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बढ़ रही घर से ऑफिस की दूरी, नेताजी नहीं खोज पाए समाधान

हॉरिजॉन्टल या वर्टिकल डेवलपमेंट पर दुविधा में शहर

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बढ़ रही घर से ऑफिस की दूरी, नेताजी नहीं खोज पाए समाधान

बढ़ रही घर से ऑफिस की दूरी, नेताजी नहीं खोज पाए समाधान

भोपाल. शहर में घर से ऑफिस या कार्यस्थल की दूरी एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आ रहा है। लोगों को शिकायत है कि ऑफिस एमपी नगर- अरेरा तरफ है, लेकिन घर आनंद नगर, कोकता, बैरागढ़ की ओर है। मजदूरों से लेकर ऑफिशियल व सरकारी कर्मचारियों तक को इस स्थिति से शिकायत है। इसे शहरीकरण की आम समस्या मान लिया गया है और अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस पर ध्यान नहीं दिया। कोई अपने वाहन से तो कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट से इस लंबी दूरी को तय कर रहा है।
योजनाएं हाइराइज की बना रहे, भ्रम में शहर
कार्यस्थल से घर की दूरी सालाना दस फीसदी की दर से बढ़ रही है। बीते 30 साल में भोपाल की विधानसभा से लेकर लोकसभा में करीब 45 नेताओं को अपना प्रतिनिधि बनाया, लेकिन ये मिलकर तय नहीं कर पाए कि शहर को होरिजोंटली विस्तारित करना है या आसमान की ओर वर्टिकली बढ़ाना है। शहर विकास को लेकर बनी नीतियों में असमानता से ये जाहिर होता है। शहर के फैलाव पर रोक नहीं इसलिए शहर रायसेन रोड पर कोकता से आगे बढ़ गया तो इंदौर रोड पर भौंरी तक चला गया। नरङ्क्षसहगढ़ रोड पर श्यामपुर दोराहा के करीब पहुंचा है तो नर्मदापुरम रोड पर भोजपुर, औबेदुल्लागंज के पास तक चला गया।
भ्रमित कर रही नीतियां
- शहर में महज 1.25 एफएआर दिया है, यानि प्लॉट एरिया का सवा गुना ही भवन बन सकता है। ऐसे में लोग कोलार के गेहूंखेड़ा, कजलीखेड़ा और आगे तक गांवों में विकसित कॉलोनियों में चले गए।
- टीओडी पॉलिसी लागू की जा रही है, जिसमें मुख्यमार्ग किनारे ऊंचे भवनों को बनाने की बात है।
- शहर के विस्तार को रोकने जब प्लानर्स ने किनारे पर प्लॉट साइज का महज 0.25 फीसदी ही निर्माण का नियम बनाया तो जनप्रतिनिधि विरोध करने लगे।

ये शहर के प्लानर्स के साथ जनप्रतिनिधियों को तय करना होगा कि शहर को फैलाया जाए या हाइराइज किया जाए। एक बार तय होने के बाद तमाम नीतियां, योजनाएं उसके अनुसार ही बनें तो बेहतर हो। ऐसा न हो कि एक विभाग कुछ अलग योजना तय कर रहा है, दूसरा कुछ और। दोनों के बीच शहर उलझा रहे। इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत यहां रहने वालों की है। इस पर नीति निर्धारकों को तय करना है।
- राजेश चौरसिया, स्ट्रक्चरल इंजीनियर- आर्किटेक्ट

शहर के बेहतर विकास को लेकर प्लान तय किया जा रहा है। हमारी कोशिश सभी जनप्रतिनिधियों से चर्चा करने की है। सब मदद करेंगे, बेहतर सुझाव देंगे तो हम आगे काम कर पाएंगे।
- श्रीकांत बनोठ, आयुक्त सह संचालक, टीएंडसीपी