25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ठंडे बस्ते में राजधानी की डिजिटाइज्ड विश्राम घाट की योजना

लेटलतीफी: दो करोड़ रुपए की लागत से होना था विकसित, महापौर ने की थी घोषणा, सत्यवादी राजा हरिशचंद्र विश्रामघाट का मामला

2 min read
Google source verification
grave yard

ठंडे बस्ते में राजधानी की डिजिटाइज्ड विश्राम घाट की योजना

भोपाल। अरेरा कॉलोनी ई-8 के सामने शाहपुरा पहाड़ी पार्क में डिजिटाइज्ड विश्राम घाट विकसित करने की कवायद ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। इस विश्राम घाट पर होने वाले अंतिम संस्कार को विदेश में बैठे परिजन भी देख सकते थे। इस विश्राम घाट के लिए महापौर ने शुरुआत में दो करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी। उन्होंने यहां तक कहा था कि इस विश्राम घाट के लिए बीस करोड़ भी देने पड़े तो दिए जाएंगे। इस विश्राम घाट पर आर्थिक रूप से परेशान को अंतिम संस्कार के लिए मात्र एक रुपए में लकड़ी उपलब्ध कराने का प्रावधान था। विश्राम घाट समिति ने प्राकृतिक रूप से सौंदर्यीकरण की मांग की थी।

एक दर्जन से ज्यादा कॉलोनियां

इस विश्राम घाट के बनने से अरेरा कॉलोनी, शाहपुरा, 1100 क्वार्टर्स, गुलमोहर, ई-8 एक्सटेंशन की कई कॉलोनीज, बावडिय़ा कलां, आकृति ईको सिटी समेत बड़े क्षेत्र के लोगों को सहूलियत रहती। अभी इस क्षेत्र के लोगों को अपने परिजन का अंतिम संस्कार करने के लिए सुभाष नगर या भदभदा विश्राम घाट जाना पड़ता है।

पितृ पर्वत पर परिजन की याद में लोग पौधे भी रोप सकते थे। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए शवदाह के लिए अलग-अलग बड़े शेड बनाने थे, जिनमें एक ओर लकड़ी व दूसरी ओर विद्युत से शवदाह की व्यवस्था होती। बरसात में लकड़ी की परेशानी न हो, इसके लिए बड़े हॉल में सूखी लकड़ी स्टोरी की जानी थी। विश्राम घाट पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था की जानी थी, जिससे हर मौसम में अंतिम संस्कार के समय जरूरत का पानी उपलब्ध रहता। गर्मी के मौसम के लिए वाटर कूलर लगाने का भी प्रस्ताव था।

इस बारे में अभी तक तो कोई प्रगति नहीं हुई थी। मैं बाहर था, अभी लौटा हूं। एक-दो दिन में फिर मामले को लेकर प्रयास करूंगा।
-एसएस भटनागर, अध्यक्ष, राजा हरिश्चन्द्र विश्राम घाट समिति

गत वर्ष मई में मैंने अधिकारियों को इस विश्राम घाट को विकसित कराने संबंधी निर्देश दिए थे। कई अधिकारी बदल गए हैं। काम कहां रुका है, दिखवाता हूं।
-आलोक शर्मा, महापौर

इस मामले को पता करता हूं। मामला विस्तार से देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि कहां, क्या समस्या आ रही है।
-अविनाश लवानिया, कमिश्नर, नगर निगम