
भोपाल। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद कमलनाथ ने भाजपा सरकार पर एक बार फिर हमला किया है, इसके तहत उन्होंने सीएम शिवराज से 13 सवाल पूछे हैं। उन्होंने प्रदेश में हुई एक घटना को प्रदेश के इतिहास का सबसे काला दिन व बेहद शर्मनाक घटना है।
दरअसल किसानों के मुद्दे पर मध्यप्रदेश में एक बार फिर सरकार घिरती नजर आ रही है। मंदसौर कांड के बाद अब टीकमगढ़ में किसानों पर पुलिस का कहर बरसा है, जिसकी जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। वहीं सरकार किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प और हिंसा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रही है| पुलिस लॉकअप में किसानों को अर्धनग्न कर पीटने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है| इस बीच कांग्रेस सांसद कमलनाथ ने टीकमगढ़ घटना को प्रदेश के इतिहास में सबसे काला दिन व शर्मनाक घटना बताया है।
कमलनाथ ने फेसबुक पर पोस्ट कर शिवराज सरकार पर हमला बोला है| अपने पोस्ट में कमलनाथ ने लिखा है पुजारी की सरकार में अन्नदाता की ये दशा बेहद शर्मनाक है।
टीकमगढ़ की घटना से किसान गुस्साए महापंचायत में आज उठेगा मुद्दा:
तीन माह से खामोश किसान मांगों को लेकर फिर लामबंद हो गए हैं। टीकमगढ़ में किसानों के साथ हुई घटना से किसानों का गुस्सा और बढ़ गया है। भारतीय किसान यूनियन ने शुक्रवार काे राजधानी में किसान महापंचायत बुलाने का ऐलान किया है। यूनियन के प्रदेश महामंत्री अनिल यादव ने बताया कि भोपाल के भेल दशहरा मैदान में होने वाली महापंचायत में राष्ट्रीय पदाधिकारी राकेश सिंह टिकैत, राजपाल शर्मा, धर्मेंद्र मलिक समेत कई पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। आम आदमी पार्टी के संयोजक आलोक अग्रवाल ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार का असली चेहरा बार-बार सामने आया है।
कमलनाथ ने टीकमगढ़ की घटना पर शिवराज से ये सवाल कर मांगा है जवाब...
- टीकमगढ़ ज़िला सूखे की चपेट में हैं या नहीं ?
- क्या खेत बचाओ-किसान बचाओ आंदोलन कर रहे ,किसानो की मांगे ग़ैरवाजिब थी ?
- क्या किसानो को अपने हक़ के लिये आंदोलन का हक़ नहीं है ?
- क्या प्रदेश में किसी भी थाने के लॉकअप में बंद करने के पूर्व सभी के कपड़े उतार लिए जाते है ?
- सर्वाधिक कृषि विकास दर वाले राज्य की सरकार के किसान पुत्र मुखिया को ये डर क्यों था कि किसान लॉकअप में फाँसी लगा लेंगे ?
- अपनी मांगो को लेकर शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहा किसान ,शिवराज सरकार को हर समय उपद्रवी क्यों नज़र आता है ?
- मंदसौर कांड की तरह इस शर्मनाक घटना के बाद ,आप फिर ज़िम्मेदारियों से भाग कर उपवास पर तो नहीं बैठ रहे हो ..?
- क्या मंदसौर गोली कांड की तरह टीकमगढ़ घटना के दोषियों पर भी कार्यवाही नहीं करेगी सरकार ? जाँच के नाम पर अभी तक क्यों टालम -टोल की जा रही है ?
- इतनी शर्मनाक घटना के बाद भी अभी तक मुख्यमंत्री या कोई अन्य सरकार का ज़िम्मेदार नुमाइंदा घटनास्थल पर पीड़ितों से मिलने अभी तक क्यों नहीं पहुंचा ?
- आख़िर क्या कारण है कि शिवराज को किसानो के हर आंदोलन में कांग्रेस का षड्यंत्र नज़र आता है ? शिवराज को किसान , कब किसान नज़र आयेगा...? अभी तो उन्हें सपने में भी किसान , कांग्रेसी नज़र आ रहा है ...?
- किसानों के इस शांतिपूर्ण आंदोलन में क्यों ज़िम्मेदार अधिकारी घंटो तक ज्ञापन लेने उनके बीच नहीं आये ? जिससे माहौल ख़राब हुआ ...ऐसे लोगों को उलटा कब टाँगेंगे ?
- आंदोलन समाप्ति के बाद ,घर लौट रहे किसानो से क्या ख़तरा था जो उन्हें लॉकअप में बंद कर, उन्हें प्रताड़ित करना पड़ा ?
- क्या कारण है कि किसानो के हर आंदोलन के बाद शिवराज सरकार किसानो का पक्ष लेकर , उनके साथ खड़ी होने के बजाय , किसानो का दमन व उनपर अत्याचार करने वालों के पक्ष में खड़ी हो , उनका बचाव करने लग जाती है ..?
