
खरगोन/बैतूल। 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा शुरू होते ही नकल के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। नकल कराने में वही लोग आगे भी आ रहे हैं, जिन पर बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी थी। क्लास में अपनी जिम्मेदारी न निभाते हुए परीक्षा केद्र पर नकल कराने के मामले में अब तक 46 लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है। इनमें 41 शिक्षक हैं।
खरगोन के सिरवेल में 10वीं बोर्ड परीक्षा में सामूहिक नकल करवाने के मामले में अब तक 17 शिक्षकों को दोषी मानकर सस्पेंड किया जा चुका है। पांच अतिथि शिक्षकों को नौकरी से ही हटा दिया गया है। सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य ने बताया कि संयुक्त दल ने 7 जुलाई को सिरवेल के परीक्षा केंद्र पर जांच की थी। इस दौरान 10वीं के सामाजिक विज्ञान की परीक्षा में संदिग्ध गतिविधि मिली। जांच के दौरान एक सूने मकान से 9 व्यक्तियों को नकल सामग्री के साथ पकड़ा गया था। इनमें 8 शिक्षक और एक महाराष्ट्र का आरोपी था। अन्य 14 शिक्षकों को भी सस्पेंड किया गया है।
बैतूल में 19 शिक्षकों पर हो चुकी है कार्रवाई
बैतूल के प्रभुढाना स्कूल में 12वीं की परीक्षा में सामूहिक नकल करवाने पर 19 शिक्षकों सहित 23 लोगों को निलंबित किया जा चुका है। इसी तरह दमोह में नकल करवाने के लिए 5 हजार रुपए की घूस लेते पर्यवेक्षक को लोकायुक्त की टीम ने गिरफ्तार किया था।
भोपाल: संजीवनी पॉली क्लीनिक में चार घंटे सेवा देने को भी तैयार नहीं डॉक्टर
- 190 में से सिर्फ 2 ही शुरू हो पाए
- 611 में से सिर्फ 181 में ही मरीजों को मिल रही सुविधाएं
इधर प्रदेश सरकार की संजीवनी पॉली क्लीनिक खोलने की योजना डॉक्टरों की कमी के चलते अटक गई है। सरकार की मंशा यहां तीन विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात कर आम जनता को घर के पास ही इलाज मुहैया कराने की थी, लेकिन यहां डॉक्टर आने को तैयार नहीं हुए। डॉक्टरों का रुख देख राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने विशेषज्ञों को यहां चार घंटे ही सेवा देने का ऑफर भी दिया, लेकिन इसके बाद भी विशेषज्ञ नहीं आए। इसके चलते प्रदेश में सिर्फ इंदौर और भोपाल में एक-एक क्लीनिक ही शुरू हो पाया।
प्रदेश के पहले पॉली क्लीनिक में सिर्फ एक डॉक्टर
प्रदेश में पहला पॉली क्लीनिक भोपाल के गोविंदपुरा में तीन माह पहले शुरू किया गया था। इसके बाद दूसरा क्लीनिक इंदौर में शुरू हुआ। तब स्वास्थ्य मंत्री ने जल्द ही 32 नए क्लीनिक शुरू करने की बात कही थी, लेकिन एक भी शुरू नहीं हो पाया। भोपाल के पॉली क्लीनिक में चाइल्ड स्पेशलिस्ट, गायनेकोलॉजिस्ट और मेडिसिन एक्सपर्ट की तैनाती की जानी थी, लेकिन गायनिक विशेषज्ञ ही मिल पाया। यहां भी 12 तरह की सेवाएं मिलना है।
यहां ओपीडी के साथ आपातकालीन सेवाएं, मातृ स्वास्थ्य सेवाएं
नवजात एवं शिशु देखभाल सेवाएं, बाल्यावस्था एवं किशोर देखभाल सेवाएं, परिवार नियोजन, संचारी रोग का परीक्षण, जांच व प्रबंधन, गैर संचारी रोगों की जांच, सामान्य जांच एवं रोग प्रबंधन, ईएनटी परामर्श व जांच, 8 प्रकार की जांचें, ओरल हेल्थ, बुजुर्गों और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जानी थी। 20 से 25 हजार आबादी को इससे सुविधा मिलती।
427 करोड़ रुपए मिले हैं केंद्र से
प्रदेश में दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर संजीवनी क्लीनिक शुरू करने की योजना बनाई गई। इसके तहत 611 संजीवनी क्लीनिक और 190 पॉली क्लीनिक तैयार किए जाने थे। इसके लिए केंद्र से 427 करोड़ का फंड भी मिला। संजीवनी क्लीनिक के लिए जमीन नगरीय निकायों को तलाशना थी। एमबीबीएस डॉक्टर व अन्य स्टाफ की व्यवस्था एनएचएम को करना है। बड़े शहरों में तो यहां डॉक्टर तैनात हैं, लेकिन छोटे शहर और गांवों में डॉक्टर जाने को तैयार नहीं है।
संजीवनी क्लीनिक और पॉली क्लीनिक के लिए अलग से भर्ती की जानी है। बड़े शहरों में डॉक्टर्स की उपलब्धता आसानी से की जा सकती है। आम जनता के लिए यह अच्छी योजना है। मेरे कार्यकाल में तो काफी भर्तियां हुई है। अब कुछ दिक्कतें हैं तो विभाग को इसे दूर करना चाहिए।
- डॉ. पंकज शुक्ला, रिटायर्ड डायरेक्टर, एनएचएम
सिर्फ बिल्डिंग बनाने से डॉक्टर शासकीय सेवा में नहीं आएंगे। डॉक्टर जब भर्ती होता है तो वह यह भी देखता है कि आगे उसे ग्रोथ मिलेगी या नहीं। केंद्र की पॉलिसी के कारण वहां अस्पतालों में पद खाली नहीं रहते। मध्यप्रदेश में डॉक्टर आना नहीं चाहते। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।
- डॉ. माधव हासानी, अध्यक्ष, मप्र मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन
Published on:
10 Mar 2023 01:00 am
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