ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि पांडे और अवस्थी ने बड़ौदा की सोरठिया वेल्जी एंड रत्ना कंपनी को 105 करोड़ रुपए का ठेका दिलाया था। इसकी नविदा 116 करोड़ रुपए थी लेकिन इसे 105 करोड़ रुपए कर दी गई थी।
बताया जा रहा है कि आरोपियों से पूछताछ क आधार पर ईओडब्ल्यू नरोत्तम मिश्रा को भी नोटिस दिया जा सकता है। बताया जा रहा है कि ईओडब्ल्यू ने ई-टेंडर घोटाले में मध्यस्थता करने वाले मनीष खरे को गिरफ्तार कर पूछताछ की थी। इसमें अवस्थी और पांडे का नाम सामने आया। दोनों से जून, 2019 में भी 10 दिन तक लगातार पूछताछ की जा चुकी है।
वहीं, इस मामले में नरोत्तम मिश्रा ने पलटवार किया है। उन्होंने कमल नाथ को चुनौती देते हुए कहा- कोई भी सबूत हो तो कार्रवाई करके दिखाएं। छोटी-छोटी मछलियों की पर कार्रवाई क्यों कर रहे हैं। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी करती है ई टेंडरों का निर्णय। एक भी ई टेंडर ऐसा बताएं जिसमें टेंपरिंग के बाद में काम हुआ हो। जिन टेंडरों में भी टेंपरिंग हुई उन्हें हमने ही निरस्त कर जांच शुरू कराई। कमलनाथ ने तो उन्हीं कंपनियों को ही ठेके दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि कमलनाथ मेरी चुनौती स्वीकार करें और राजनीतिक दुर्व्यवहार से काम करना बंद करें।
ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई है। करीब 3 हजार करोड़ रुपए के ई टेंडर घोटाले में साक्ष्यों एवं तकनीकी जांच में पाया गया कि 9 निविदाओं के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई है। EOW ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्डडिस्क भेजी थीं। इसमें से टेंपरिंग की पुष्टि हुई थी। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी।