
शासकीय फूल महल स्कूल के खतरनाक घोषित भवन में भी लगती है क्लासे
-सुधार की जगह पीडब्ल्यूडी फूल महल वाले हिस्से के भवन को भी खतरनाक घोषित कर पल्ला झाड़ लिया।
नीचे जिस हिस्से में माध्यमिक क्लासे लग रही है। उसमें कभी भी छत गिरने से जनहानि हो चुकी है। पड़ताल में सामने आया कि स्कूल प्रबंधन पुराने भवन को रिपेयर करने के लिए हर साल पीडब्ल्यूडी विभाग को लिखित में शिकायत कर रहा है,जबकि पीडब्ल्यूडी ने 2022 में ही जर्जर भवन को रिपेयर करने से मना कर दिया है। इतना ही नही इसके नीचे क्लासे लगाने पर होने वाले हादसे से भी पल्ला झाड़ लिया है। कक्षा पहली से 12वीं तक लगने वाले इस स्कूल में करीब 234 छात्राएं पढ़ती हैं। हाइ स्कूल की क्लासे तो नए बने हिस्से में लगती हैं,लेकिन 100 साल से अधिक पुराने फूल महल के हिस्से में छोटे बच्चों की क्लासे लगती है। सोमवार को स्कूल का निरीक्षण किया तो जर्जर स्कूल भवन का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह जीर्णशीर्ण हालात में था। नीचे के हिस्से में टीन के शेड, और टपकती छतों के नीचे लगे हरी नेट के नीचे बच्चों का क्लास रूम बना हुआ था। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी शिक्षा को लेकर जिम्मेदार कितना ध्यान दे रहे हैं। उसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी के सरकारी हायर सेकंडरी स्कूल के इतने दयनीय हाल है तो ग्रामीण क्षेत्र में क्या स्थिति होगी।
-टपकती छत के नीचे लगती क्लासे
स्कूल के दूसरी माला पर टपकती छत के मलवे और आसपास के लोगों द्वारा फेके जाने वाले कचरे के कारण क्लास इसमें नहीं लगती है। ऊपर जाने वाली सीढिय़ों की छत लकड़ी के विम पर टिकी है। कही बिम सडकऱ गिर चुके हैं। बीच के हिस्से को टीन के शेड से आधा ढक तो दिया है,लेकिन गर्मी में तपती धूप और बारिश में टपकती छत के नीचे ही कक्षा एक से आठवीं तक की क्लासे लगती है।
-ये मिले हाले हाल
यूं तो एक अप्रैल को स्कूल खुलने को लेकर सजावट इसमें दिखाई रही थी। करीब 50 बच्चे स्कूल में रिजल्ट को लेकर और उपस्थिति के रूप में आए थे। कथा छह में मात्र तीन बच्चे थे। वहीं बोर्ड पर बच्चे वेलकम लिख रहे थे। स्कूल के पीयून शाहीद खान ने बताया कि 30 सालों से वह स्कूल में है। यहां बारिश में पानी टपकता है और गर्मी में चादरें तपने से लोग परेशान होते हैं। स्कूल भवन से लगे मकानों का पानी से लेकर कचरा तक छत पर फैका जा रहा है। पिछले महिने ही एक ट्राली कचरा उठाया गया है।
-मेंटेनेंस की राशि ही पर्याप्त नहीं तो रिपेयर कैसे हो
बताया गया कि हायर सेकंडरी स्कूल को सालाना मेंटेनेंस की राशि 45 से 50 हजार रुपए ही मिलती है। जिसमें सफाई और मेंटेनेंस स्कूल को करना पड़ता है। लकडिय़ों का सुलभ शौचालय तक यहां पुराने जमाने का बना हुआ है।
-पुराने हिस्से में लोग करते जा रहे कब्जा
पड़ताल में सामने आया कि लोगों ने घरों की दीवारे तक स्कूल भवन की सीमा के अंदर तक जगह घेरकर बना रखी थी। घरों के खिडक़ी दरवाजों से लेकर छत पर जाने के लिए रास्ते निकाल रखे थे। वहीं से स्कूल के छत और परिसर में कचरा भी फेका जाता है।
सीधी बात-अनामिका खरे, प्राचार्या
सवाल-फूल महल स्कूल भवन के जर्जर हिस्सा कब से रिपेयर नहीं हुआ।
जबाब-इसके रिपेयर के लिए पीडब्ल्यूडी और सफाई के लिए कई बार निगम को पत्र दे चुके हैं। पीडब्ल्यूडी तो रिपेयर के जगह भवन खतरनाक घोषित कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ चुका है।
सवाल-टपकती छत और जर्जर शेड के नीचे क्लास क्यों लगाई जा रही है।
जबाब-कहां लगाएं बाकी की क्लासे, इतनी जगह ही नहींं है। मेंटेनेंस का बजट भी इतना कम है कि सफाई व्यवस्था करना भी मुश्किल होता है।
सवाल-नए सत्र में कैसे क्लासे लगा सकेंगे।
जबाब-व्यवस्था के लिए लिखा है। वैसे हमने बेल्डर को बुलाकर टूटी बैंचों और टेबिलों को रिपेयर कराया है, उन्हे पुतवा दिया है। छतों से गिरती धूल व मलवे को रोकने के लिए कर्टन लगाएं है।
Published on:
01 Apr 2024 08:07 pm
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