आइपीएस एसेसिएशन सहित देश के विभिन्न संगठनों ने प्रज्ञा के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। इस बीच शाम होते-होते प्रज्ञा ने अपना बयान यह कहते हुए वापस ले लिया कि जिसे दुश्मन ने मारा है, वह सम्मानीय है। इधर, भोपाल में रह रहीं करकरे की बहन नेहा हर्षे ने प्रज्ञा के बयान पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
सुबह कार्यकर्ता सम्मेलन में शहीद आइपीएस को ऐसे दिया श्राप
हेमंत करकरे को सुरक्षा आयोग के सदस्य ने बुला कर कहा था कि सबूत नहीं है तो साध्वी को छोड़ दो। रखना गैरकानूनी है। करकरे का जवाब था कि कुछ भी करूंगा, सबूत लाऊंगा, नहीं होंगे तो बनाऊंगा, लेकिन साध्वी को नहीं छोड़ूंगा। ये करकरे की कुटिलता थी, ये देशद्रोह था, धर्म विरुद्ध था। वो मुझसे कहता कि क्या मुझे सच जानने के लिए भगवान के पास जाना होगा।
तब मैंने कहा कि आवश्यकता है तो आप जाइए…। मैंने कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा। उसने मुझे गंदी गालियां दी, प्रताडऩा दी। सवा महीने में सूतक लगता है। सवा महीने में ही आतंकियों ने उन्हें मार डाला। यदि मेरी जमानत रद्द होती है तो भी जेल से चुनाव लड़ूंगी और जीतूंगी। अगर चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगा तो भी भोपाल में भाजपा ही जीतेगी। विरोधी का कैरियर खत्म हो जाएगा। (जैसा कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रज्ञा बोलीं)
भाजपा ने करकरे को बताया शहीद
भाजपा के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पार्टी का स्पष्ट मानना है कि हेमंत करकरे आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। भाजपा ने उन्हें शहीद माना है। जहां तक प्रज्ञा के इस संदर्भ में बयान का विषय है तो यह उनका निजी बयान है, जो वर्षों तक उन्हें हई शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा के कारण दिया गया होगा।
शाम होते-होते पार्टी के निर्देश पर बोलीं- यह मेरा व्यक्तिगत बयान
सूत्रों के मुताबिक इस बयान पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह नाराज हुए। उनके निर्देश पर भाजपा के मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने विज्ञप्ति जारी कर सफाई दी। प्रज्ञा अपना बयान वापस नहीं लेने पर अड़ी थी। बाद में प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने प्रज्ञा से बात करके केंद्रीय संगठन की मंशा बताई।
इसके बाद प्रज्ञा ठाकुर ने बयान वापस लेते हुए मीडिया से कहा, अगर मेरे बयान से दुश्मन मजबूत होता है तो मैं अपना बयान वापस लेती हूं। यह मेरा व्यक्तिगत बयान था, क्योंकि मैंने यातनाएं सहन की थी। मैं संन्यासी हूं। अपने भाव में रहती हूं। हम अपने देश को कभी कमजोर नहीं होने देंगे। यह घर की लड़ाई है। मैंने कहा कि मुझे प्रताडि़त किया गया तो यह भाव गलत हो ही नहीं सकता। लेकिन बयान से दुश्मन को बल मिल रहा है। हम दुश्मन का बल नहीं बढ़ाएंगे।
आइपीएस एसोसिएशन ने किया विरोध
आईपीएस एसोसिएशन ने ट्वीट कर लिखा, ‘अशोक चक्र से सम्मानित दिवंगत आईपीएस हेमंत करकरे ने आतंकवादियों से लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया। हम सभी एक उम्मीदवार द्वारा दिए गए इस तरह के अपमानजनक बयान की निंदा करते हैं। ऐसा बयान शहीद हेमंत करकरे का अपमान है। हमने मांग की है कि सभी शहीदों के बलिदान का सम्मान किया जाए।
दिग्विजय ने पहले परहेज किया फिर कहा- करकरे पर है गर्व
दिग्विजय सिंह पहले तो मीडिया के सामने प्रज्ञा के बयान पर प्रतिक्रिया देने से बचते रहे। बाद में उन्होंने कहा, चुनाव आयोग का साफ निर्देश है कि सेना और शहीद, इनके बारे में कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। सभी उम्मीदवारों को इसका पालन करना चाहिए। आइपीएस हेमंत करकरे बहुत ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अधिकारी थे। वे मुंबई में आतंकियों के हमले में शिकार हुए थे। उन्होंने मुंबई के लोगों के लिए शहादत दी, ऐसे लोगों पर हमें गर्व है। हम उन्हें भुला नहीं सकते।
कलेक्टर से मांगी पूरी रिपोर्ट
इस बयान पर लेकर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए मामले की जांच शुरू की है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने कहा कि 26/11 के शहीद के खिलाफ बायन देने को लेकर भोपाल लोकसभा सीट की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा के मामले में भोपाल कलेक्टर से पूरी रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट आने के बाद निर्णय लिया जाएगा।
मुंबई हमले में शहीद हुए थे करकरे
26 नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले में मुंबई एटीएस चीफ हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे और एनकाउंटर विशेषज्ञ विजय सालस्कर सहित 17 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए थे। बाद में केंद्र ने शहीद करकरे को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया। इस आतंकी हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी।
कमलनाथ बोले- शहीदों का अपमान करने का हक नहीं
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि जिन लोगों ने आतंकवाद से लड़ते हुए देश की रक्षा के लिए शहादत दी है, सीने पर गोलियां खाई हैं। उनका अपमान करने का हक किसी को नहीं है। एक तरफ आतंक और शहीदों के नामों का राजनीतिक उपयोग करते हैं, दूसरी तरफ ऐसे बयान। दोहरा चरित्र नहीं चलेगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, यह धर्मयुद्ध नहीं बल्कि भारत की दो विचारधाराओं का युद्ध है। एक तरफ मु_ीभर और सूट-बूट वाले लोग हैं तो दूसरी ओर जनता की विचारधारा वाले लोग हैं। जीत जनता की होगी।