट सिटी से आधिकारिक तौर पर बताया किया प्लेसमेकिंग प्रोजेक्ट के तहत इंदौर की एक फर्म बोर्ड बनवाकर पिछले वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले लगवाए गए थे। 8000 रुपए प्रति बोर्ड की दर से 500 बोर्ड का 40 लाख रुपए भुगतान किया गया। स्मार्ट सिटी को बजट खपाने की फिक्र थी, लेकिन पेड़-पौधों में एक बूंद पानी डालने की नहीं। यदि ऐसा नहीं होता तो अभी सैकड़ों पेड़ बच गए होते।
वर्टिकल गार्डन भी मुरझा रहे
सिटी में सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देने के लिए वर्टिकल गार्डन का प्रयोग तो उत्साहित करने वाला था, लेकिन इसके हश्र से शहरवासियों में निराशा हो रही है। रवीन्द्र भवन के पास स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा, लिंक रोड-1 पर शिवाजी प्रतिमा, एमपी नगर में महाराणा प्रताप की प्रतिमा, रोशनपुरा चौराहे पर जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा आदि स्थलों पर वर्टिकल गार्डन का प्रयोग स्मार्ट सिटी ने कराया था। रखरखाव न होने से वर्टिकल गार्डन के पौधे सूखकर नष्ट होने लगे हैं।
इनका कहना है…
लिंक रोड तीन समेत कुछ रोड के सेंट्रर वर्ज और ग्रीन बेल्ट सीपीए से ट्रांसफर होने की प्रक्रिया में हैं। इनके रखरखाव और सिंचाई का काम सीपीए को करना था, लेकिन पेड़-पौधे बचाने के लिहाज से नगर निगम इनकी सिंचाई कराएगा।
– बीडी भूमरकर, उपायुक्त-उद्यान, नगर निगम
लिंक रोड नम्बर तीन पर पौधरोपण हम करते आ रहे हैं। वर्ष 2017-18 में राजधानी की सड़कों के सेंट्रर वर्ज पर सीपीए प्लांटेशन की जानकारी आपको दे दी है। समय-समय पर सिंचाई की जाती है।
– उमाकांत पांडेय, एसडीओ, सीपीए
राजीव गांधी चौराहे से औरा मॉल तक सीपीए ने 600 पौधे गैप प्लांटेशन के तहत लगाए हैं। वहां हमने पौधरोपण किया है, जिसके साइनेज लगे हुए हैं। पेड़-पौधों में पानी डलवाया जाता है।
– मनोज चौधरी, एसडीओ, सीपीए
शहर के लिंक रोड-3 और कुछ अन्य सड़कों पर उद्यान शाखा वालों ने जहां-जहां बताया, वहां-वहां बोर्ड हमने लगवा दिए। कौन पेड़-पौधे लगवा रहा, कौन सिंचाई और मेंटेनेंस कर रहा, ये हमें नहीं पता।
– नितिन दवे, पीआरओ, स्मार्ट सिटी
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