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मिल गई स्वीकृति…’डायबिटीज’, ‘मोटापा’ और ‘थायराइड’ मरीजों को मिलेगा बेहतर इलाज

MP News: GMC प्रदेश का पहला मेडिकल कॉलेज है, जहां यह विभाग शुरू किया जा रहा है।

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News:एमपी में भोपाल शहर के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) में अब औपचारिक रूप से एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की स्वीकृति मिल गई है। इसके मिलने से हार्मोन से जुड़ी बीमारियों के इलाज, रोकथाम और रिसर्च में राज्य आगे बढ़ेगा। जानकारी के लिए बता दें कि नेशनल हेल्थ मिशन की स्क्रीनिंग के अनुसार मप्र में करीब 10.67 लाख डायबिटीज मरीज हैं। इनमें सबसे ज्यादा करीब दो लाख भोपाल में रहते हैं।

इसी तरह मध्यप्रदेश में करीब दस लाख लोग मोटापा और थायराइड रोग से परेशान हैं। यह हार्मोनल डिजीज हैं। गांधी मेडिकल कॉलेज यानी जीएमसी में स्वतंत्र रूप से एंडोक्राइनोलॉजी विभाग खुलने से इन मरीजों को बड़ा फायदा होगा।

प्रदेश में पहला मेडिकल कॉलेज

जीएमसी प्रदेश का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज होगा जहां मेडिसिन विभाग से अलग एंडोक्राइनोलॉजी विभाग खुलेगा। बताया जा रहा है कि नया विभाग खुलने से 6 डॉक्टर्स और 14 नर्सिंग स्टॉफ की टीम डायबिटीज, थायराइड और मोटापा रोगों का इलाज और अनुसंधानकरेगी। बाद में यहां डीएम (एंडोक्राइनोलॉजी) की दो सीटें भी होंगी। इससे विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार हो सकेंगे।

कंप्लीट हेल्थ चेकअप

विभाग की मल्टीडिस्पिलनरी टीम डायबेटोलॉजिस्ट, न्यूट्रीशियनिस्ट, रिप्रोडक्टिव एंड फर्टिलिटी एक्सपर्ट मिलकर काम करेंगे। इससे अब एक ही जगह थायरॉयड, मोटापा यानी ओबेसिटी, नि:संतानता और अन्य हार्मोनल बीमारियों का असंतुलनों इलाज हो सकेगा। एंडोक्राइनोलॉजिस्ट हार्मोन के साथ दिल, किडनी, नर्वस सिस्टम और प्रजनन क्षमता सहित कई अंगों के साथ नेफ्रोपैथी और कार्डियोवस्कुलर रोगो का भी निदान खोज सकेगा।