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कान्हां और पेंच नेशनल पार्क में कार्बन क्रेडिट की रिपोर्ट तैयार कराएगा वन विभाग

carbon - जंगलों में कार्बन क्रेडिट का अध्ययन करेगा स्मार्ट सिटी इंदौर - कान्हां और पेंच नेशनल पार्क में सागौन और साल के जंगल सबसे ज्यादा है, जिसमें कार्बन संचय की सबसे ज्यादा क्षमता होती है।

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भोपाल

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Ashok Gautam

Feb 08, 2022

illegal culvert constructed बाण्डिया नाले की जमीन पर बनाया अवैध पुलिया, एक माह बाद भी अफसर मौन

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भोपाल। वन विभाग प्रदेश के वनों में कार्बन क्रेडिट का अध्ययन करा रहा है। पायलेट प्रोजेक्ट के तहत कान्हा और पेंच नेशनल पार्कों को लिया गया है। यह अध्ययन उर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) नई दिल्ली करेगा। अध्ययन में इस बात का पता लगाया जाएगा कि गत पांच वर्ष पहले इन पार्को में कार्बन क्रेडिट की क्या स्थिति थी, आज क्या है और आगे के पांच वर्षों में क्या स्थिति रहेगी।
कान्हां और पेंच नेशनल पार्क में सागौन और साल के जंगल सबसे ज्यादा है, जिसमें कार्बन संचय की सबसे ज्यादा क्षमता होती है। वन विभाग को अब उन्हीं पौधों के प्लांटेशन की तरफ ज्यादा फोकस रहेगा, जिनमें कार्बन संचय की क्षमता ज्यादा होगी। वन विभाग के अफसरों का माना भी यह है कि इसी से अब वन क्षेत्रों का वजूद भी बढ़ेगा। अभी तक वन का उपयोग जलाऊ, इमारती लकड़ी, वानोपज और औषधियों तक सीमित था, लेकिन अब इसका वहुआयामी उपयोग किया जा सकेगा, जिसमें एक आयाम अंर्राष्ट्रीय स्तर का होगा। बताया जाता है कि टेरी अपनी रिपोर्ट एक वर्ष के अंदर सरकार को सौंप देगी। देश में बहुत कम ऐसी संस्थाएं हैं, जिनको कार्बन के्रडिट के अध्ययन और रिपोर्ट तैयार करने के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाइसेंस मिला हुआ है।


जंगलों में अध्ययन करेगी स्मार्ट सिटी इंदौर
जंगलों में कार्बन क्रेडिट के संबंध में अध्ययन स्मार्ट सिटी इंदौर करेगा। इसके लिए स्मार्ट सिटी को लाइसेंस मिला हुआ है। इस संस्थान ने कार्बन क्रेडिट पर काम भी किया है, इसके चलते इसे कार्बन के्रडिट पर काम करने का तजुर्बा भी है। वन विभाग और इंदौर स्मार्ट सिटी की इस संबंध में अगले हफ्ते तक बैठक भी होनी है। बैठक के बाद दोनों संस्थाओं के बीच में अध्ययन के संबंध में करार होगा।

पुराने पेड़ों में ज्यादा कार्बन संचय
पुराने पेड़ों में ज्यादा कार्बन होता है। नए पेड़ों में कार्बन संचय की क्षमता धीरे-धीरे बढ़ती है। कार्बन क्षमता बढ़ाने में पेड़ों को कम से कम दस वर्ष से अधिक का समय लगता है। पेड़ अपनी पत्ती से लेकर जड़ तक कार्बन संचय करते हैं। इसके साथ ही ऑक्सीजन की मात्रा को वातावरण में बढाने का काम करते हैं। कार्बन अवशोषित करने और ऑक्सीजन छोडऩे का काम सबसे ज्यादा बड़े पेड़ों में होता है। इंडियन स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट के अनुसार मप्र में 588.727 मिलियन टन कार्बन संचय की क्षमता है।

सबसे ज्यादा कार्बन संचय साल के पेड़ में
एसएफआरआई जबलपुर के अनुसार सबसे ज्यादा कार्बन साल के पेड़ में होता है। साल के एक पेड़ में 5.7 टन कार्बन संचय की क्षमता होती है। इसी के चलते जिन जिलों में सबसे ज्यादा साल के पेड़ हैं वहां सबसे ज्यादा कार्बन संचय की क्षमता है। रिसर्च में बताया गया है कि कार्बन संचय में साजा के पेड़ में 3.11, चिरौंजी में 1.38, तेंदु में 1.30, महुआ में 0.90, बेल में 0.76, एवं आंवला में 0.53, सागौन में 0.53 टन है।