इधर, कांग्रेस की मांग, प्रदेश में सरकार पेट्रोल-डीजल के 30 प्रतिशत कम करे दाम:
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवि सक्सेना ने भोपाल में कहा है कि मप्र में पेट्रोल पर 38 प्रतिशत तक वेट और अतिरिक्त कर वसूला जा रहा है, वहीं डीजल पर 28 प्रतिशत वेट और अतिरिक्त कर लगाकर देश में सबसे अधिक दरों पर पेट्रोलियम पदार्थ प्रदेश के उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराकर उन्हें लूटा जा रहा है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की दरें 50 डॉलर प्रति बेरल विगत् तीन वर्षांे से स्थिर हैं। इस मान से उपभोक्ताओं को पेट्रोल-डीजल 45 और 50 रूपये प्रति लीटर की दर से मिलना चाहिए, किन्तु मप्र की मुनाफाखोर सरकार लगातार महंगी दरों पर पेट्रोल-डीजल उपलब्ध कराकर अपना खजाना भर रही है। अब कहीं जाकर केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर मात्र 2 रूपये प्रतिलीटर की कमी करने की घोषणा करने जा रही है तथा उसी परिप्रेक्ष्य में प्रदेश की भाजपा सरकार भी मात्र 2 रूपये कम करने की घोषणा जीएसटी कॉउंसिल के बाद करने की संभावना है, जो कि ऊंट के मंुह में जीरे के समान है।
सक्सेना ने कहा कि राज्य सरकार विगत् 5 वर्षों से देश में सबसे ज्यादा पेट्रोलियम पदार्थों पर वेट एवं अतिरिक्त कर वसूलकर जनता का खून चूस रही है, तब मात्र 2 रूपये प्रतिलीटर कम करना अत्यंत हास्यास्पद घोषणा होगी।
सक्सेना ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार से मांग है कि इस भीषण महंगाई के दौर में पेट्रोल-डीजल पर कम से कम 30 प्रतिशत वेट एवं अतिरिक्त कर की दरें घटायें तभी प्रदेश की जनता को किंचित मात्र राहत मिल सकेगी।
अगले सप्ताह सरकार कम कर सकती है दाम:
वहीं मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स की कमी का दीपावली गिफ्ट मिलना लगभग तय हो गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से कहा कि राज्य सरकार पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स कम करने पर विचार कर रही है। जल्द ही निर्णय हो जाएगा। सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने भी टैक्स कम किए जाने की बात कही।
उन्होंने वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया से इस मामले में चर्चा भी की। सारंग बोले, जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद टैक्स कम किए जाने पर फैसला हो जाएगा।
इस मामले में केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को ट्वीट कर सभी राज्यों से अपील की थी कि राज्य ५ प्रतिशत तक टैक्स घटाएं।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने इसे रीट्वीट किया। इसके पहले केन्द्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली भी राज्यों से पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम करने का आग्रह कर चुके हैं।
नेता प्रतिपक्ष की चुटकी
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि अब अमित शाह ने ट्वीट किया तो सरकार टैक्स कम करने की बात कहने लगी है। उन्होंने चुटकी ली कि क्या शिवराज अमित शाह के ट्वीट से ही मानते हैं।
लिखा था वित्तमंत्री को पत्र
देश में इस समय पेट्रोल और डीजल के दाम उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार में यही दाम अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं अधिक है। इसकी वजह यहां लगने वाला वैट और अतिरिक्त कर इसका अहम कारण है। सितंबर माह में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा था कि राज्य में डीजल पर 27 फीसदी और पेट्रोल पर 31 फीसदी वैट लगता है, इसके अलावा डीजल पर डेढ़ रुपए व पेट्रोल पर चार रुपए प्रति लीटर अलग से कर के तौर पर लिया जाता है। इस संबंध में वित्तमंत्री को लिखे पत्र में गौर ने कहा था कि मध्यप्रदेश के मुकाबले महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वैट की दरें काफी कम है।
यहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश नारायण सारंग ने यशवंत सिन्हा को लिखा पत्र :-
बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश नारायण सारंग ने यशवंत सिन्हा को पुराने साथी होने का हवाला देते हुए समझाने का प्रयास करते हुए एक पत्र लिखा है। लिखा है प्रधानमंत्री ने आपको मुलाकात के लिए वक्त नहीं दिया तो आप बयानवाजी कर रहे हैं।
शायद राज्यपाल बनाना चाहते हैं। क्योंकि राज्यपालों की सूची फाइनल होने के बाद आपका बयान सामने आया है। उनके अनुसार प्रधानमंत्री की अपनी व्यस्तता है, मुलाकात के लिए समय नही दे पाए होंगे, इसका मतलब यह तो नही कि हम मीडिया में बयान देने लगें।
Published on:
06 Oct 2017 05:23 pm
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