
madhya pradesh vidhan sabha election
समृद्ध सांस्कृतिक, सामाजिक, प्राकृतिक और खनिज विरासत वाले मध्य प्रदेश के गठन की कहानी भी बड़ी रोचक है। महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि आधी सदी से कम समय में ही राज्य का भौगोलिक आकार दो बार बदला। पहली बार 1956 में नए मध्यप्रदेश के गठन के रूप में और दूसरी बार 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद। इस कारण प्रदेश का चुनावी समीकरण भी प्रभावित हुआ।
नई विधानसभा में प्रतिनिधित्व
1951 में हुए विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के चारों घटक राज्यों में बहुमत के आधार पर कांग्रेस की सरकारें थीं। लिहाजा, 1956 में नए मध्य प्रदेश में अंतरिम सरकार कांग्रेस की ही बनी। अंतरिम विधानसभा में दलीय स्थिति कुछ इस तरह से रही। नए मध्य प्रदेश में शामिल चार राज्यों में से मध्य प्रदेश विधानसभा में 184 सीटों पर 232 विधायक हुए। विंध्य प्रदेश में 48 विधानसभा क्षेत्रों में 60 विधायक, मध्यभारत में 79 सीटों से 99 विधायक और भोपाल राज्य विधानसभा से 30 विधायक थे।
मराठी भाषी इलाकों को छोड़ा
वर्ष 1950 में सीपी बरार राज्य का नामकरण मध्यप्रदेश हुआ। इसमें हिन्दी व मराठी भाषी इलाके शामिल थे। वर्ष 1953 में बनाए गए राज्य पुनर्गठन आयोग ने किसी विवाद से बचने के लिए भाषा के आधार पर अन्य नए राज्यों के साथ ही मध्यप्रदेश के मराठी भाषी इलाकों को अलग कर विंध्य प्रदेश, मध्य भारत और भोपाल राज्य को मिलाकर नए मध्य प्रदेश का गठन किया गया। विधिवत एक नवंबर 1956 को यह नया प्रदेश अस्तित्व में आया।
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वर्ष 1957 में परिसीमन के बाद हुईं 218 सीटें
एक नवंबर 1956 को अस्तित्व में आए मध्य प्रदेश की सम्मिलित विधानसभा की सदस्य संख्या 337 थी। 1957 के विधानसभा चुनाव के पहले हुए विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के बाद सीटों की संख्या 218 तय की गई। इनमें से से 70 सीटों पर दो विधायकों के निर्वाचन का प्रावधान था।
पहले आम चुनाव में निर्दलियों को भी मिली थी विजय
वर्ष 1952 के विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर दो विधायक निर्वाचित होने का प्रावधान था। पहले आम चुनाव में कांग्रेस को 232 सीटों में से 194, कृषक मजदूर प्रजा पार्टी को 08, रामराज्य परिषद को 02, समाजवादी पार्टी को 02 और निर्दलियों को 23 सीटें मिली थीं। इसी तरह से विंध्य विधानसभा की 60 सीटों में से कांग्रेस को 40, जनसंघ को दो, कृषक मजदूर प्रजा पार्टी को तीन, समाजवादी पार्टी को 11 और दो सीटें निर्दलियों को मिलीं। भोपाल राज्य की 60 सीटों में से कांग्रेस को 25, हिन्दू महासभा को एक सीट मिली। चार सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव जीता। मध्यभारत विधानसभा की 99 सीटों में से कांग्रेस को 75, हिन्दू महासभा को 11, जनसंघ को चार, रामराज्य परिषद को दोऔर निर्दलियों को चार सीटोंपर सफलता मिली।
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Updated on:
07 Oct 2023 02:34 pm
Published on:
07 Oct 2023 02:19 pm
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