पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के विधायक कमलेश्वर पटेल ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में शनिवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि जब कमलनाथ सरकार ने 19 माह पहले इसे लागू कर दिया था, तो कुछ तथाकथित आरआरएस (rss) के लोगों ने कोर्ट में जाकर बढ़े हुए आरक्षण को रोकने का प्रयास किया। इसके बाद महाधिवक्ता को 19 माह बाद यह समझ आया कि कोर्ट के आदेश में क्या-क्या था। इसके बाद शिवराज सरकार ने सभी परीक्षाओं और भर्ती में 27 फीसदी लागू करने के आदेश जारी कर दिए।
पटेल ने कहा कि कमलनाथजी ने संजीदा ढंग से इस मुद्दे को उठाया। इसके बाद सरकार को भी 19 माह लग गए इसे लागू करने में। पटेल ने कहा कि इंदिरा जय सिंह, विवेक तन्खा इस मामले में पैरवी कर रहे हैं। लगातार एडवोकेट का ओबीसी वर्ग भी इस पर काम कर रहा है। पटेल ने कहा कि कृषि से लेकर कई कानून जो गरीबों के हित के लिए बने हैं वो वो कांग्रेस सरकार ने बनाए है। भाजपा का इससे कोई लेना देना नहीं है।
हमारे वकील भी कोर्ट में हैं
पटेल ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान कई बार आरोप लगाते हैं कि कमलनाथ सरकार की तरफ से कोई वकील कोर्ट में नहीं गया। पटेल ने कहा कि जबकि शिवराज सरकार के वकील ही दस बार कोर्ट में प्रस्तुत नहीं हुए। हमारे महाधिवक्ता ने ही कोर्ट में यह तथ्य प्रस्तुत किया था कि मध्यप्रदेश में 51.9 प्रतिशत आबादी पिछड़ा वर्ग की है।
क्या 6 मामलों में मिलेगा ओबीसी को आरक्षण
पटेल ने कहा कि जिन छह मामलों में जबलपुर हाईकोर्ट ने स्टे दिया है, क्या इसके ओबोसी वर्ग को भी लाभ मिल पाएगा। यदि नहीं तो शिवराज सरकार को माफी मांगना चाहिए। पटेल ने कहा कि मैं शिवराज सरकार से मांग करता हूं कि जल्द से जल्द रुकी हुई भर्ती को शुरू करवाएं और सभी को 27 फीसदी आरक्षण (obc reservation) का लाभ दिलाया जाए।