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फिंगर प्रिंट्स से नहीं छिपी इंसान की असलियत, कौन अपराधी पवृत्ति का तो कौन अपराधों से दूर

अपराधियों की धरपकड़ ही नहीं अपराध रोकेंगे भी फिंगर प्रिंट्स -खास तरह के निशान वाले लोगों का बलात्कार तो कुछ हत्या जैसे अपराधों की ओर रहता है झुकाव-मप्र फिंगर प्रिंट ब्यूरो की रिसर्च में खुलासा, 64 तरह के ग्रुप के फिंगर प्रिंट्स वाले नहीं करते कभी अपराध

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फिंगर प्रिंट्स से नहीं छिपी इंसान की असलियत, कौन अपराधी पवृत्ति का तो कौन अपराधों से दूर

फिंगर प्रिंट्स से नहीं छिपी इंसान की असलियत, कौन अपराधी पवृत्ति का तो कौन अपराधों से दूर

मनीष कुशवाह
भोपाल. अभी तक फिंगर प्रिंट्स का उपयोग अपराधियों की धरपकड़ के लिए किया जाता है, पर इन फिंगर प्रिंट्स के आधार पर लोगों की आपराधिक प्रवृत्ति का पता लगाने और समय रहते इन अपराधों को रोकने में भी संभव होगा। दरअसल, मप्र फिंगर प्रिंट ब्यूरो के डायरेक्टर गणेश सिंह ठाकुर की अगुआई में टीम ने ब्यूरो भेजे जाने वाले 2.50 लाख से अधिक फिंगर प्रिंट्स की विस्तृत जांच की है, इसमें खुलासा हुआ कि विशेष तरह के फिंगर प्रिंट्स वाले लोगों का अपराधों की ओर झुकाव रहता है और ये पूरी जिंदगी में कभी न कभी अपराध करते हैं। इसके अलावा कुछ खास अंगुली में विशेष निशान वाले व्यक्ति यौन अपराध यानी बलात्कार जैसे वीभत्स अपराधों में लिप्त हैं या भविष्य में इस तरह का अपराध करते हैं। यहां बता दें, अभी तक अपराध होने के बाद मौका-ए-वारदात से मिले फिंगर प्रिंट्स का मिलान ब्यूरो में उपलब्ध फिंगर प्रिंट्स से किया जाता है, ताकि अपराधी की पहचान हो सके। नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडिफिकेशन सिस्टम (नेफिस) में जैसे ही फिंगर प्रिंट्स एंटर किए जाते हैं, वैसे ही देशभर के अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स से इसकी मिलान करना संभव होता है। प्रदेश के सभी थानों से अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स एकत्रित कर ब्यूरो भेजे जाते हैं। नेफिस के जरिये 200 से अधिक अनसुलझे केसों को सुलझाने में मदद मिली है।
1034 श्रेणियों में बांटा गया है फिंगर प्रिंट्स को
विश्वभर में इंसानों के फ्रिंगर प्रिंट्स की 1034 कैटेगरी में बांटा गया है। इनसे अलग कोई और फिंगर प्रिंट्स नहीं हैं। रिसर्च के मुताबिक इनमें से फिंगर प्रिंट्स की 64 श्रेणियां ऐसी हैं, जिनमें आने वाले पूरी जिंदगी किसी भी तरह के अपराध में न तो लिप्त रहते हैं और न ही अपराध करने के बारे में सोचते हैं। यहां बता दें, आंखों के रेटिना की तरह ही हाथ की अंगुलियों के प्रिंट्स प्रत्येक इंसान के अलग-अलग रहते हैं। जन्म के साथ ही व्यक्ति के जो फिंगर प्रिंट्स होते हैं, वे ताउम्र वैसे ही रहते हैं, इनमें चोट लगने या किसी अन्य वजह से भी इनमें बदलाव नहीं होता। फिंगर प्रिंट्स को इंसान की यूनिक आइडी माना जाता है।

चार तरह के फिंगर प्रिंट्स जो बताते हैं व्यक्तित्व
इंसानों के हाथों की दसों अंगुलियों में चार तरह के फिंगर प्रिंट्स अलग-अलग स्थिति में होते हैं। ये लूप, आर्च, वर्ल और कमोजिट यानी मिश्रित हैं। दोनों हाथों की दस अंगुलियों में इन निशानों की स्थिति को देखकर इंसान के आपराधिक व्यवहार की समीक्षा की जाती है। अभी तक की रिसर्च में इसकी पुष्टि हुई है। सजायाफ्ता और विचाराधीन अपराधियों के फिंगर प्रिंट्स के अलावा सामान्य लोगों के फिंगर प्रिंट्स का शोध में उपयोग किया गया है।
फिंगर प्रिंट्स ऐसे सामने लाते हैं इंसानी फितरत
यौन उत्पीडऩ के मामले: इस तरह की मानसिकता वाले लोगों और अपराधियों के दाएं और बाएं हाथ की अनामिका या रिंग फिंगर में विशेष तरह की वर्ल आकृति होती है। रिसर्च के मुताबिक 89 फीसदी से अधिक मामलों में इसकी पुष्टि हुई है। इस तरह के फिंगर प्रिंट वाले व्यक्ति कभी न कभी इस यौन उत्पीडऩ या बलात्कार जैसे अपराधों में लिप्त रहते हैं।
हत्या या अन्य गंभीर मामले: दोनों हाथों के अंगूठे में वर्ल की विशेष स्थिति वाले लोगों में गंभीर अपराधों को अंजाम देने की प्रवृत्ति सबसे अधिक रहती है। इस तरह के फिंगर प्रिंट्स वाले लोग हत्या, हत्या के प्रयास समेत अन्य गंभीर अपराध बेहिचक अंजाम देते हैं।
साइको किलर और आदतन अपराधी: इस तरह की मानसिकता वाले अपराधियों और व्यक्तियों के फिंगर प्रिंट्स कम्पोजिट (मिश्रित) श्रेणी के होते हैं। इनके अध्ययन से पता चला है कि ये अपराधी कई हत्याओं या अपराधों को लगातार अंजाम देते हैं। राजधानी से पिछले साल छह दिन सागर समेत भोपाल में चार चौकीदारों की हत्या करने वाल आरोपी शिव गोंड के फिंगर प्रिंट्स भी कम्जोजिट श्रेणी के हैं।
फिंगर प्रिंट्स से अपराधों को रोकना भी संभव
फिंगर प्रिंट ब्यूरो के डायरेक्टर गणेश सिंह ठाकुर बताते हैं कि फिंगर प्रिंट्स की विस्तृत जांच से सामने आया है कि आपराधिक मानसिकता वालों के अंगुलियों में मौजूद निशानों की प्रकृति एक जैसी है। इसी तरह अपराधों से दूर रहने वालों के अंगुलियों के निशान अलग हैं। फिंगर प्रिंट्स की उपयोगिता अपराध होने के बाद अपराधियों की धरपकड़ के साथ ही अपराधों को रोकने में भी काफी हद तक संभव है।