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ध्रुपद में शिव और कथक में विष्णु के रूपों का वर्णन

भारत में चल रहे दिनमान समारोह का समापन, अंतिम दिन हुईं चार प्रस्तुतियां

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ध्रुपद में शिव और कथक में विष्णु के रूपों का वर्णन

भोपाल। भारत भवन में चल रहे दिनमान समारोह का मंगलवार को समापन हो गया। अंतिम सभा में गायन, वादन और नृत्य की सभाएं आयोजित की गई। समारोह में संगीत सभा की शुरुआत अनीसुद्दीन डागर और नफीसुद्दीन डागर की ध्रुपद जुगलबंदी से हुई। उन्होंने शुरुआत के लिए राग यमन का चयन किया।

इसमें 10 मात्रा में अडाना पेश किया, जो कि सूल ताल में निबद्ध रहा। इसके बोल उधर रस ते आई बांसुरी बजाई मेरे नाम की.... रहे। इसके बाद अडाना में भोले शंकर की स्तुति शिव शिव शिव... के माध्यम से भगवान शंकर की आराधना करविभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया। उनके साथ पखावज पर अखिलेश गुंदेचा, तानपुरा पर ब्रजेश शर्मा और सजन संतरन ने संगत दी। भारत भवन में चल रही अखिल भारतीय ग्राफीक शिविर में निर्मित छापाकृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।

राग मेघ मल्हार में पेश किया खयाल
दूसरी प्रस्तुति रोहित और राहुल मिश्र की गायन जुगलबंदी की रही। उन्होंने ऋतु प्रधान राग मेघ मल्हार में खयाल पेश किया, जिसमें बनारस घराने की बंदिश सुनाई। इसके बाद शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी रचित को श्रृदाजंलि देते हुए देसराग में ठुमरी मेरा सैय्या बुलाओ आधी रात... पेश की। कजरी घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मेरो जिआ... की प्रस्तुति दी। गायन के दौरान झूला में उन्होंने राधा-कृष्ण के प्रेम को पिरोया। इसमें ललित किशोरी रचित जुगल वर झूलत दे गले बाहों... की प्रस्तुति दी।

राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन

अगली कड़ी में लखनऊ घराने की साखी त्रिपाठी के कथक नृत्य प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने भगवान विष्णु की वंदना ऊं शाचताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं... से प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद शुद्ध कथक तीन ताल में ठाट, परन, तिहाईयां रही। ठुमरी मोको रोको न सांवरयिां.... से राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन किया। उन्होंने प्रस्तुति का समापन तबला और घुंघरुओं की जुगलबंदी के साथ किया।

प्रस्तुति में उनके साथ तबले पर प्रवीण मिश्रा, गायन आनंद मिश्रा का रहा। गुरु पंडित ओम प्रकाश मिश्रा से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। अंतिम प्रस्तुति मोहम्मद नईम अल्लावाले की रही। उन्होंने तीन ताल में पेशकार, कायदे, रेले, परन, फरमाइशी चक्करदार आदि पेश की। प्रस्तुति का समापन राग भैरवी में तबले पर वंदेमातरम से किया। प्रस्तुति में उनके साथ मोईन अल्लावाले, सामी अल्लावाले और सौलत अल्लावाले ने सहयोग किया।