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सड़क-ब्रिज बनाने से पहले लेनी होगी ये परमिशन, फिर शुरू होगा काम

MP News: सड़क, ब्रिज सहित शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट में अब प्लानिंग स्तर पर ही पर्यावरणीय अनुमति के लिए भेजना होंगे। जिला प्रशासन इसका नोडल रहेगा। यहीं से इसे लेकर संबंधित एजेंसियों को भेजा जाएगा। यहां से ओके होने के बाद ही काम आगे बढ़ेगा।

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road bridge construction in madhya pradesh

road bridge construction in madhya pradesh फोटो सोर्स : एआई जेनरेटेड)

MP News:प्रदेश में सड़क, ब्रिज सहित शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट में अब प्लानिंग स्तर पर ही पर्यावरणीय अनुमति के लिए भेजना होंगे। जिला प्रशासन इसका नोडल रहेगा। यहीं से इसे लेकर संबंधित एजेंसियों को भेजा जाएगा। यहां से ओके होने के बाद ही काम आगे बढ़ेगा। शहरी क्षेत्र का प्रोजेक्ट है तो इसे शहरी आवास एवं विकास विभाग, वन व पर्यावरण से जुड़ी एजेंसियां जांच करेंगी। ग्रामीण में जिला पंचायत स्तर व राजस्व वनक्षेत्र को लेकर एनओसी की प्रक्रिया करेगी। पीडब्ल्यूडी, एमपीआरडीसी समेत इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर काम करने वाली एजेंसियों को ये काम करने के लिए कहा गया है। इसे लेकर अभी बैठकें की जा रही हैं। नवंबर में इसे लिखित आदेश हो जाएंगे।

इसलिए इंफ्रा में पर्यावरण का पेंच

● भोपाल में नेशनल हाइवे के अयोध्या बायपास को 16 किमी लंबाई में दस लेन तक चौड़ीकरण का प्रोजेक्ट यहां आठ हजार पेड़ों के काटे जाने की स्थिति की वजह से शुरू नहीं हो पा रहा है। देरी से एनएच और संबंधित ठेकेदार आमने सामने हैं। मामला केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय तक पहुंच गया। शुरुआती बजट इसके लिए 900 करोड़ रुपए का रखा हुआ है।

● शहर के पश्चिमी हिस्से में तय पश्चिमी बायपास 36 किमी लंबाई तक बनना है। करीब 3000 करोड़ रुपए की सैद्धांतिक मंजूरी इसे हैं, लेकिन पर्यावरणीय वजह से इसका रूट बदला गया। बदले हुए रूट पर भी वहीं दिक्कतें आ रही है। प्रोजेक्ट को लेकर प्रकरण कोर्ट तक पहुंचे। प्रशासन को दूसरी बार इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया करनी पड़ रही है।

● कोलार सिक्सलेन का काम पूरा हो गया, लेकिन इसमें काटे गए 4100 से अधिक पेड़ों को लेकर पेंच फंस गया। संबंधित विभाग व अफसर कटघरे में है। एनजीटी से लेकर अन्य स्तरों पर सुनवाई कर रहे हैं, अपने जवाब दे रहे हैं।

ये होगा लाभ

रिटायर्ड राज्य प्रशासनिक अफसर जीपी माली का कहना है कि प्रोजेक्ट की डिजाइन के समय इसमें पेड़ से लेकर जलसंरचनाओं, वन भूमि व इसी तरह संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर पता होता है। यदि शुरुआत में ही पेड़, जल संरचनाओं और संवेदनशील क्षेत्रों को लेकर एनओसी प्रक्रिया कर ली जाए तो प्रोजेक्ट बनेगा या बदलना होगा, शुरुआत में ही पता चल जाएगा।

प्रशासन सभी प्रोजेक्ट्स पर नजर रखता है। अब कोशिश होगी कि प्रोजेक्ट के शुरू में ही उससे जुड़ी दिक्कतें दूर कर दी जाए। प्रशासन की टीम इसमें पूरा सहयोग करेगी।- कौशलेंद्र विक्रमसिंह, भोपाल कलेक्टर