21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डेंगू ने बदला रूप- अब प्लैटलैट्स की कमी की नहीं आ रही शिकायत, जानें ये घातक या सामान्य

- शहर में अब तक 61 मरीज मिले, इनमें से 45 दो महीनों में आए सामने- इस बदले रूप में पीवीसी पर अटैक कर रहा वायरस

2 min read
Google source verification
dengue_latest_2022.jpg

भोपाल। शहर में डेंगू के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बीते दो महीनों में 45 मरीज मिल चुके हैं। हालांकि, डेंगू अब तक जानलेवा नहीं हुआ है, लेकिन चिंता वाली बात यह है कि डेंगू अब रूप बदल रहा है। दरअसल, सामान्यत: डेंगू मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने लगती है, जो अक्सर मौत का कारण बनती है।

इसके बावजूद इस बार कई मरीज ऐसे भी मिल रहे हैं जिनकी प्लेटलेट्स तो नॉर्मल है, लेकिन पेट सेल्स वॉल्यूम (पीवीसी) कम हो रहा है। विशेषज्ञों की नजर में यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है। पुराने शहर में एक निजी अस्पताल में भर्ती डेंगू मरीज की हालत गंभीर है।

करीब तीन दिन तक भर्ती रहने के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ। डॉक्टर भी परेशान थे कि जब प्लेटलेट्स काउंट कम नहीं हो रहा तो मरीज ठीक क्यों नहीं हो रहा। दोबारा जांच कराई गई तो पता चला कि मरीज की पीवीसी कम हो गया है। अब डॉक्टर इसे आधार बनाकर उपचार कर रहे हैं।

क्या होता है कैपेलरी लीकेज: मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. आदर्श वाजपेयी बताते हैं कि डेंगू के वायरस के शरीर में जाते ही हमारी एंटीबॉडी उसे मारने के लिए सक्रिय हो जाती है। वायरस में पाया जाने वाला प्रोटीन कैपेलरी में पाए जाने वाले इंडो थीलियम प्रोटीन के ही समान होता है। ऐसे में एंटीबॉडी भ्रमित होकर कैपेलरी के प्रोटीन को भी मारने लगती है। इससे कैपेलरी में छेद हो जाते हैं और प्लाज्मा लीकेज होने लगता है।

प्लेटलेट्स पर ही पूरा फोकस
गांधी मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पराग शर्मा बताते हैं कि न केवल मरीज बल्कि डॉक्टरों का भी सारा फोकस प्लेटलेट्स के आसपास ही घूमता है, लेकिन प्लेटलेट्स की तरह पेट सेल वॉल्यूम (पीसीवी) का रोल भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

जहां प्लेटलेट्स कम होने की वजह से ब्लीडिंग का खतरा रहता है, वहीं पीसीवी कम होने से कैपेलरी (कोशिकाएं) लीकेज होने का खतरा रहता है। पुरुषों में पीसीवी सामान्यत: 50 पर्सेंट होता है जबकि, महिलाओं में यह 40 पर्सेंट होता है। अगर यह 20 पर्सेंट नीचे गिर जाए तो मरीज शॉक सिंड्रोम या हैमरेजिक अटैक का शिकार हो जाता है।

लीकेज होने पर क्या होता है असर

- कैपेलरी लीकेज में फ्लूड निकल कर लंग्स, किडनी, लीवर के पास जमा होने लगता है, इस वजह से मल्टीऑर्गन फेल्योर का खतरा बना रहता है।

- शरीर में खून की कमी होने लगती है, ब्लड प्रेशर लो होने से मरीज की मौत तक हो सकती है।

Must Read- अब चिकनगुनिया और डेंगू भी दिखने लगे तांडव, कोरोना से 1 की मौत, दो माह में 9 की जान गयी