
Cyber tehsil opened in Betul
बैतूल। पायलट प्रोजेक्ट के तहत बैतूल जिले में साइबर तहसील की शुरूआत हो चुकी है। अब अविवादित नामांतरण के प्रकरणों का तेजी से निराकरण हो सकेगा। साथ ही क्रेता और विक्रेता को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ऑनलाइन उपस्थित होकर मामले सुलझाए जा सकेंगे। साइबर तहसील के लिए अलग से तहसीलदार की नियुक्ति की जाएगी। फिलहाल साइबर तहसीलदार की नियुक्ति नहीं होने के कारण भोपाल के प्रमुख राजस्व आयुक्त कार्यालय से साइबर तहसील संचालित हो रही है। जिसमें बैतूल के भी अविवादित नामांतरण प्रकरणों का निराकरण किया जा रहा है।
साइबर तहसील में यह सुविधा भी मिलेंगी ऑनलाइन
साइबर तहसील में नामांतरण की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के बाद इसमें वसीयत, फौती नामांतरण और बंटवारे को भी जोडऩे की कवायद की जा रही है। इसमें भी वे प्रकरण शामिल किए जाएंगे, जो विवादों से दूर हैं और जिनमें भौतिक रूप से कार्यालय में उपस्थिति की जरूरत नहीं है। फिलहाल नामांतरण के आदेश की कॉपी विक्रेता और क्रेता के ईमेल पर भेजी जाती हैं। अधिकारियों के मुताबिक नामांतरण की जानकारी संबंधित गांव के सभी किसानों को मोबाइल मैसेज के जरिए दी जाती है। इसमें क्रेता का नाम और उसके द्वारा खरीदा गया रकबा और खाता नंबर शामिल रहता है।
ऐसे काम करेगी साइबर तहसील
गांवों मेंं कृषि भूमि के विक्रय के अविवादित प्रकरण जिनमें खाता नंबर का पूरा रकबा बेचा गया है, वे प्रकरण नामांतरण के लिए ऑनलाइन साइबर तहसील आते हैं। साइबर तहसीलदार तय नामांतरण प्रक्रिया पूरी कर ऑनलाइन विज्ञपत्ति जारी करते हैं, जिसमें आपत्तियां बुलवाई जाती हैं। इसकी एक कॉपी संबंधित तहसील के तहसीलदार, पटवारी को भेजते हैं। तहसीलदार इस विज्ञपत्ति को नोटिस बोर्ड पर चस्पा करते हैं। इसके साथ ही प्रकरण की लिंक भी भेजी जाती है, जिसमें क्रेता, विक्रेता समेत पूरे प्रकरण का विवरण होता है। पटवारी को दस दिन में रिपोर्ट देना जरूरी है। किसी तरह की आपत्ति नहीं आने पर साइबर तहसीलदार प्रकरण का निराकरण करते हैं। आपत्ति आने पर ये प्रकरण संबंधित तहसील कार्यालय में भौतिक सुनवाई के लिए भेजा जाता है।
साइबर तहसील में पारदर्शी प्रक्रिया का दावा
साइबर तहसील के शुरू होने पर पारदर्शी प्रक्रिया होने का दावा किया जा रहा है। नामांतरण की त्रिस्तरीय पेशी के दौरान अलग-अलग अधिकारियों के पास प्रकरण भेजे जाने की व्यवस्था है, ताकि प्रकरण में पादर्शिता बनी रहे। लोगों के लिए राहत की बात यह है कि यदि उनकी जमीन अविवादित हैं तो उन्हें नामंातरण सहित बही आदि के लिए तहसील आदि के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। बल्कि घर बैठे ही उन्हें डिजिटल फार्म में नामांतरण और बही की कापी उपलब्ध हो सकेगी। इससे लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद बताई जा रही है।
पहले करना पड़ता था दो महीने इंतजार
जमीन के नामांतरण एवं बही बनाने के लिए पहले दो से तीन महीने तक लंबा इंतजार करना पड़ता था। तहसील कार्यालय में जमीन के क्रेता और विक्रेता दोनों को पेशी में बुलाया जाता था। जिसके बाद तहसीलदार नामांतरण एवं बही जारी करते थे। लोक सेवा गारंटी अधिनियम आया तो इसमें समय-सीमा का निर्धारण कर दिया गया, लेकिन समय-सीमा होने के बाद भी प्रकरणों का निराकरण समय पर नहीं हो पाता था, लेकिन साइबर तहसील के बनने से अब अविवादित जमीन का नामंतरण एवं बही बनाने का काम घर बैठे हो सकेगा। इसके लिए चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे।
इनका कहना
- जिले में साइबर तहसील की शुरूआत हो चुकी हैं, लेकिन साइबर तहसीलदार के नहीं होने की वजह से अविवादित नामांतरण एवं बही के प्रकरण सीधे भोपाल साइबर शाखा से निराकरण किए जा रहे हैं। बैतूल में साइबर तहसीलदार के बैठने के बाद यही से प्रकरणों का निराकरण शुरू किया जाएगा।
- अतुल श्रीवास्तव, तहसीलदार।
- पायलेट प्रोजेक्ट के तहत एक अगस्त से जिले में साइबर तहसील शुरू हो चुकी है। गैर विवादित जमीन की रजिस्ट्री के प्रकरणों में अब नामांतरण एवं बही बनाने का काम घर बैठे हो सकेगा। क्रेता और विक्रेता को तहसील के चक्कर भी नहीं लगाने पड़ेंगे।
- दिनेश कौशले,जिला पंजीयक बैतूल।
Published on:
02 Sept 2023 08:57 pm
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