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भोपाल. लोक निर्माण विभाग के रिटायर्ड सुपरिटेंडेंट इंजीनियर आरके गर्ग का कहना है कि पॉलीटेक्निक चौराहा से डिपो चौराहा के बीच निर्माणाधीन स्मार्टरोड तकनीकी तौर पर गैरजरूरी है। इस रोड के एक तरफ बाणगंगा नाला है तो दूसरी और श्यामला हिल्स का पहाड़ी क्षेत्र। यहां भविष्य में आबादी नहीं बढ़ेगी। पॉलीटेक्निक चौराहा से डिपो चौराहा की ओर आवाजाही करने पहले से ही यहां दस मीटर चौड़ी रोड थी। ऐसे में पूरे 31 करोड़ रुपए खर्च कर 30 मीटर चौड़ी 2.2 किमी लंबी रोड का कोई औचित्य ही नहीं है। इसकी बजाय रोशनपुरा चौराहा से पॉलीटेक्निक चौराहा के बीच फ्लाइओवर बना दिया जाता तो ट्रैफिक की दिक्कत ही खत्म हो जाती। गौरतलब है कि स्मार्टसिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के तमाम प्रोजेक्ट पर अर्बन डायलॉग कार्यक्रम में हाल में पूर्व सीएस निर्मला बुच ने तमाम सवाल खड़े किए थे। इसके बाद पत्रिका ने शहरी विकास के प्रोजेक्ट पर एक्सपट्र्स की राय लेने की मुहिम शुरू की। इसमें स्मार्टरोड प्रोजेक्ट पर रिटायर्ड एसई आरके गर्ग से तकनीकी तौर पर चर्चा की तो उन्होंने भी इसे सिरे से खारिज कर दिया।
माता मंदिर का ट्रैफिक क्यों आएगा डिपो चौराहा
गर्ग ने सवाल किया कि माता मंदिर से पॉलीटेक्निक चौराहा जाने वाले डिपो चौराहा से होकर क्यों जाएंगे? यहां दिक्कत सिर्फ रोशनपुरा की ढलान है जिसपर अब भी फ्लाइओवर की जरूरत है। इससे ट्रैफिक रफ्तार पकड़ लेता।
पहाड़ी जमीन पर रोड की एक मीटर मोटाई हैरत भरी है
गर्ग का कहना है कि अभी जहां स्मार्टरोड बनाई जा रही है वह पहाड़ी जमीन है। जमीन यदि दलदली होती तो वहां पर एक
मीटर मोटाई का सीमेंट कांक्रीट डालना पड़ता है। पहाड़ी जमीन पहले से ही मजबूत है। ऐसे में यहां इतनी मोटी परत की जरूरत नहीं थी। इसकी कुछ चौड़ाई भी बढ़ा देते। 30 मीटर तक इसे बढ़ाने की जरूरत ही नहीं थी। ये तो हाइवे निर्माण के मानक से भी ज्यादा खर्च किया गया है।
Published on:
15 Feb 2019 07:01 am
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