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शाहपुरा पहाड़ी पर मिला दुर्लभ पौधा, तंत्र-मंत्र और पूजा-पाठ में काम आती है इसकी लकड़ी

शाहपुरा पहाड़ी पर 50 हेक्टेयर वन क्षेत्र में विशेषज्ञों ने सर्वे किया है। इसमें 201 पौधों की प्रजातियों की पहचान की गई है। 9 पौधों की प्रजातियां ऐसी हैं जो पवित्र वन क्षेत्र में पाए जाते हैं, येे पूजा पाठ में उपयोग होते हैं।

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योगेंद्र सेन @ भोपाल. राजधानी में शाहपुरा पहाड़ी पर 67 हेक्टेयर शहरी वन क्षेत्र है। शहर के बीच इस वन क्षेत्र में वनस्पति की इतनी ज्यादा विविधता है कि यहां अनेक प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं। इस वन क्षेत्र का महत्व हम इस बात से समझ सकते हैं कि यहां पौधों की 7 प्रजातियां तो ऐसी हैं जो भोपाल के शहरी क्षेत्र में बहुत कम पाए जाते हैं। पूरे भोपाल शहर में इनके एक या दो ही पौधे हैं। अर्थात ये भोपाल में एक दुर्लभ किस्म के पौधे हैं, जो हमें आम तौर पर कॉलोनियों, बाग-बगीचों में देखने को नहीं मिलते। इन पौधों की खासियत यह है कि ये सभी विशेष औषधीय गुणों वाले हैं। जिनका उपयोग अलग-अलग प्रकार की बीमारियों में दवाओं के रूप में किया जाता है। जो खास पौधा दहीमन मिला है उसकी लकड़ी बहुत खास है। ऐसा माना जाता है कि इसकी लकड़ी का प्रयोग तंत्र-मंत्र और अंधविश्वास के कार्यों में किया जाता है।यह जानकारी मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड की ओर से विशेषज्ञों द्वारा करवाए गए एक सर्वे में सामने आई है। सर्वे में सरोजनी नायडू महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. मुकेश दीक्षित और वनस्पति शास्त्र की सह प्राध्यापक डॉक्टर दीप्ति संकत शामिल थीं।

फैक्ट
- 67 में से 50 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया सर्वे
- 201 पौधों की प्रजातियों की पहचान की गई है
- 09 पौधों की प्रजातियां ऐसी हैं जो पवित्र वन क्षेत्र में पाए जाते हैं, येे पूजा पाठ में उपयोग होते हैं
- 128 पौधे ऐसे हैं, जो तितलियों को आकर्षित करते हैं
- 05 प्रजातियां ऐसी हैं जो अत्याधिक औषधीय गुणों से भरपूर हैं

जानिये पौधों की आखिर ये 7 खास प्रजातियां कौनसी हैं :
1- सलाई : इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है।
2- दहीमन : ऐसा माना जाता है कि इसकी लकड़ी का प्रयोग अंधविश्वास के कार्यों में किया जाता है।
3- हल्दू : इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है।
4- सोनपाठा : इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है।
5- बीजासाल : इसकी लकड़ी का उपयोग ऐसे कप बनाने में किया जाता है जिससे डायबिटीज का इलाज होता है।
6- बिल्वा : इसके फल में काला रंग निकलता है। यह इतना पक्का होता है कि पुराने जमाने में धोबी कपड़ों पर इससे निशान बना देते थे, जो कभी मिटता नहीं था। ताकि कपड़ों को पहचानने में भूल न हो।
7- रामफल : यह सीताफल के समान होता है और कैंसर के इलाज में काफी लाभदायक होता है।

ये 9 पौधे जो पवित्र वन क्षेत्र में पाए जाते हैं:
- बैल
- दहीमन
- बरगद
- काला अंबर
- पाखर
- पीपल
- हरसिंगार
- आंवला
- मूंदी

और ये पांच पौधे ऐसे हैं जिनका बहुत Óयादा औषधीय महत्व है
- बैल
- सोनपाठा
- गिलोय
- बीजासाल
- आंवला

50% पेड़, 9% झाडिय़ां और 24% जड़ी-बूटियां हैं
यहां 201 पौधों की प्रजातियों का अवलोकन किया गया। विश्लेषण से पता चला कि 201 पौधों की प्रजातियों में से 50% पेड़, 9% झाडिय़ां और 24% जड़ी-बूटियां, 5% घास और 12% पर्वतारोही हैं। 100 वृक्ष प्रजातियों में से 52 वृक्ष प्रजातियों को 'प्रचुर मात्रा में' बताया गया, जबकि 48 प्रजातियों को अध्ययन क्षेत्र के भीतर 'असामान्य' पाया गया। जंगली और रोपित वनस्पति के आधार पर वृक्ष विविधता का भी विश्लेषण किया गया था। जंगली पेड़ों की संख्या 76% पाई गई, जबकि लगाए गए 24% पाए गए (शहर के वन मंडल द्वारा लगाए गए पेड़ प्रजातियों के रिकॉर्ड के अनुसार)।

इनके संरक्षण की जरूरत है
शहर की बीच इतनी विविधता भरी वनस्पति का होना बड़ी बात है। यह हमारे शहर के लिए फेफड़ों का भी काम करते हैं। इस अध्ययन के दौरान औषधीय गुणों वाले, पवित्र वन क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधे और भोपाल शहर में दुर्लभ किस्म के पौधे मिले हैं। इन प्रजातियों को संरक्षित किया जाना आवश्यक है। इस क्षेत्र को बचाने के लिए यहां सजावटी पौध वाटिका, विदेशज पौध क्षेत्र, औषधीय पौधों का उद्यान, 'नव-ग्रह' पौधे, रॉक गार्डन इत्यादि बनाए जा सकते हैं।
डॉ. दीप्ति संकत, सह प्राध्यापक, वनस्पति शास्त्र

बचाने के लिए ये करना होगा
- कुछ खरपतवार ऐसी हैं, जो देशी प्रजातियों खत्म कर देती हैं, जिससे जैव विविधता में कमी आती है। इसका मानव स्वास्थ्य पर असर भी पड़ता है। अत: हानिकारक खरपतवारों के फैलाव को नियंत्रित करना आवश्यक है।

- कुछ पेड़ बहुत तेजी से फैलते हैं, ये दूसरे पादपों पर हावी हो जाते हैं और पौधों की विविधता में बाधा डालते हैं।

- आम खरपतवारों को जलाकर नष्ट करना प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता को नुकसान होगा।

- आग और ईंधन की लकड़ी की तलाश में आसपास के क्षेत्रों के लोगों द्वारा वनों की कटाई और चराई गतिविधियों को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाना है।

- शाहपुरा शहरी वन की जैव विविधता से संबंधित ब्रोशर, पर्चे स्कूलों, कॉलेजों और आसपास के इलाकों में वितरित किए जा सकते हैं ताकि संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने और पौधों, जानवरों, पक्षियों और तितली विविधता के बारे में ज्ञान का प्रसार किया जा सके। छात्रों और प्रकृति प्रेमियों को पौधे और पशु जीवन की विविधता के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।

- शाहपुरा शहरी वन की जैव विविधता की हैंडबुक इस क्षेत्र में पाए जाने वाले वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियों की व्यापक जानकारी के साथ तैयार की जा सकती है, जिसमें प्रजाति के लक्षणों की पहचान का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। चित्र, फोटो, स्थानीय सामान्य नाम, अंग्रेजी नाम, वानस्पतिक नाम, फूल और फलने की जानकारी (फेनोलॉजी), मानचित्र के साथ जियोटैग (स्थान) और आर्थिक उपयोगिता पर विशिष्ट नोट वर्तमान अध्ययन क्षेत्र की हैंडबुक में शामिल किए जाने चाहिए।

- आदर्श रूप से फूलों की विविधता को एक गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। पौधों के विवरण उनके पास टैग किया जाना चाहिए। कुछ चुने हुए पेड़ों को बार कोड प्रदान किया जाना चाहिए। इसे स्कैन करके पूरी जानकारी प्राप्त होगी।

- यहां सजावटी पौधे, औषधीय पौधों का उद्यान, 'नव-ग्रह' पौधे, रॉक गार्डन इत्यादि बनाया जा सकता है।