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खुलासा : नाक में पहुंचने के महज 4 दिनों में अपनी संख्या 1 करोड़ कर लेता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस गले या फेफड़ों की तुलना में नाक की कोशिकाओं को आसानी से शिकार बनाता है। नाक में प्रवेश करते ही संक्रमण बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है।

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खुलासा : नाक में पहुंचने के महज 4 दिनों में अपनी संख्या 1 करोड़ कर लेता है कोरोना वायरस

भोपाल/ मध्य प्रदेश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। जहां एक तरफ इस संक्रमण ने करीब 12 बजार लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। साथ ही 500 को करीब लोग संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गवा चुके हैं। कोराना वायरस पर लगाम लगाने के लिए भारत समेत कई देशों में लगातार रिसर्च जारी हैं। इसी के तहत हालाही में हुई एक रिसर्च बेहद चौंकाने वाली है। नई रिसर्च में सामने आया है कि, कोरोना वायरस गले या फेफड़ों की तुलना में नाक की कोशिकाओं को आसानी से शिकार बनाता है। नाक में प्रवेश करते ही संक्रमण बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है।

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फेफड़ों से ज्यादा संवेदनशील है नाक

शोधकर्ताओं ने इस स्टडी के बाद लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए फेस मास्क या कपड़े से सिर्फ मुंह को ही नहीं, बल्कि नाक को भी अच्छे से ढंकना बेहद जरूरी है।एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना वायरस के लिए गले या फेफड़ों की तुलना में नाक में मौजूद कोशिकाओं को निशाना बनाना ज्यादा आसान होता है। नाक में जाने के महज़ चार दिनों के भीतर खुद को एक से एक करोड़ कर लेते हैं।

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इस बात का रखें बेहद खास ध्यान

नाक में संख्या बढ़ाने के साथ ही कोरोना वायरस धीरे-धीरे यह श्वासनली के रास्ते गले और फेफड़ों में भी फैलने लगता है। शोधकर्ताओं की सलाह है कि कोरोना संक्रमण से बचने के लिए नाक को मास्क से अच्छे से ढंकना बहुत जरूरी है। इसके साथ ही कपड़े के मास्क को समय-समय पर साफ करते रहना बेहद जरूरी है। शोधकर्ताओं ने कोरोना से संक्रमित मरीजों की नासिकाओं, श्वासनली और फेफड़ों से लिए गए नमूनों का विश्लेषण किया। साथ ही, उन्होंने स्वस्थ लोगों के इन्हीं अंगों में मौजूद ऊतकों को लैब में कोरोना के संपर्क में रखकर उन पर पड़ने वाले असर का भी अध्ययन किया।

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अध्यन में सामने आए ये चौंकाने वाले तथ्य

इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि नसिका में मौजूद ‘नेसल एपिथीलियम' नाम की कोशिकाएं कोरोना वायरस का सबसे पहला शिकार बनती हैं। उनमें फेफड़ों की तुलना में एक हजार गुना ज्यादा वायरस ठिकाना बना सकते हैं। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने नाक में महज चार दिन के अंदर वायरस की एक करोड़ प्रतियां पाई। वहीं फेफड़ों में यह संख्या 10 हजार के करीब थी, जो कि नाक की अपेक्षा कहीं गुना कम है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच फेस मास्क का ढंग से उपयोग जरूरी है और मास्क से मुंह के साथ नाक को भी अच्छे से कवर करना चाहिए।