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#चंद्रग्रहण 2018: ये ग्रहण बदलने जा रहा है आपकी तकदीर, जानिये किस पर पड़ेगा क्या असर!

locationभोपालPublished: Jun 24, 2018 09:37:53 am

ये ग्रहण बदलने जा रहा है आपकी तकदीर, जानिये आप पर पड़ेगा क्या असर!

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#चंद्रग्रहण 2018: ये ग्रहण बदलने जा रहा है आपकी तकदीर, जानिये किस पर पड़ेगा क्या असर!

भोपाल। चंद्रग्रहण को सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह वह समय होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के बीच आ जाता है।

ऐसी स्थिति को न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं इस बार का चंद्रग्रहण काफी उल्टपुलट करने वाला माना जा रहा है। पंडित व ज्योतिषों के अनुसार इस बार चंद्रग्रहण का असर साफ तौर पर हर राशि के जातकों पर दिखाई देगा।

वहीं जानकारों के अनुसार ग्रहण पर कुछ योग ऐसे हैं जो करीब 150 वर्षों बाद बन रहे हैं। यही कारण है कि इस चंद्रग्रहण को खास माना जा रहा है। यह मध्य रात्रि के बाद तक पूरे भारत में दिखाई देगा।
जिसके चलते मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश व देश में इसे देखा जा सकेगा। ऐसे में ज्योतिषों का मानना है कि इसका प्रभाव भी मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित अन्य जगहों पर भी पड़ेगा।

सामान्यत: ज्योतिष में ग्रहण का सीधा संबंध राहु-केतु से माना गया है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिष में राहु, केतु को राक्षस ग्रह माना गया है। चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है। ऐसी मान्यता है कि इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है। जिसे उपायों, दान, धर्म और पवित्र सरोवरों में स्नान के द्वारा शुद्ध किया जा सकता हैं।

इस साल यानि 2018 में दो चंद्र ग्रहण घटित होने हैं, जिनमें से पहला चंद्र 31 जनवरी 2018 को दिखाई दे चुका है। जबकि दूसरा चंद्र ग्रहण 27-28 जुलाई 2018 में होगा। ये दोनों पूर्ण चंद्र ग्रहण हैं और भारत सहित कई अन्य देशों में दिखेंगे।

ये है ग्रहण का समय…
27 जुलाई मध्य रात्रि 11.54.26 बजे से 28 जुलाई सुबह 03.48.59 बजे तक।
चंद्रग्रहण की कुल अवधि : 3 घंटा 54 मिनट और 33 सैकेंड।
सूतक काल की शुरुआत: 27 जुलाई दोपहर 12.27.28 बजे से…
सूतक काल की समाप्ति : 28 जुलाई सुबह 03.48.59 बजे तक।

चंद्रग्रहण पर भूलकर भी न करें ये कार्य…
चंद्र ग्रहण को लेकर सनातन धर्म के लोगों में काफी मान्यताएं हैं, जिसके चलते इस दौरान सावधानियों के बारे में भी कहा गया है। पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस समय में कुछ कार्यों को वर्जित माना गया है, जो इस प्रकार हैं…

1. इस अवधि के दौरान प्रेम सम्बंध बनाने से बचना चाहिए। और काम वासना को छोड़कर कर अपना ध्यान ईश्वर की ओर लगाना चाहिए। माना जाता है कि इस दौरान प्रेम संबंध बनाने वाले महिला पुरुष को नर्क में दुख भोगने पढ़ते हैं।
2. माना जाता है कि गर्भवती महिलाओं को इस अवधि में घर पर ही रहना चाहिए। नहीं तो गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
3. किसी भी धारदार वस्तु का प्रयोग इस समय गर्भवती महिलाओं के लिए वर्जित माना गया है, इस समय ऐसा करने से बच्चे के शरीर मे जन्म से ही कटने के निशान आने का खतरा रहता है।
4. इस दौरान पवित्र स्थान जैसे मंदिर आदि में बिना नहाए नही जाना चाहिए और तुलसी के पौधे की पत्तियों को खाद्य पदार्थों में डालना चाहिए।

