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मुनि बनने के लिए धीरसागर महाराज ने छोड़ा था 80 लाख रुपए का पैकेज

मुनिश्री धीरसागर महाराज की संल्लेखना समाधि हो गई। उनके बारे में सबसे रोचक बात ये है कि धीरसागरजी ने मुनि बनने के लिए 80 लाख रुपए का पैकेज छोड़ दिया था।

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Alka Jaiswal

Jan 12, 2017

muni

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भोपाल। हमने विभिन्न मुनियों की कहानियां तो सुनी होंगी लेकिन धीरसागरजी की ये कहानी बहुत ही अलग है। संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनिश्री धीर सागर महाराज की संल्लेखना समाधि हो गई। उनके बारे में सबसे रोचक बात ये है कि धीरसागरजी ने मुनि बनने के लिए 80 लाख रुपए का पैकेज छोड़ दिया था।

जैन समाज के प्रवक्ता अंशुल जैन ने बताया कि शाहपुरा स्थित जैन मन्दिर में विनयांजलि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के संघस्थ शिष्य मुनि स्वभाव सागर महाराज, मुनि निर्णय सागर महाराज और मुनि श्रीपुराण सागर महाराज के सानिध्य में समाज द्वारा दी गई।


जैन दर्शन मनाता है मृत्यु महोत्सव
विनयांजलि में मुनिश्री धीरसागर महाराज के कृतित्व, व्यक्तित्व पर चर्चा भी की गई। इस दौरान मुनिश्री निर्णय सागर महाराज ने बताया कि दुनिया जन्म महोत्सव मनाती है पर जैन दर्शन के तहत मृत्यु महोत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद हिमांशु सहित ट्रस्ट के पदाधिकारियों, विभिन्न् मन्दिरों के पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी विनयांजलि दी।


बचपन से ही अध्यात्म की तरफ था रुझान
प्रवक्ता अंशुल जैन बताते हैं कि मुनिश्री धीरसागर महाराज का जन्म इंदौर शहर के गुलाबचंद रूपाबाई के परिवार में 1 सितंबर 1962 को हुआ था। घर में उन्होंने राजकुमार के नाम से बुलाया जाता था। वह पांच भाई बहन थे जिसमें वह चौथे नंबर पर थे। बचपन से ही उनका रुझान अध्यात्म की तरफ रहा और वह हमेशा अध्यात्म से ओतप्रोत रहे।

उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। एमकॉम, एलएलबी और एमबीए के साथ-साथ उन्होंने योग और विभिन्न विधाओं में भी डिग्रियां हासिल की। 20 सालों तक उन्होंने अलग-अलग जगह नौकरी भी की लेकिन एक समय ऐसा आया जब उनका अध्यात्म की तरफ रुझान इतना बढ़ गया कि उन्होंने इसी में अपना जीवन व्यतीत करने का फैसला लिया।


इसके लिए वह अपना 80 लाख का पैकेज छोड़कर आचार्य विद्यासागर की शरण में आ गए और अध्यात्म को ग्रहण कर लिया। साल 1989 में आचार्य विद्यासागर महाराज से ब्रह्मचर्य का व्रत लेने के बाद 21 अगस्त साल 2004 में उन्होंने मुनि की दीक्षा ले ली।

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