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डिजिटल एड्रेस यूनिक कोड: आपात स्थितियों में पुलिस और फायर बिग्रेड को नहीं पड़ता भटकना

अभी सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने हर बार एड्रेस वेरिफिकेशन कराना पड़ता है। डाकिए को कई बार एड्रेस ही नहीं मिलता। इन तमाम झंझटों से मुक्ति के लिए 11 अंकों के डिजिटल एड्रेस दिया जाना था। एक बार यह नंबर मिल जाने के बाद पुलिस, नगर निगम, जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों से जुड़ी सूचनाएं सीधे घर के पते पर पहुंचतीं।

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भोपाल. कुछ साल पहले नगर निगम ने एक सपना दिखाया था। अब हर घर को मिलेगा डिजिटल एड्रेस। लेकिन अपने घर के इस यूनीक कोड का सपना अब तक सपना ही रह गया। बताया गया था शहर के हर मकान, दुकान, फ्लैट, कार्यालय की डिजिटल आइडी बनेगी। लेकिन नगर निगम और स्मार्ट सिटी की लापरवाही की वजह से शहर के छह लाख से अधिक घरों के डिजिटल एड्रेस अधर में हैं। चार इमली और आसपास के क्षेत्रों में कुछ घरों के एड्रेस बनाकर प्रोजेक्ट बंद हो गया।
11 अंकों का डिजिटल एड्रेस
अभी सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने हर बार एड्रेस वेरिफिकेशन कराना पड़ता है। डाकिए को कई बार एड्रेस ही नहीं मिलता। इन तमाम झंझटों से मुक्ति के लिए 11 अंकों के डिजिटल एड्रेस दिया जाना था। एक बार यह नंबर मिल जाने के बाद पुलिस, नगर निगम, जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों से जुड़ी सूचनाएं सीधे घर के पते पर पहुंचतीं।
दो करोड़ हुए थे खर्च
2018 में स्मार्ट सिटी व नगर निगम ने मिलकर एक निजी एजेंसी के जरिए इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। एक साल में इस पर दो करोड़ खर्च भी हुए। लेकिन बिना बताए प्रोजेक्ट बंद हो गयी।
क्या है डिजिटल पता
डिजिटल पता पोस्टकोड (क्षेत्र, जिला और क्षेत्र कोड) का एक संयोजन है। इसके साथ ही यह एक अद्वितीय पता भी है। यह 11 अंकों का एक यूनीक कोड है जो हर पते के लिए अलग-अलग होता है। यूनीक कोड व्यक्ति के पते के स्थान पर ई-पते के रूप में कार्य करता है।
डिजिटल एड्रेस कोड से ऐसे जिंदगी आसान
-ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल बीमा, ई-केवाईसी जैसी प्रक्रियाएं आसान
-कोड के जरिए ई-कॉमर्स कंपनियों की सर्विसेस ऑनलाइन शॉपिंग, पार्सल-पोस्टर की डिलिवरी आसान
-पल्स पोलियो, मतदाता सूची अपडेशन, जनगणना, बीपीएल सूची जैसे अपडेशन क्यूआर कोड से
- जनगणना और जनसंख्या रजिस्ट्रेशन भी आसान से
- आपराधिक वारदात होने पर भोपाल प्लस एप के रेड बटन दबाते ही सूचना पुलिस थाने तक
- डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की मॉनीटरिंग पुख्ता
- हर उपनगर, मोहल्ले और गली का अपना कोड
ऐसा होना था काम
अल्फा न्यूमेरिक डिजिटल एड्रेस में शहर को भेल, बैरागढ़, ओल्ड सिटी, न्यू सिटी जैसे उप नगरों में बांटकर हर उपनगर का एक कोड तय करना था। मोहल्ले और गली के कोड बनने थे। किसी भी इमरजेंसी में क्यूआर कोड बताना होता, इसके बाद फायर, एंबुलेंस या पुलिस आसानी से पहुंच जाती।
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डिजिटल एड्रेस वाले मामले में संबंधितों से चर्चा कर रहे हैं। तकनीकी दिक्कतों से काम रोकने की बात सामने आ रही है। शहर हित में इसे लागू करने के लिए काम कर रहे हैं।
मालती राय, महापौर