5. अगर किस रत्न आदि को धारण करना चाहते है तो ग्रहण अवधि के बाद ही उसका धारण करना चाहिए। क्योंकि इस अवधि में इनको धारण करना शुभ नही माना जाता है।

इन से भी बचें…
– ग्रहण के समय तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। इस संबंध में धारणा है कि जो लोग ग्रहण के समय तेल मालिश करते हैं, उन्हें त्वचा सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पद सकता है।
– यह भी माना जाता है कि जो लोग ग्रहण काल के समय सोते हैं, उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना पास सकता है। अत: समय में केवल विश्राम ही करना चाहिए।

– ग्रहण के बाद पका हुआ भोजन खाने योग्य नहीं होता है। दोस्तों शास्त्रों की माने तो ग्रहण के पूर्व पकाया हुआ भोजन खाने योग्य नहीं रहता है। अतः चंद्रग्रहण के समय घर में रखे हुए पके भोजन में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए। इसके लिए शाम से पहले तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेना चाहिए।
– चंद्रग्रहण के समय किसी भी प्रकार की पूजा नहीं करनी चाहिए। इसी वजह से ग्रहण काल के समय सभी मंदिरों के पट बंद क्र दिए जाते हैं। इस दौरान सिर्फ मन्त्रों का मानसिक जाप किया जा सकता है। मानसिक जाप यानी बिना आवाज़ किए धीरे-धीरे मन्त्रों का जाप करना।

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जानिये राशियों पर प्रभाव…
1. मेष – पारिवारिक जीवन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। किसी बात को लेकर मन भय बना रह सकता है। निजी जीवन में परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं। पारिवारिक सुखों में कमी आएगी और परेशानियां उत्पन्न होंगी। सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। मन में किसी बात का भय रह सकता है। शारीरिक कष्ट से परेशानी होगी।

2. वृषभ- मानसिक तनाव रह सकता है। प्रेम जीवन में किसी तरह का विवाद हो सकता है। संतान को किसी शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। किसी बात को लेकर चिंता बढ़ सकती है। संतान पक्ष को कष्ट उठाना पड़ सकता है। प्रेम संबंधों में भी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। बेवजह के विवादों से बचने की कोशिश करें।

3. मिथुन – शत्रुओं से किसी तरह का ख़तरा हो सकता है, इसलिए सावधान रहें। आय के साथ-साथ व्यय में भी इज़ाफ़ा होगा और इस कारण आपकी आय भी सामान्य रहेगी। विरोधियों से सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि वे आपके लिए समस्या उत्पन्न कर सकते हैं। आर्थिक स्थिति सामान्य रहेगी। धन लाभ होगा लेकिन खर्च भी बढ़ेंगे।

4. कर्क- बिजनेस में पार्टनर के साथ विवाद होने की संभावना है। वहीं वैवाहिक जीवन में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ किसी बात को लेकर मतभेद हो सकता है।

5. सिंह- अपनी सेहत का ख़्याल रखें आपको किसी प्रकार शारीरिक कष्ट हो सकता है। आर्थिक मामलों में धन हानि होने की संभावना है। व्यर्थ की यात्रा होने से थकान महसूस होगी।

6. कन्या- मन में कार्यों में देरी होने सहित किसी बात को लेकर बेचैनी बनी रह सकती है। आय की तुलना में खर्चों में अधिक बढ़ोत्तरी होगी। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अत्यधिक संघर्ष करना पड़ेगा।

7. तुला – जीवन में अशांति और अस्थिरता बनी रह सकती है। पारिवारिक जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। माता जी की सेहत में कमज़ोर रह सकती है, इसलिए उनका ख़्याल रखें।कार्यस्थल पर मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और आपका प्रभाव बढ़ेगा। नौकरी और व्यवसाय में सफलता मिलेगी।

8. वृश्चिक – आप नौकरी-व्यवसाय में तरक्की करेंगे। नौकरी व व्यवसाय में प्रगति होगी और धन लाभ होने से आर्थिक स्थिरता आएगी। कार्यस्थल पर पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। अपने प्रत्येक कार्य को आप अच्छी तरह से करेंगे। मित्रों और प्रियजनों के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे। बिजनेस में विस्तार होने
की संभावना है।

