
पिपलानी से खजूरी कलां बायपास के बीच बन रही फोरलेन सड़क के निर्माण सड़क के निर्माण से जगह-जगह धूल के गुबार उड़ रहे हैं। ऐसे में एक तो राहगीरों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, दूसरी ओर स्थानीय रहवासियों को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और कई बार तो लोग अधूरी सड़क में फिसलकर गिरने से चोटिल भी हो रहे। बावजूद इसके प्रशासन द्वारा इसकी अनदेखी की जा रही ही है।
पिपलानी इलाहाबाद बैंक से लेकर खजूरी बायपास तक करीब 3 किलोमीटर तक 80 फीट चौड़ी फोरलेन सड़क का निर्माण किया जाना है। जिसके लिए प्रशासन के दारा फोरलेन सड़क के चौड़ीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया है जिसमें गोपाल नगर और खजुरी कलॉ के मकान-दुकान से अतिक्रमण हटाने के साथ ही उसका समतलीकरण भी किया जा रहा है। गोपाल नगर के स्थानीय रहवासियों की मानें तो सड़क के निर्माण से दिनभर धूल के गुबार उड़ते रहते हैं इसमें सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जिनका घर सड़क से काफी नजदीक है।
लगातार धूल उड़ने से बच्चों और बुजुर्गों को खतरा बढ़ रहा है। वायू प्रदूषण के कारण उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। प्रदूषण से सांस के मरीजों के लिए बड़ा खतरा हो गया है। संबंधित ठेकेदार को पानी छिड़काव को कहा गया था, लेकिन नियमित छिड़काव भी नहीं किया जा रहा है।
धूल भरी आंधी या डस्ट स्टॉर्म के दौरान धूल के कणों को अंदर लेने से श्वसन तंत्र में जलन हो सकती है और ये अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या एलर्जी को बढ़ा सकती हैं। महीन धूल के कण फेफड़ों में जा सकते हैं, जो सांस लेने में कठिनाई, खांसी, घड़घराहट और सांस की तकलीफ का कारण बन सकते हैं।
एलर्जी की समस्या
धूल में अक्सर पराग के कण, मोल्ड बीजाणु पाए जाते हैं। ये एलर्जी को ट्रिगर कर सकते हैं, जिससे छींकने, आंखों में पानी आना, खुजली और त्वचा पर चकत्ते दिखाई देने लगते हैं।
Published on:
01 Apr 2024 03:58 pm
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