
Example of communal harmony in Bhopal
भोपाल. पुराने शहर इब्राहिमपुरा में मदीना ट्रेडर्स वाली गली भोपाल की गंगा-जमुनी तहजीब की परिचायक है। यहां मुस्लिम परिवारों के बीच दशकों से तीन हिंदू परिवार सुकून से रहते आ रहे हैं। ये हैं निजी स्कूल में शिक्षक पं. सत्यनारायण शर्मा, मोहनलाल गुप्ता और आनंद साहू। शर्मा बताते हैं, पिताजी भी यहीं रहते थे। याद है वर्ष 1992 में हुआ दंगा... तब भी यहां कोई असर नहीं पड़ा था। वे पास बैठे नईम और सोहेल की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि यदि आस-पास ज्यादा माहौल खराब हो तो ये लड़के हमें घर से निकलने नहीं देते। घर का राशन, सब्जी और दूध तक दरवाजे पर लाकर दे देते हैं। इस बीच चबूतरे के पास से गुजर रहे मोहल्ले के ही अनीस अहमद शर्मा से दुआ-सलाम करते हुए पास आ जाते हैं। अनीस बताते हैं, मैं 55 से अधिक सालों से यहां रह रहा हूं, शर्मा जी का परिवार भी लगभग तब से ही यहां है। कोई दिक्कत नहीं होती। अहमद कहते हैं, हमें एक-दूसरे से कैसी दिक्कत... जैसे हम रहते हैं, वैसे ही यह रह रहे हैं। यह पूछने पर की आज के फैसले को कैसे देखते हैं, इस पर दोनों कुछ बोले बिना एक-दूसरे के गले लगते हुए कहते हैं, यही हमारा जवाब है, यही है हमारा पैगाम...।
इकबाल मैदान पर रोजाना जमती है बिसात
पत्रिका टीम इकबाल मैदान पहुंची तो यहां युवाओं ने हंस-ठिठोली और चुहलबाजी का दौर जारी था। इनमें अंदाज लगाना मुश्किल था कौन हिंदू है तो कौन मुसलमान। एक कोने में कुछ युवा 16 गोटी की बाजी जमाए बैठे थे। फैसले के बारे में पूछा तो बोले आप भी आकर बैठ जाओ, अभी इसे हरा देता हूं, फैसला हो जाएगा। शाम ढलते ही यहां शतरंज की बाजी जम जाएगी।
ईद और दिवाली की खुशियां साथ-साथ
प्रकाश मालवीय बताते हैं कि पांच साल से बरखेड़ी में रह रहे हैं। पड़ोस में ही परवेज भाई का मकान है। हर साल दिवाली पर हम उनके घर के बाहर भी दीपक रख देते हैं, साथ में पटाखे चलाते हैं। इसी तरह ईद भी मिलकर मनाते हैं। इसके पहले मैं 16 साल तक चौक बाजार में फैज पठान के यहां किराए से रहा। उस परिवार के साथ घर जैसे संबंध हैं। साथ बैठकर खाना खाना, किसी भी तरह की समस्या साझा करना। हमारा स्वयंसेवी संगठन है, जिसमें जोएब खान, अजहर अंसारी सहित अन्य साथी बेहतर कार्य करते हैं। सभी मिलकर इस समाज की सेवा करते हैं।
फैसला भी साथ सुना, बाद में भी रहे साथ
इब्राहिमपुरा में आलोक प्रेस के पास चर्चा कर रहे सौरभ नेमा, संजय राठौर, जावेद भाई, ओम भाई, एस. असरार अली, रामबाबू चाचा और पप्पू भाई साथ खड़े नजर आए। पास की गली में कुछ लोग चाय की चुस्कियां ले रहे थे। जावेद और असरार अली बोले- फैसले से यहां कुछ नहीं बदलेगा, हम पहले भी साथ थे, अब भी साथ -साथ खड़े हैं।
Updated on:
10 Nov 2019 06:55 pm
Published on:
10 Nov 2019 06:54 pm
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