
ओडिसी नृत्य के माध्यम से किया विष्णु के दस अवतारों की लीलाओं का वर्णन
भोपाल। संग-प्रसंग उत्कल दिवस पर फगरे नृत्यागना बहनों वैदेही और कल्याणी ने सोमवार को रवीन्द्र भवन में ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी। उत्कल समाज ने संस्कृति संचालनालय के सहयोग से यह आयोजन किया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत मंगलाचरण से की। प्रस्तुति के माध्यम से उन्होंने कल्याणकारी देवी मीनाक्षी को नमन किया। शंकराचार्य रचित इन पदों को राग बागेश्री में मीरा वी. राव ने संगीत बद्ध किया है। रचना का अंत पंडित कुमार गंधर्व की बंदिश से हुआ।
अगली प्रस्तुति दशावतार में उन्होंने भगवान विष्णु के मीन, कच्छप, वराह, नरहरि, वामन, भृगुपति-परशुराम, दाशरथी-राम, हलधर-बलराम, बुद्ध तथा कल्कि दस अवतारों का वर्णन किया। इस प्रस्तुति के माध्यम से उन्होंने दिखाया कि परमात्मा की शक्ति सर्वव्यापी और सर्वत्र विद्यमान है। आवश्यक होने पर वह स्वयं विभिन्न रूपों में अवतरित होते हैं। कविराय जयदेव की सरस संस्कृत कृति गीतगोविन्दम् का प्रारम्भ मंगल इन दस अवतारों के जयघोष से हुआ है। इसकी नृत्य संरचना ओडिशा के गुरु केलूचरण महापात्र ने की है।
'शंकराभरणमं पल्लवी' की प्रस्तुति दी
अगली कड़ी में उन्होंने 'शंकराभरणमं पल्लवी' की प्रस्तुति दी। कल्याणी ने बताया कि ओडिसी नृत्य में दो प्रमुख भंगिमाएं हैं चौक और त्रिभंग। दोनों के मिश्रण से इस नृत्य शैली में काव्यात्मकता नृत्य में दिखाई देती है। पल्लवी में पखावज के बोलो और स्वर लहरियो को, उनके काल और अंतराल को आंगिक आकार दिया। इसे गुरु केलुचरण महापात्र द्वारा नृत्यबद्ध की गया। राग शंकराभरणं में निबद्ध इस रचना को भुवनेश्वर मिश्र ने स्वर दिया।
...मुझे क्यों इतनी वेदना दे रहे हो?
कार्यक्रम को विस्तार देते हुए उन्होंने 'कतन बेदन' पेश किया। प्रस्तुति में दिखाया गया कि अपरिचित उत्तेजनाओ से विचलित नायिका कामदेव से प्रश्न करती है कतन बेदन मोहि देसी मदन? मुझे क्यों इतनी वेदना दे रहे हो? क्यों मुझ पर अपने तीक्ष्ण बाणों की बौछार कर रहे हो? क्या तुम अपने शत्रु शिव के भ्रम में मुझ पर प्रहार कर रहे हो? तुम जरा ठीक से देख लो, मेरे अंग पर आहूती नही चंदन का लेप है। अंत में नायिका कहती है कि शिव और मुझ में एक ही समानता है कि उनका नाम बामदेव है और मेरा बामा। इसे मीरा राव ने संगीत बद्ध किया है। इसके बाद उन्होंने नर्मदाष्टकं के माध्यम से नर्मदा की स्तुति पेश की। कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र से किया।
Published on:
02 Apr 2019 10:44 am
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