आयोग ने विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें आईकान बनाया था। तीन दिन पहले ही उन्होंने सीईओ कार्यालय पत्र दिया है कि वे अब चुनाव आयोग के आईकॉन नहीं होंगे। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सभी कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को निर्देश दिए हैं कि जिन होर्डिंगों में पद्मश्री प्रहलाद टिपाणिया की फोटो लगी है, उसे तत्काल निकालवाकर उसकी जगह पर दूसरी हार्डिंग लगाएं।
भोपाल में सरोजनी नायडू कालेज के सामने, न्यू-मार्केट सहित दस स्थाानों पर वोट देने की अपील करते हुए होर्डिंग लगाई गई थीं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्कूल, कालेज और पंचायतों सहित कई सार्वजनिक स्थानों पर हुए उनके फोटो वाली होर्डिंग लगाई गई थीं। इनमें से कई होर्डिंग तो विधानसभा के दौरान ही लगाई गई थीं।
अब इन सभी होर्डिंगों को हटाया जा रहा है। जबकि कलेंडर और डायरी में उनकी फोटो को छिपाने के लिए उस आकार के स्टीकर छपवाए जा रहे हैं, स्टीकरों को कलेक्टर और आरओ, एआरओ को उपलब्ध कराया जाएगा। ये अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि चुनावकर्मी कलेंडर-डायरी में बिना स्टीकर लगाए उसका उपयोग नहीं करेंगे।
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कैसे होता है आईकॉन चयन का प्रस्ताव आईकॉन बनाने का प्रस्ताव मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यायल से भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाता है। भारत निर्वाचन आयोग आईकॉन बनाने पर सहमति देता है। आईकॉन बनाने से पहले संबंधित व्यक्ति से इस बात की अंडरटेकिंग ली जाती है कि वह किसी राजनैतिक पार्टी से प्रेरित, अथवा जुड़े नहीं हैं। अगर उनका किसी राजनैतिक दल से संबंध होता है तो उन्हें आईकॉन नहीं बनाया जाता है।
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क्या हुआ था टिपानिया के मामले में
सोशल मीडिया और अखबारों में यह खबर चल रही थी कि कांग्रेस पार्टी टिपाणिया को लोकसभा का टिकिट दे रही है। इसके बाद जब इस संबंध में आयोग के अधिकारियों ने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि कांग्रेस की तरफ से इस तरह की पहल की गई है। आयोग ने उनसे कहा कि वे इस संबंध में आयोग को पत्र भेज दें।
इसके साथ ही अयोग ने उनके फोटो की होर्डिंग भी निकालवाना शुरू कर दिया गया। आयोग के अधिकारियों के अनुसार टिपाणिया को पिछले विधानसभा चुनाव में ही आईकॉन बनाया गया था। तब उन्होंने यह लिखकर दिया था कि उनका संबंध किसी राजनैतिक पार्टी से नहीं है, इसके चलते उन्हें आईकॉन बना लिया गया था।
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पद्मश्री प्रहलाद टिपाणिया ने पहले यह लिखकर दिया था कि उनका किसी राजनैतिक पार्टी से संबंध नहीं है। इसलिए उन्हें आईकॉन बनाया गया था। अब लिखकर दिया है कि उनका राजनीतिक पार्टी से संबंध हो गया है, इसके चलते उन्हें आईकॉन की सूची से बाहर कर दिया गया है।
अभिजीत अग्रवाल,
संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी