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आधार की तर्ज पर हर जमीन का होगा एक यूनीक रजिस्ट्रेशन नंबर

यूआरएन से जमीन का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन देख पाएंगे

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भोपाल. देश प्रदेश में जल्द ही जमीनों का भी आधार की तरह यूनिक आईडी होगा, जिससे जमीन खरीदने सहित कई योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। जमीनों का पूरा रिकॉर्ड डिजिटल हो जाएगा। जमीनों का यूनीक रजिस्ट्रेशन नंबर (URN) 14 अकों का हो सकता है।

सरकार की साल 2023 तक जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयारी करने की योजना, इसके लिए देश के 11 राज्यों में पायलट परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2022-23 में डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देने के लिए कई ऐलान किए। इनमें जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन भी शामिल है।

देश में वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन प्रोग्राम के तहत 2023 तक जमीनों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। इसमें आधार नंबर की तर्ज पर हर जमीन या खेत को एक यूनीक रजिस्टर्ड नंबर दिए जाने की तैयारी की जा रही है। यूआरएन नंबर 14 अंक का हो सकता है।

यूआरएन से कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन का पूरा रिकॉर्ड न केवल ऑनलाइन देख पाएगा, बल्कि उसे डाउनलोड भी कर पाएगा। इससे लोगों को अपनी जमीन के कागजात हासिल करने में काफी आसानी हो जाएगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूआरएन नंबर का इस्तेमाल प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी कई योजनाओं में हो सकता है, ताकि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंच सके।

पोर्टल बनाएगी केंद्र सरकार
केंद्र सरकार देश की पूरी जमीन का डेटा (लैंड रिकॉर्ड) डिजिटल फार्मेट में एक ही जगह एकत्रित करने के लिए एक पोर्टल बनाएगी। इस डिजिटल पोर्टल से कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन का यूआरएन नंबर डालकर पूरी जानकारी निकाल सकेगा। यानी यूआरएन जमीन के आधार नंबर की तरह काम करेगा।

ड्रोन से जमीन की पैमाइश
वन नेशन, वन रजिस्ट्रेशन प्रोग्राम के जरिए सरकार ड्रोन की मदद से जमीन मापेगी। ड्रोन से जमीन की पैमाइश करने से किसी तरह की गलती या गड़बड़ी की आशंका नहीं होगी। इस पैमाइश को सरकारी डिजिटल पोर्टल पर उपलब्ध कराने का तैयारी है।

यूआरएन के फायदे
कोई भी व्यक्ति अपनी जमीन की पूरी डिटेल्स और कागजात आसानी से देख पाएगा। जमीन के कागजात के लिए लोगों को तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जमीन खरीदने ओर बेचने में भी पारदर्शिता आएगी। पीएम किसान जैसी कई योजनाओं में जमीन के कागजात अपलोड करने का झंझट खत्म होगा।

राज्यों में सफल परीक्षण
मध्यप्रदेश, बिहार, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, सिक्किम, आंध्र प्रदेश और गोवा जैसे 11 राज्यों में जमीन को यूआरएन देने का पायलट परीक्षण सफल रहा है।