मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से 14 सीटें ऐसी हैं जिन पर पिछले 15 सालों से कांग्रेस जीत नहीं पाई है। वहीं, बीजेपी केवल 2 सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है। तो 13 ऐसी लोकसभा सीटें है जहां पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल जीतते रहे हैं।
निर्वाचन आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, भोपाल, इंदौर, विदिशा, मुरैना, भिंड, सागर, टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, जबलपुर, बालाघाट, बैतूल और रीवा लोकसभा सीटें शामिल हैं। हालांकि रीवा में भाजपा ने भी लगातार जीत दर्ज नहीं की है। 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां से बहुजन समाज पार्टी के देवराज पटेल ने जीत दर्ज की थी भाजपा यहां भले ही लगातार चुनाव नहीं जीती हो पर कांग्रेस के जीत का खाता यहां 15 सालों से ज्यादा के समय पर नहीं खुला है।
प्रदेश की 9 लोकसभा सीटों को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। जिनमें से पांच सीटों पर भाजपा का 1989 से कब्जा है जबकि 4 सीटों पर 1996 से भाजपा जीत रही है।
संसदीय सीट | किसका गढ़ | कब से मिल रही है जीत |
भोपाल | भाजपा | 1989 से लगातार चुनाव जीत रही है भाजपा |
विदिशा | भाजपा | 1989 से लगातार चुनाव जीत रही है भाजपा |
भिंड | भाजपा | 1989 से लगातार चुनाव जीत रही है भाजपा |
दमोह | भाजपा | 1989 से लगातार चुनाव जीत रही है भाजपा |
इंदौर | भाजपा | 1989 से लगातार चुनाव जीत रही है भाजपा |
मुरैना | भाजपा | 1996 से बीजेपी की लगातार जीत |
सागर | भाजपा | 1996 से बीजेपी की लगातार जीत |
जबलपुर | भाजपा | 1996 से बीजेपी की लगातार जीत |
बैतूल | भाजपा | 1996 से बीजेपी की लगातार जीत |
प्रदेश की दो लोकसभा सीटें ऐसी हैं जो अब धीरे-धीरे भाजपा का गढ़ बनती जा रही है। विंध्य क्षेत्र की सतना और बालाघाट लोकसभा सीट ऐसी हैं जहां से 1998 से लगातार भाजपा की जीत हो रही है।
प्रदेश की बाकी 13 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं। इन सीटों को किसी पार्टी का गढ़ नहीं कहा जा सकता है। यहां पर हार जीत का पैमाना उम्मीदवार का चयन होता है। इनमें से सबसे खास है ग्वालियर लोकसभा सीट। हालांकि इस सीट पर 2007 से भाजपा का कब्जा है। 2007 में यहां उपचुनाव हुए थे और यहां से भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव जीतीं, 2009 में भी यशोधरा राजे की जीत हुई। इसके बाद 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा के नरेन्द्र सिंह तोमर चुनाव जीते। धीरे-धीरे यह सीट भाजपा का गढ़ बनती जा रही है। ग्वालियर के अलावा खंडवा, झाबुआ, और राजगढ़ लोकसभा ऐसी सीटें हैं जहां दोनों दलों को जीत मिलती रही है। 2014 में झाबुआ-रतलाम सीट पर भाजपा की जीत हुई थी लेकिन उपचुनाव में यहां से कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया ने जीत दर्ज की थी। राजगढ़ लोकसभा सीट को दिग्विजय सिंह का गढ़ माना जाता है पर 2014 में यहां से भाजपा को रोडमल नागर ने जीत दर्ज की थी।
संसदीय सीट | कब कौन जीता |
शहडोल | 2014 में भाजपा जीती, 2009 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी |
मंडला | 2014 में भाजपा जीती, 2009 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी |
होशंगाबाद | 2009 में कांग्रेस ने उदय प्रताप जीते, 2014 में उदयप्रताप भाजपा में शामिल होकर जीते |
देवास | 2014 में भाजपा के मनोहर ऊंटवाल, 2009 में कांग्रेस के सज्जन सिंह जीते |
उज्जैन | 2104 में भाजपा, 2009 में कांग्रेस के प्रेमचंद जीते |
मंदसौर | 2014 भाजपा, 2009 में कांग्रेस की मिनाक्षी नटराजन (1989 से 2004 तक भाजपा का कब्जा रहा) |
धार | 2014 में भाजपा, 2009 में कांग्रेस की जीत (कोई भी लगातार दो बार नहीं जीता इस सीट पर) |
सीधी | 2009 से भाजपा जीत रही है, 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी |
खरगौन | 2009 से भाजपा जीत रही है, 2007 के उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी |
मध्यप्रदेश में दो ही ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा जीत के लिए लंबे समय से तरस रही है। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट पर 1999 से कांग्रेस का कब्जा है। 1999 में यहां से कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने जीत दर्ज की थी। 2001 में उनके निधन के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से लगातार सांसद हैं। वहीं, छिंदवाड़ा लोकसभा सीट मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ है। कमलनाथ छिंदवाड़ा से 10 बार सांसद रहे हैं। 1997 में हुए उपचुनाव में यहां भाजपा ने जीत दर्ज की थी उसके बाद से लगातार कमलनाथ जीत रहे हैं।