9. धनु – मानसिक तनाव आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। काम अथवा व्यवसाय के चलते घर से दूर भी जाना पड़ सकता है। आर्थिक मामलों में सावधान रहें, धन हानि होने की संभावना है। कुछ कारणों से यात्राएं करनी पड़ेगी और इस वजह से घर से दूर रहना पड़ सकता है। सेहत का विशेष ध्यान रखें। ज्यादा चिंता करने से मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

Pt.sunil Sharma

10. मकर – वाहन चलाते समय सावधानी बरतें,चोट लगने की संभावना है। आपकी सेहत कमज़ोर रह सकती है। इसके अलावा किसी रोग की वजह से शारीरिक कष्ट हो सकता है। बेवजह तनाव ना लें और चिंता करने के बजाय स्वयं को कार्य में व्यस्त रखें।

11. कुम्भ – परिवार में किसी प्रकार की समस्या आ सकती है। परिजनों के बीच मनमुटाव देखने को मिल सकता है। व्यर्थ की चिंता से मानसिक तनाव बढ़ेगा, इसलिए किसी बात को लेकर ज्यादा ना सोचें। धन हानि होने की संभावना है। परिवार में सदस्यों के साथ मन मुटाव हो सकता है।

12. मीन – भाई-बहनों को किसी प्रकार का लाभ हो सकता है। इस अवधि में आपका साहस और मनोबल बढ़ेगा। छोटी दूरी की यात्राएं होंगी। भाई-बहनों के लिए समय अच्छा रहेगा। विभिन्न प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। आपके साहस और इच्छाशक्ति में वृद्धि होगी।

राशियों पर यह पड़ेगा चंद्रग्रहण का ये असर:
शुभ: वृश्चिक और मीन।
मध्यम: कर्क,सिंह,कन्या,तुला,धनु।
अशुभ: मेष,वृषभ,मिथुन,मकर,कुंभ।


ग्रहण के समय करने योग्य उपाय…
– चंद्रग्रहण में बालक, वृद्ध और रोगी के लिए कोई नियम शास्त्रों में नहीं बताया गया है।
– चीटियों को पिसा हुआ चावल व आट्टा डालें।
– चन्द्र की दान वस्तुओं में मोती, चांदी, चावल, मिसरी, सफेद कपड़ा, सफेद फूल, शंख, कपूर, श्वेत चंदन, पलाश की लकड़ी, दूध, दही, चावल, घी, चीनी आदि का दान करना शुभ रहेगा।
– कुंडली के अनुसार चन्द्रमा को मन और माँ का कारक माना गया है जन्म कुंडली में चन्द्रमा जिस भाव में हो उसके अनुसार दान करना चाहिए।

– चन्द्र वृष राशि में शुभ और वृश्चिक राशि में अशुभ होता है,जब चन्द्र जन्म कुण्डली में उच्च का हो तब चन्द्र से संबंधित वस्तुओं का दान नही करना चाहिए, अगर चन्द्र द्वितीय या चतुर्थ भाव में हो तो चावल, चीनी व दूध का दान न करें।
– यदि चन्द्र वृश्चिक राशि में हो तो चन्द्र की शुभता प्राप्त करने के लिए आम जनता के लिए प्याउ (पानी की टंकी) बनवाए या किसी मिटटी के बर्तन में चिड़ियों के लिये पानी रखें।
– चंद्रमा के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु चंद्रमा के वैदिक मंत्र का 11000 जप करना चाहिए।
– ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः ”या ” ऊँ सों सोमाय नमः ।
– चन्द्र दोष दूर करने के लिए सोमवार, अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ होता है। किंतु चन्द्र दोष से पीडि़त होने पर चन्द्रग्रहण के दौरान चन्द्र उपासना बहुत ही जरूरी होती है। शिव जी की आराधना करें। अपने इष्ट देवता का जाप करें।

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