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देश के यह बैंक खतरे में, सिर्फ दो ज़िलों में 150 करोड़ का नुक़सान, जानिए प्रदेशभर का हाल

देश के यह बैंक हैं खतरे में, सिर्फ दो ज़िलों में 150 करोड़ का नुक़सान, जानिए प्रदेशभर का हाल

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देश के यह बैंक खतरे में, सिर्फ दो ज़िलों में 150 करोड़ का नुक़सान, जानिए प्रदेशभर का हाल

भोपालः मध्य प्रदेश में जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के हालात बड़े चिंताजनक है। इसमें अगर बात की जाए प्रदेश के सिर्फ दो ज़िलों की दतिया और रीवा के सहकारी बैंकों को करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए से ऊपर जा पहुंचा है। इसी के चलते बैंकिंग रेग्यूलेशन एक्ट के तहत नाबार्ड यानि राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ने कई प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसके चलते अब जब तक इनके हालात में सुधार नहीं आएगा तब तक इन्हें किसी तरह की आर्थिक मदद भी नहीं मिलेगी। हालांकि, नाबार्ड की ओर से यह अपील भी जारी की गई है कि अगर बैंकों के हालात इससे ज़्यादा बिगाड़ की ओर गए तो रिजर्व बैंक भी इन बैंको से कारोबारी लाइसेंस भी वापस ले सकता है। फिलहाल, इन बैकों की स्थिति इस समय काफी निंदनीय है, लेकिन इससे सुलझने के लिए बैंकों अपने ऊपर गुज़र रहीं विकट स्थितियों का खुद ही सामना करना होगा।

यह है बिगाड़ का मुख्य कारण

मिली जानकारी के मुताबिक़, इन सहकारी बैकों की इतनी खस्ता स्थिति का कारण कहीं न कहीं मौसम है, जिसमें इलाक़े में सही बारिश ना होने के कारण खेती के हिसाब का मौसम नहीं बन पाया, जिसके चलते किसान द्वारा ली गई बैंकों से राषि वो लौटा नही सके, जिसका सीधा असर बैंकों के आर्थिर हालात पर जा पड़ा। सूत्रों के मुताबिक, ऐसी स्थिति में सरकारी योजनाएं भी प्रभावित होंगी, क्योंकि, जब बैंकों के ख़जाने फुल होंगे तब ही सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का निर्वहन हो सकेगा। इसके लिए नाबार्ड से बड़ी मात्रा में राशि ली जाती है। यदि बैंकों की वसूली नहीं हुई और स्थिति यूं ही बनी रही तो 25 लाख किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा नही हो सकता।

इन ज़िलों के बिगड़े हालात

आपको बता दें कि, इसी तरह मुरैना, ग्वालियर, भिंड, मंडला, होशंगाबाद, पन्ना, सीधी की स्थिति भी डांवाडोल बनी हुई है। उधर, मध्यप्रदेश की 38 जिला सहकारी बैंकों का किसानों के ऊपर करीब 18 हजार 557 करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ गया है, यदि वसूली नहीं हुई तो बैंकों में आर्थिक संकट के हालात बन सकते हैं। सतना, दतिया और रीवा बैंकों की वसूली 25 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हुई। इसकारण इनकी नेटवर्थ नकारात्मक स्थिति में पहुंच गई। रीवा बैंक के हालात सबसे खराब हैं। कुल मिलाकर इन बैंकों को अब दूसरे किसी माध्यम से वित्तीय संसाधन नहीं मिल पाएंगे। इन्हें खुद ही अपनी वसूली बढ़ाकर अपने आप को मजबूत करना होगा।

बैंकों को अब तक कितना नुकसान

बैंक-----घाटा

रीवा--68 करोड़ रुपए

दतिया--58 करोड़ रुपए

सतना--29 करोड़ रुपए