
WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या दुनिया भर में तेजी से बढ़ी है। ऐसे में कोरोना अब भी चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है। दुनिया भर के वैज्ञानिक अब भविष्य में आने वाली इस तरह की महामारियों को लेकर अभी से कई तैयारियां कर रहे हैं। इन तैयारियों के बीच वैज्ञानिकों को टेक्नो स्तर पर एक सफलता मिली है।
दरअसल कुछ वैज्ञानिकों ने एक ऐसा Artificial Intelligence (AI) सिस्टम बनाया है, जो आने वाली महामारी को लेकर अलर्ट कर देगा। ये वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न यानी चिंताजनक और खतरनाक वैरिएंट का पता लगा लेगा। यानी महामारी को रोकने या फिर नियंत्रित करने में आइ मदद कर सकेगा।
जानें क्या है वैरिएंट ऑफ कंसर्न
WHO के मुताबिक वैरिएंट ऑफ कंसर्न का अर्थ है ऐसे वैरिएंट तो तेजी से ट्रांसमिट होते हैं। यानी ऐसे वैरिएंट जो गंभीर लक्षण के रूप में नजर आ सकते हैं और एंटी बॉडी को भी चकमा दे सकते हैं।
यहां समझें वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट
WHO के मुताबिक वैरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कोरोना के ऐसे वैरिएंट हैं जो वायरस के ट्रांसमिशन, गंभीर लक्षणों, इम्यूनिटी को चकमा देने या फिर डायग्नोसिस से बचने की पूरी-पूरी क्षमता दिखाते हैं।
इस सिस्टम से काम करेगा AI
साइंटिस्ट द्वारा तैयार किए गए इस AI सिस्टम का नाम है Early Warning Anomaly Detection System (EWDS) है। जब सार्स कोविड-2 (Corona Virus) के संक्रमण के डेटा के साथ इसका मिलान किया गया तो, इसके जरिए वायरस के म्यूटेशन और भविष्य में सामने आने वाले वैरिएंट के बारे में सटीक जानकारी मिली। इससे यह भी पता चला कि वायरस के किस वैरिएंट से ज्यादा खतरा है, जो महामारी का बड़ा कारण बन सकता है।
इस लर्निंग मशीन की मदद से बना है EWAD
अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने EWAD को बनाने में Artificial Intelligence (मशीन लर्निंग) की मदद ली। मशीन लर्निंग में पैटर्न का पता लगाने, एल्गोरिदम विकसित करने और भविष्य में ये पैटर्न कैसे काम कर सकते हैं इसके बारे में बताने के लिए कंप्यूटर के जरिए डेटा को एनालाइज किया जाता है। साइंटिस्ट्स का कहना है कि AI एल्गोरिदम वायरस के इवोल्यूशन के रूल्स का पता लगाने में सक्षम थे। इन रूल्स का आसानी से पता नहीं लगता था। लेकिन अब ये भविष्य में आने वाली महामारियों से निपटने में अहम साबित हो सकते हैं।
फ्यूचर पैंडमिक से निपटने में महत्वपूर्ण
एक साइंटिस्ट का कहना है कि म्युटेशन का अर्थ है किसी जीव के जेनेटिक मटेरियल में बदलाव। जब कोई वायरस खुद की लाखों कॉपी बनाता है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक या जानवर से इंसान में जाता है तो इस दौरान उसकी हर कॉपी अलग होती है। कॉपी में यह अंतर ट्रांसमिशन के साथ लगातार बढ़ता जाता है। इस स्थिति के कारण कुछ समय बाद एक नया स्ट्रेन सामने आता है। हालांकि म्यूटेशन एक बेहद ही सामान्य प्रक्रिया है। वायरस अपना रूप बदलते रहते हैं। यहां तक कि सीजनल इन्फ्लूएंजा तो हर साल नए रूप में सामने आता है। इस वजह से COVID-19 के नए वैरिएंट्स को लेकर वैज्ञानिकों को बहुत ज्यादा आश्चर्य नहीं है। आपको बताते चलें कि चीन के वुहान शहर में Corona virus सामने आया था। इस वायरस में कई म्युटेशन भी हुए और आज तक हो रहे हैं। इसीलिए कोरोना अब भी चिंता का कारण बना हुआ है।
टेस्टिंग के दौरान प्रमुख जीन वैरिएंट दिखे टेस्टिंग के दौरान AI को Covid-19 से हुई मौतों के आंकड़े, सार्स कोविड-2 वैरिएंट्स की जेनेटिक सिक्वेंसिंग और ये वैरिएंट कितनी तेजी से फैल रहे हैं यह जानकारी दी गई। सिस्टम ने जेनेटिक बदलावों की पहचान तब की जब संक्रमण दर बढ़ रही थी और मृत्यु दर में गिरावट आ रही थी। टेस्टिंग के दौरान वैज्ञानिकों को प्रमुख जीन वैरिएंट दिखे। ये तेजी से बढ़ रहे थे और फैल भी रहे थे। मौतों का आंकड़ा भी बढ़ रहा था। ये सब WHO के वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न वाले वैरिएंट्स को आधिकारिक तौर पर नामित करने के हफ्तों पहले हो रहा था।
Updated on:
11 Sept 2023 12:22 pm
Published on:
11 Sept 2023 12:21 pm
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