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विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी का सीक्रेट प्लान हुआ लीक- देखें वीडियो

पार्टी कार्यालय में शनिवार को प्रदेश प्रभारी सहित पार्टी पदाधिकारियों की बंद कमरे में बैठक हुई।

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भोपाल। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बावरिया सहित कांग्रेस पदाधिकारियो की उपस्थिति में बंद कमरे में हुई। यहां बावरिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में इस बार सत्ता परिवर्तन(Assembly Election 2018) होने जा रहा। शिवराज से लोग त्रस्त हैं। ऐसे में हमें लोगों के बीच जाकर जमकर मेहनत करनी चाहिए। बैठक में कांग्रेस के पूर्व और वर्तमान पदाधिकारी मौजूद रहे।

बावरिया ने यहां कहा कि हमारे सामने कई मुद्दे आते हैं जिन पर हमें गौर करने के साथ ही जनता (Vidhan Sabha Chunav) की मदद के लिए सामने आना होगा।

ये उठाये मुख्य मुद्दे:
1. mp में 156 बड़े घोटाले हुए, लूट मचा कर रख दी।
2. कानून व्यवस्था बेकार हो गई।
3. भावन्तर से किसान पीड़ित हैं।
4. 4500 रेप मध्यप्रदेश में हुई जिसमें से 250 गैंगरेप हुए। वहीं रेप की FIR तक यहां नहीं होती।
उन्होंने कहा कि ये वे मुद्दे हैं जिन्हें हम सामने लाकर जनता की भलाई कर सकते हैं।

सभी को एकजुट करने की कोशिश:
इससे पहले शुक्रवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस सेवादल के साथियों ने प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया को गार्ड आॅफ आॅनर के साथ सलामी दी। यहां दीपक बाबरिया ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता (MP Election 2017 Congress Plan) इस समय उत्साह से भरपूर हैं, साथ ही पार्टी 2018 के चुनाव की तैयारियों में लगी है ऐसे में सभी को एकजुट करने की कोशिश जारी हैं।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में चल रही बैठक के दौरान प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा कि पार्टी में टिकट के लिए उम्र का कोई बंधन नहीं है। वहीं कार्यकर्ताओं में उत्साह (MP Assembly Election) होने के साथ ही वे सभी एकजुट है। जबकि भाजपा सरकार से लोग अब त्रस्त हो चुके हैं क्योंकि इन्हें आम आदमी की फिक्र नहीं है।

दरअसल दीपक बाबरिया ने आज प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में संगठन के प्रदेश, जिला एवं ब्लॉक पदाधिकारी और पूर्व मंत्री, सांसद एवं विधायकों की संयुक्त बैठक बुलाई। इस बैठक का उद्देश्य था कि हर नेता अपनी बात कह सकेंगे। जिस नेता को संगठन के शिकायत है, उसको लेकर भी संयुक्त बैठक में अपनी बात कह सके।

कांग्रेस में इस बैठक को भड़ास बैठक का नाम दिया गया। जिसमें नाराज नेता भी अपने मन की बात कह सकें। यहां बता दें कि इस तरह की बैठकें कांग्रेस में पहले भी होती रही हैं, जहां नाराज नेता भड़ास बैठकों के जरिए संगठन के सामने अपनी बात रखा करते थे। लेकिन पिछले कुछ समय से भड़ास बैठकें नहीं हुईं।

वहीं सूत्रों के मुताबिक प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी दीपक बाबरिया के आने के बाद अब पार्टी के कुछ पदाधिकारियों को परेशान होना पड़ रहा है, इसका कारण यह बताया(Madhya Pradesh Assembly Election Schedule 2018) जाता है कि वे हर बैठक में पार्टी नेताओं से यही जवाब मांगते हैं कि उन्होंने संगठन के लिए क्या किया है। वहीं उनके इस सवाल के अधिकांश नेता निरुत्तर रहे हैं।

जिम्मेदारी के लिए हामी नहीं:
इससे पहले बुधवार को पीसीसी में हुई अलग-अलग मोर्चा प्रकोष्ठ एवं पूर्व छात्र नेताओं की बैठकों में भी नेता संगठन में पद मांगते रहे, लेकिन किसी ने चुनाव मेें कोई जिम्मेदारी लेने की हामी नहीं भरी।
बाबरिया इन दिनों 5 दिन के मप्र प्रवास पर हैं, इस दौरान वे संगठन के हर नेता और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं। इसी क्रम में वे आज महिला मोर्चा, एनएसयूआई एवं यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों( MP Election 2017) से भी मुलाकात कर रहे हैं। वे हर नेता से एक सवाल पूछ रहे हैं कि उन्होंन अभी तक संगठन के लिए क्या किया और आगे क्या करना चाहते हैं। पद मांगने वालों को वे नसीहत दे रहे हैं।

पूर्व छात्र नेताओं से बाबरिया ने बुधवार रात को दो टूक कहा कि वे पद बांटने नहीं आए हैं, जिसे संगठन के लिए काम करना है, वही अब कांग्रेस में टिक सकता है। इतना ही नहीं वे नेता समर्थकों को भी नसीहत दे रहे हैं कि वे नेता विशेष के लिए काम नहीं करें, बल्कि संगठन के लिए काम करें। बाबरिया के तेवरों से कांग्रेस के उन नेताओं के हड़कंप मचा है जो अभी तक अपने समर्थकों के लिए नारेबाजी करते नजर आए हैं।

सख्त हिदायत के बाद नारेबाजी बंद :
प्रदेश प्रभारी बनने के बाद बाबरिया जब पहली बार भोपाल आए थे, तब भोपाल रेलवे स्टेशन पर अगवानी करने पहुंचे सांसद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों (Congress Plan for Assembly Election 2017) ने अपने-अपने नेताअेां के समर्थन में नारेबाजी की थी। बाबरिया ने तभी नेता समर्थकों को सख्त हिदायत दे दी थी कि वे नेता के लिए नहीं बल्कि संगठन के लिए काम करें। इसके बाद उन्होंने संगठन की बैठकों में इसको लेकर को दो टूक कहा कि नेता समर्थक संगठन(Vidhan Sabha Chunav Poll 2018) में नहीं चल जाएंगे। बाबरिया की सख्ती का असर यह हुआ कि अब पीसीसी में किसी भी नेता के समर्थन में नारे नहीं लगते हैं।