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भोपाल। एक जनवरी से ई-वे बिल लागू होने जा रहा है। पड़ोस की दुकान में भी कोई सामान भेजा जाएगा तो ईवे बिल जरूरी हो जाएगा। इसके साथ ही यदि किसी वाहन में 51 हजार रुपए का माल भरा हुआ है तो पूरे माल का ही ई-वे बिल ट्रांसपोर्टर को जारी करना पड़ेगा। मध्यप्रदेश के जीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर नरेंद्र सिंह चौहान ने भोपाल में हुई कार्यशाला में वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट के सवालों के कई प्रश्नों के जवाब दिए।
चौहान ने कहा कि यह बिल सभी की सहूलियतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यदि रास्ते में सामान लेकर आ रही गाड़ी खराब हो जाए तो उसके लिए भी इसमें प्रावधान कर दिया गया है।
व्यापारियों को जानकारी देने के लिए कार्यशालाओं का दौर लगातार जारी है। मंगलवार को भी इसका आयोजन किया जा रहा है।
तो पूरे माल का लगेगा ई-वे बिल
यदि किसी वाहन में 51 हजार रुपए का माल भरा है तो पूरे माल का ई-वे बिल ट्रांसपोर्टर को जारी करना होगा। ज्ञात हो कि कोई भी रजिस्टर्ड व्यक्ति ई-वे बिल के बिना 50 हजार रुपए से अधिक का सामान कहीं सप्लाई नहीं कर सकेगा। जीएसटी के तहत किसी भी सामान के ट्रांसपोर्टेशन के लिए ई-वे बिल की व्यवस्था को जीएसटी काउंसिल ने मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि राज्य के अंदर ही वस्तुओं को ट्रांसपोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा, जबकि एक राज्य से दूसरे राज्य में माल भेजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनेगा।
यह है बिल की खास बातें
-यदि गोडाउन से ट्रांसपोर्टर तक माल भेजना है तो ई-वे बिल बनाना जरूरी होगा।
-यदि गोडाउन से ट्रांसपोर्टर की दूरी 10 किलोमीटर से कम है तो यहां छूट दी जाएगी।
-फॉर्म-49 की तुलना में इस बिल का दायरा काफी बड़ा हो जाएगा। केवल 154 आइटम को छोड़कर यह सब पर लगेगा।
-यूज्ड गुड्स और हाउस होल्ड गुड्स को इस बिल से बाहर रखा गया है।
सभी की सहूलियतों को रखा है ध्यान
एक कार्यशाला में राज्य जीएसटी विभाग के डिप्टी कमिश्नर नरेंद्र सिंह चौहान ने वकीलों और चार्टर्ड एकाउंटेंट के सवालों के कई प्रश्नों के जवाब दिए। इस मौके पर चौहान ने कहा कि लागू होने जा रहा बिल सभी की सहूलियतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यदि रास्ते में सामान लेकर आ रही गाड़ी खराब हो जाए तो उसके लिए भी इसमें प्रावधान कर दिया गया है।
यहां होगी ई-वे बिल की जरूरत
- बाहर से सामान मंगवाने के लिए वैड एक्ट में फॉर्म-49 लगता था। - अब टैक्स फ्री 154 आइटम को छोड़कर सभी में ईवे बिल लगेगा।
- एक सिटी से दूसरी सिटी नहीं, बल्की अब एक चौक से दूसरे चौक तक भी सामान भिजवाने के लिए ई-वे बिल की जरूरत पड़ेगी।
-यानी बाजू वाली दुकान में भी सामान भेजने पर इस प्रस्तावित प्रक्रिया के दायरे में आ जाएंगे।
यह है व्यापारियों की दुविधा
- गोडाउन से ट्रांसपोर्टर तक माल भेजने के लिए दूरी का निर्धारण गूगल मैप से ही होगा। सड़क मार्ग से नापी गई दूरी को सही नहीं माना जाएगा। व्यापारी इसको लेकर दुविधा की स्थिति में रहेगा। ज्यादातर लोग गूगल मैप से दूरी नापना नहीं जानते। वे सड़क मार्ग से तय की गई दूरी के आधार माल भेजते हैं और यह बाद में ज्यादा निकल गई तो उन्हें पेनॉल्टी देनी पड़ सकती है।
- ई-वे बिल के लिए हर वस्तु का एचएसएन कोड डालना है। लेकिन जीएसटी में जिन कारोबारियों का टर्नओवर 1.50 करोड़ से कम है। उनके लिए यह कोड जरूरी नहीं है। ऐसे में वे ईवे बिल में क्या डालेंगे इसको लेकर संशय है।
नई व्यवस्था से रुकेगी चोरी
50 हजार से ऊपर का जितना भी माल होगा, उसके लिए ट्रांसपोर्टर को पूरे माल का ई-वे बिल बनाना होगा। इस नई व्यवस्था से कर चोरी रुकेगी।
-राजेश कुमार जैन, सीए, भोपाल
Updated on:
01 Feb 2018 10:48 am
Published on:
19 Dec 2017 04:03 pm
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