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Political Kisse: एक हार जिसने बदल दी शिवराज की किस्मत, बन गए सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री

patrika.com पर प्रस्तुत है पॉलिटिकल किस्सों की श्रंखला...। आज किस्सा शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह का...।

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भोपाल

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Manish Geete

Oct 04, 2023

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शिवराज सिंह चौहान दिग्विजय सिंह से चुनाव हार गए थे।

प्रदेशभर की बेटियों के मामा, महिलाओं के भैया माने जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के एक लोकप्रिय नेता हैं और सबसे लंबे समय तक सीएम बने रहने का रिकार्ड भी इनके नाम है। लेकिन, कम ही लोग जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान के सीएम बनने की कहानी दरअसल एक हार से शुरू हुई थी। यह हार खास थी, क्योंकि यह मिली थी मौजूदा मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से। शिवराज हारे तो जरूर, लेकिन सियासत का पहिया ऐसा घूमा की हार का इनाम सत्ता के सिंहासन के तौर पर उन्हें मिला और 29 नवंबर 2005 को शिवराज की मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार ताजपोशी हो गई, लेकिन शिवराज के यहां तक पहुंचने की कहानी इतनी आसान नहीं थी।

तो चलिए वक्त के पहिए को उल्टा घुमाते हैं और ले चलते हैं उसी दौर में जब शिवराज का सामना चुनावी मैदान में दिग्विजय से हुआ था।


patrika.com पर पेश है पॉलीटिकल किस्सों की श्रंखला ...।

साल 2003 में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रही थी। तीसरे कार्यकाल के लिए दिग्विजय की पूरी चुनाव मैदान में उतर चुकी थी। चुनाव प्रचार का दौर चरम पर था। एक तरफ दिग्विजय थे तो और दूसरी तरफ थीं भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती। चुनाव में भाजपा ने बड़ा दांव खेला और दिग्विजय के सामने उनके गढ़ में उस दौर के युवा नेता शिवराज सिंह चौहान को मैदान में उतारा। हालांकि शिवराज चुनाव हार गए, लेकिन 10 साल के दिग्विजय शासन के बाद मध्यप्रदेश में भारी बहुमत से भाजपा का कमल खिला। उमा भारती पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं। लेकिन, सत्ता का सिंहासन मानो उमा को ज्यादा दिन नसीब नहीं हुआ। कर्नाटक के हुबली शहर की एक अदालत से वारंट जारी होने के बाद उमा को सीएम का पद छोड़ना पड़ा। उमा के इस्तीफे के बाद अगस्त 2004 में बाबूलाल गौर को उमा का उत्तराधिकारी बनाने का फैसला हुआ। उमा ने पद छोड़ने से पहले उन्हें गंगा जल हाथ में रखकर कसम दिलाई कि वो जब कहेंगी तब गौर साहब त्याग-पत्र दे देंगे। लेकिन, जब उमा को अदालत से क्लीन चिट मिली, तो उसके बाद गौर ने कसम का पालन नहीं किया और इस्तीफा देने से साफ मना कर दिया था।

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यहीं से आया मध्यप्रदेश में 'शिवराज'

शिवराज सिंह चौहान विदिशा से सांसद और मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष थे। तभी उनका नाम अचानक सामने आया और 29 नवंबर 2005 को मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके बाद हुए उपचुनाव में शिवराज सिंह 12वीं विधानसभा के सदस्य बन गए। इसके बाद लोकसभा की सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया। शिवराज का पहला कार्यकाल 10 दिसंबर 2008 तक रहा। साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला और लगातार दूसरी बार शिवराज सिंह मुख्यमंत्री (12 दिसंबर 2008 से 9 दिसंबर 2013) बन गए। इसके बाद 2013 में हुए चुनाव में भी भाजपा कम सीटों के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही। शिवराज का चौथा कार्यकाल शुरू हो गया। शिवराज 14 दिसंबर 2013 से 12 दिसंबर 2018 तक सीएम रहे। यहां अधिक समय तक सीएम बने रहने का रिकार्ड भी शिवराज सिंह चौहान के नाम पर आ गया। इसके बाद शिवराज सरकार उस समय संकट में आ गई जब कांग्रेस कांटे की टक्कर देते हुए भाजपा से आगे निकल गई। कांग्रेस निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाब हो गई। भाजपा अब विपक्ष में पहुंच गई थी। 17 दिसंबर 2018 को कमलनाथ ने सीएम पद की शपथ ली और 20 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई। और, मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बन गई। चौथी बार भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही बनाए गए।

46 सालों से कांग्रेस का कब्जा

गुना जिले की राघौगढ़ सीट मध्यप्रदेश की चर्चित सीट इसलिए भी है कि 46 सालों से कांग्रेस का ही यहां कब्जा रहा है। राजघराने के कब्जे वाली सीट पर दिग्विजय सिंह का प्रभाव आज भी है। 1977 में पहली बार दिग्विजय ने यहां से चुनाव जीता था, इसके बाद दिग्विजय सिंह के परिवार का कोई न कोई सदस्य या समर्थन वाला नेता ही चुनाव जीत पाया है। वर्तमान में यहां से दिग्विजय के पुत्र जयवर्धन सिंह विधायक हैं। यह सीट आज तक भाजपा नहीं जीत पाई है। सिर्फ एक बार ही भाजपा यहां से जमानत बचा पाई है।

राघोगढ़ सीट का इतिहास

1962 दुलीचंद कांग्रेस
1967 पी. लालाराम स्वतंत्र पार्टी
1972 हरलाल शाक्यवार भारतीय जनसंघ
1977 दिग्विजय सिंह कांग्रेस
1980 दिग्विजय सिंह कांग्रेस
1985 मूल सिंह कांग्रेस
1990 लक्ष्मण सिंह कांग्रेस
1993 लक्ष्मण सिंह कांग्रेस
1998 दिग्विजय सिंह कांग्रेस
2003 दिग्विजय सिंह कांग्रेस
2008 मूल सिंह (दादा भाई) कांग्रेस
2013 जयवर्धन सिंह कांग्रेस
2018 जयवर्धन सिंह कांग्रेस

शिवराज सिंह के करियर पर एक नजर

5 मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में जन्मे शिवराज ने भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से दर्शन शास्त्र में एमए (गोल्ड मेडलिस्ट) हैं। स्कूल के जमाने से ही वे राजनीति का पाठ पढ़ने लगे थे। 13 साल की उम्र में संघ से जुड़ गए और भाजपा को मजबूती देने में जुट गए। स्कूल कल्चरर सेक्रेटरी का चुनाव हार गए थे। इसके बाद वे अगली बार माडल स्कूल छात्र संघ के अध्यक्ष बनकर ही माने। नर्मदा किनारे गांव होने के कारण उन्हें नदी में तैरने का काफी शौक था। बुदनी विधानसभा क्षेत्र में जन्मे शिवराज को पहली बार जनता ने 1990 में बुदनी सीट से विधायक भी बनाया था। पांच बार लगातार सांसद चुने गए। शिवराज 2003-2004 में भारतीय नता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। शिवराज सिंह चौहान चार बार मध्यप्रदेश के सीएम की शपथ ले चुके हैं। प्रदेश में सबसे लंबा कार्यकाल पूरा करने वाले सीएम बन गए।

POLITICAL KISSE: दिग्विजय से चुनाव हारे थे शिवराज, आज हैं सबसे लंबे कार्यकाल वाले सीएम