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MP कांग्रेस में हुए दो फाड़: ग्वालियर-चंबल अंचल में हुआ बंटवारा…

- ग्वालियर चंबल अंचल में सिंधिया के इस्तीफे के बाद से ही भगदड़ जैसे स्थिति jyotiraditya scindia resignation effect

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Effect of jyotiraditya scindia resignation

Effect of jyotiraditya scindia resignation

भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस इन दिनों काफी बुरी स्थिति से जुझ रही है। एक ओर जहां कांग्रेस के दिग्गज रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया jyotiraditya scindia resignation ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन संभल लिया है। वहीं Effect ग्वालियर on चंबल अंचल Gwalior-Chambal Zone की सिंधिया के इस कदम के बाद कांग्रेस में दो फाड़ हो गए हैं।

ग्वालियर में इस समय ऐसा माहौल दिख रहा है मानो यहां 1996 कर कहानी दोहराई जा रही हो। दरअसल 1996 में ग्वालियर सीट से अपना टिकट काटे जाने पर स्व. माधवराव scindia सिंधिया ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर अपनी मप्र विकास कांग्रेस पार्टी बना ली थी। जिसके चलते यहां कांग्रेस बुरी तरह से टूट गई थी। ऐसे में एक बार फिर Effect of jyotiraditya scindia ज्योतिरादित्य सिंधिया'महाराज' के भाजपा में जाने के साथ ही कांग्रेस यहां दो घड़ों में विभाजित हो गई है।

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ऐसे समझें सिंधिया के इस्तीफे का असर... jyotiraditya scindia Effect
इस संबंध में ग्वालियर शहर कांग्रेस के सदर डॉ. देवेंद्र शर्मा ने सिंधिया jyotiraditya scindia महाराज के साथ जाने से इंकार करते हुए पार्टी में ही बने रहने की बात कही है। जबकि इसके ठीक उलट ग्वालियर के देहात जिला कांग्रेस के सदर मोहन सिंह राठौड़ ने न केवल अपने पद से बल्कि पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी resignation इस्तीफा दे दिया है।

वहीं मुरैना के मनोजपाल सिंह, भिंड के सुरेंद्र शर्मा सरपंच जेैसे बड़े प्रदेश पदाधिकारियों ने भी अपने पदों से इस्तीफा resignation दे दिए हैं। वहीं ग्वालियर में पार्टी के ज्यादातर ब्लाक अध्यक्षों सहित महिला women Congress कांग्रेस की जिला अध्यक्ष कमलेश कौरव और प्रदेश उपाध्यक्ष मंजू चौहान समेत लगीाग पूरी महिला with scindia कांग्रेस ही पार्टी छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ खड़ी हो गई है।

कुल मिलाकर ग्वालियर चंबल अंचल congress divided into two parts में सिंधिया के इस्तीफे के बाद से ही भगदड़ जैसे स्थिति बन गई है।

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लगभग पूरी कांग्रेस सिंधिया के साथ खड़ी... gwalior chambal congress with scindia
इससे पहले 1996 में स्व. माधवराव सिंधिया द्वारा बनाई गई पार्टी मप्र विकास कांग्रेस के साथ भी कुछ को छोड़कर ग्वालियर की लगभग पूरी कांग्रेस उनके साथ खड़ी हो गई थी। उस वक्त ग्वालियर में कांग्रेस को स्व. राजेंद्र सिंह, बृजमोहन परिहार, केके समाधिया, वासुदेव शर्मा, स्व. रामशरण शर्मा, अमरसिंह माहौर,दुश्यंत सहानी, गोपीलाल भारतीय जैसे नेताओं ने जीवित रखा था।

अब ये पुराने दिग्गज पार्टी की मैन स्ट्रीम में आ सकते हैं वापस...
वहीं सिंधिया से राजनीतिक अदावत के चलते स्व. राजेंद्र सिंह के पुत्र अशोक सिंह ग्वालियर में बची कुची कांग्रेस के सशक्त नेता के रूप में समाने आ सकते हैं। वहीं ये भी माना जा रहा है कि अब आगे डॉ. देवेंद्र शर्मा ग्वालियर में कांग्रेस का नेतृत्व करते रहेंगे। वहीं दिग्विजय सिंह के खेमे से जुड़े बृजमोहन, वासुदेव, दुश्यंत, अमरसिंह, गोपीलाल, प्रेमनारायण जैसे नेता कांग्रेस पार्टी की मैन स्ट्रीम में वापस आ सकते हैं।
वहीं जानकारों की मानें तो सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद जिस पैमाने पर पार्टी में बगावत हुई है, उसे देखते हुए ग्वालियर में पार्टी के सामने मुश्किल हालात बन सकते हैं।

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विधायक प्रवीण पाठक को लेकर संशय की स्थिति...
वर्तमान में ग्वालियर शहर की 3 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, इनसे प्रद्युम्न सिंह तोमर, मुन्ना लाल गोयल व प्रवीण पाठक विधायक है। इनमें प्रद्युम्न सिंह तोमर व मुन्ना लाल गोयल को सिंधिया का खास माना जाता है। जबकि प्रवीण पाठक सुरेश पचौरी गुट के माने जाते हैं।

इसी के चलते प्रद्युम्न सिंह तोमर व मुन्ना लाल गोयल तो अपने खेमे के विधायकों के साथ बेंगलुरु चले गए। जबकि प्रवीण पाठक कमलनाथ के प्रति निष्ठावान विधायकों के जत्थे के साथ जयपुर चले गए। हालांकि इससे पहले ग्वालियर शहर में प्रवीण पाठक की निष्ठाओं को लेकर कई बार खबरें उड़ती रही है। यहां तक दावा किया जाता रहा है कि वे भाजपा के संपर्क में हैं। जबकि उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि प्रवीण कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे और कांग्रेस में ही बने रहेंगे।

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अब इन सीटों पर उपचुनाव संभव...
सामने आ रही सूचना के अनुसार आज शुक्रवार को सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों के जिनमें गोविन्द राजपूत, इमरती देवी, महेंद्र सिंह सिसोदिया, प्रद्युम सिंह तोमर, प्रभुराम चौधरी व तुलसी सिलावट शामिल हैं, को राजभवन में सीएम की सिफारिश पर मंत्री पद से हटा दिया है।

वहीं इससे पहले से ही सिंधिया समर्थक विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने से ही ग्वालियर चंबल अंचल की कई विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का खतरा मंडराने की स्थिति बनी हुई है।

इन क्षेत्रों में उपचुनाव की स्थिति!
उपचुनाव को लेकर जिन क्षेत्रों के लिए संशय बना हुआ है वे हैं : ग्वालियर विधानसभा सीट, ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट,डबरा विधानसभा सीट, मुरैना विधानसभा सीट, जौरा विधानसभा सीट, पोहरी विधानसभा सीट, गोहद विधानसभा सीट, मेंहगांव विधानसभा सीट, सुमावली विधानसभा सीट,दिमनी विधानसभा सीट व करैरा विधानसभा सीट, इन सीटों के विधायक कांग्रेस की सदस्यता व विधानसभा से अपना इस्तीफा दे चुके हैं। जिनमें से कुछ के आज इस्तीफे मंजूर कर लिए गए हैं। वहीं जौरा सीट पर विधायक बनवारीलाल शर्मा के निधन के बाद उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।