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ALERT: देश पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, कभी भी आ सकता है अब तक का सबसे बड़ा भूकंप

उत्तर में हिमालयी क्षेत्र के भूगर्भीय प्लेटों के पूर्व में इंडो-बर्मीज प्लेटों से टकराने के कारण एक संकट और जोखिम खड़ा हो गया है

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ALERT: देश पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, कभी भी आ सकता है अब तक का सबसे बड़ा भूकंप

भोपाल। मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार को 4.3 की तीव्रता वाला भूकंप आया। ये झटके शाहरपुरा, सीकर के नीमका थाना और जयपुर के नजदीक अलवर के कुछ स्थानों पर महसूस किए गए। मौसम विभाग द्वारा भी भूकम्प की पुष्टि की गई है। मौसम विभाग के मुताबिक भूकंप का केन्द्र जयपुर से 10 किमी नीचे गहराई में था। बीते हफ्ते देश की राजधानी दिल्ली भी एक हल्के झटके से कांपी थी। लगातार बढ़ती भूकंपों की आवृत्ति से एक बार फिर से उस बड़े भूकंप की आशंका गहरा रही है जिसका खतरा देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश पर मंडरा रहा है।

आपको बता दें कि जनवरी 2016 में मणिपुर में 6.7 रिक्टर क्षमता वाला भूकंप आया। इससे ठीक पहले पड़ोसी देश नेपाल में मई 2015 में 7.3 रिएक्टर स्केल तीव्रता वाला भूकंप आया और भारत के उत्तरी पश्चिम में स्थित सिक्किम राज्य में साल 2011 में 6.9 रिएक्टर स्केल पर आए भयंकर भूकंप के झटकों से भूगर्भीय प्लेटों में दरारें आ गई हैं। माना जा रहा है कि लगातार आ रहे इन झटकों से स्थिति गंभीर हो चली है जो कि 8.0 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप का कारण बन सकते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उत्तर में हिमालयी क्षेत्र के भूगर्भीय प्लेटों के पूर्व में इंडो-बर्मीज प्लेटों से टकराने के कारण एक संकट और जोखिम खड़ा हो गया है, जो कि फिलहाल सबसे ज्यादा है।

नेपाल में आए भूकंप के कारण मध्यप्रदेश प्रभावित हुआ था, हल्की गति से आए भूकंप ने धीरे-धीरे तेज गति से भी धरती को हिलाना शुरू कर दिया था। इससे पहले भी प्रदेश कई बार भूकंप के झटके महसूस कर चुका है। राजधानी सहित इंदौर, छिंदवाड़ा, शहडोल, मंडला, कटनी सतना, रीवा, सागर, उज्जैन, दमोह सहित पूरे जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। लेकिन लगातार आ रहे इन झटकों के अलावा भी मध्यप्रदेश के नीचे कुछ ऐसा चल रहा है जो एक बड़े भूकंप का कारण बन सकता है।

मध्यप्रदेश में भी कई क्षेत्र भूकंप संभावित क्षेत्र हैं। जबलपुर में भयंकर भूकंप आ चुका है। इसके अलावा भोपाल में भी भूकंप के आंशिक झटके कई बार लग चुके हैं। जबलपुर में 22 मई 1997 को आए भूकंप ने संस्कारधानी की सूरत ही बदल दी थी। 22 अक्टूबर 2014 को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, लेकिन 25 अप्रैल को 2015 को आए भूकंप ने एक बार फिर जबलपुर सहित पूरे प्रदेश को हिला दिया। ग्वालियर, भोपाल सहित इंदौर में भी इन झटकों को महसूस किया गया।

भूकंप को लेकर जारी हो चुकी है चेतावनी
दुनिया में जब भी भूकंप आता है तो भारत सरकार की चेतावनी से मध्यप्रदेश में भी चिंता बढ़ जाती है। बीते साल केंद्रीय गृहमंत्रालय के आपदा प्रबंधन विभाग ने बड़ी चेतावनी देकर मध्यप्रदेश के लोगों को भी मुश्किल में डाल दिया था। चेतावनी में कहा गया था कि भारत में कहीं भी 8.2 का शक्तिशाली भूकंप आ सकता है, जो लाखों लोगों को बेघर कर देगा। इसका ज्यादा असर मध्यप्रदेश में भी पड़ सकता है, क्योंकि नर्मदा और ताप्ती नदी का क्षेत्र भूकंप से दहल सकता है।

इन वजहों से बढ़ीं हैं भूकंप की संभावनाएं
प्रदेश में धड़ल्ले से हो रहे अवैध उत्खनन, बेतरतीब और अनियंत्रित निर्माण बड़ी तबाही की वजह बन सकते हैं। 28 जिलों का बड़ा भू-भाग भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन चार में पहुंच चुका है। ऐसे में यदि कभी प्रदेश में केंद्रित भूकंप आता है तो इस भू-भाग को बड़ा नुकसान झेलना होगा। चिंता का कारण यह है कि पिछले तीन सालों में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ी है। वहीं देशभर में लगातार आ रहे भूकंप इस चेतावनी को और गंभीर बनाते हैं।

इन क्षेत्रों में है भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा
विभाग के अनुसार सर्वाधिक प्रभावितों में जबलपुर, खरगौन, इंदौर, खंडवा, धार, रायसेन, देवास, सीहोर, बैतूल, सीधी, शहडोल, नरसिंहपुर, दमोह, होशंगाबाद, बड़वानी, झाबुआ, उमरिया, छिंदवाड़ा, हरदा, बुरहानपुर, अनूपपुर, सागर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, कटनी, सिंगरौली और अलीराजपुर शामिल हैं।