29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भारत भवन : नाटक ‘ये कौन चित्रकार है’ में दिखाई दिया दो कलाओं का मिश्रण

चित्र को दृश्यों में पिरोकर पेश किया नाटक

2 min read
Google source verification
play

भोपाल। भारत भवन के अंतरंग सभागार में शनिवार को 'ये कौन चित्रकार है नाटक का मंचन किया गया। ये नाटक कई प्रयोग लेकर आया। फिल्मों में हमेशा कहानी की शुरुआत सीधे चित्र के पात्रों को जीवंत करते हुए पर्दे पर दिखाई जाती है। वैसे ही यह प्रयोग इस नाटक में देखने को मिला। इस नाटक का निर्देशन के मुंबई की सुषमा देशपांडे ने किया है। जबकि इसमें मुंबई के अविष्कार थिएटर ग्रुप के कलाकार ने अभिनय किया। नाटक वरिष्ठ चित्रकार सुधीर पटवर्धन के चित्रों पर केंद्रित रहता है।

इसमें सुधीर पटवर्धन और उनके दोस्तों की बातचीत (ऑडियो) के आधार पर 18 चित्रों में दृश्य को आधार पर प्ले किया गया। इस प्रस्तुति के माध्यम से हर एक चित्र को बारी-बारी से मंच पर लाया गया और उसे दृश्यों में पिरोकर स्टोरी फॉर्म में प्रेजेंट किया गया। सुधीर पटवर्धन के सभी चित्र आमजन जीवन पर केंद्रित रहते हैं। इन्ही चित्रों की पीछे की कहानियों को मंच पर जीवंत किया गया। सहायक निर्देशक विक्रांत कोलपे ने बताया कि इस नाटक के जरिए दो भिन्न कलाओं का मंच पर लाया गया है।

हर पेंटिंग की कहानी

नाटक में 'ईरानी रेस्टोरेंट पेंटिंग बदलती हुई संस्कृति परंपरा और वैभव को दर्शाती है, वहीं 'द सिटी पेंटिंग मजदूरों के विषय में बात करती है। 'एक्सीडेंट ऑन मे डे मजदूर की मौत और उस पर समाज की बुझी हुई इंसानियत को दिखाया। 'लोअर परेल पेंटिंग मील के मजदूर और बदलते हुए शहरीकरण का प्रतीक रही। 'शक से जातिवादी ङ्क्षहसा पर प्रकाश डाला गया। वहीं, 'अभिनेत्री पेंटिग जहां नाटक में नाटकीय मोड़ लाती है वहीं 'स्लिप पेंटिंग एक ऐसे इंसान के अरमानों की बात करती है जो अपने जीवन के आखिरी दिनों में भी अपनी आशाओं पर जीवित रहने की कोशिश करता है। उसी में वो खुशी और शांति खोजता है।

नाटक को आगे बढ़ाते हुए 'रंनिंग वुमन पेंटिंग स्त्रीजाति को समय के साथ दौडऩे की जिद बयां करती है। 'स्केचेस में स्त्री-पुरुष का संबंध, उनका निजी जीवन खासकर विवाह के बाद बदलते हुए रिश्ते को बयां किया गया। वहीं 'सायलेंस पेंटिंग एक ऐसे जोड़े को दर्शाती है जिनके लिए एक-दूसरे को सिर्फ साथ होना ही आदत है।